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04 जुलाई 2023

मोर नाचता है ,, झूम के नाचता है ,लेकिन जब अपने पैर देखता है , तो उस बदसूरती को देखकर खूब रोता है

 मोर नाचता है ,, झूम के नाचता है ,लेकिन जब अपने पैर देखता है , तो उस बदसूरती को देखकर खूब रोता है ,,कमोबेश यही कहावत , यही सच्चाई ,,हमारे पत्रकार साथियों पर शत प्रतिशत फिट होती है ,,देश भर में आज़ादी के आंदोलन की रहबरी कर ,,देश को आज़ाद कराने वाले ,सबकी खबर ,देकर , सबकी खबर लेने वाले ,यह पत्रकार साथी ,हर ज़ुल्म ,हर ज़्यादती ,ना इंसाफ़ी के खिलाफ लोगों को लढना सिखाते है ,,लोगों को इन्साफ दिलाने के लिए लिखते हैं ,संघर्ष करते है ,,,लोगों के इन्साफ के लिए ,,भूख , प्यास ,दोस्ती ,दुश्मनी सब भुलाकर ,यह पत्रकार आपके लिए , हमारे लिए संघर्ष करते है ,, लेकिन जब इन पर ज़ुल्म होता ,है , जब इनका शोषण ,इनके ही मालिक ,इनके ही सम्पादक करते है ,इनकी छटनी करते ,है , इन्हे नौकरी से निकालते ,है , तब यह सो कोल्ड , शर्म , सो कोल्ड ,स्टेटस के चक्रव्यूह में फंस कर ,,बात अंदर ही दबा देते है ,यह अपने ज़ख्म दूसरों को नहीं दिखाते , तड़पते है सिसकते है ,, अंदर ही अंदर संघर्ष अकेले अकेले करते है ,लेकिन हार जाते है ,थक जाते है ,, इस समाज में ,इन्साफ के संघर्ष के इन जंगजू , सिपाहियों की यह ,दास्तान समाज के ,लिए हमारे ,लिए आपके लिए कथित पत्रकार संगठनों ,सरकार ,पत्रकारों के लिए बने आयोगों , के लिए शर्मसार करने वाली है ,, एक तरफ कोरोना संक्रमण की मार ,से देश , देश का हर ,वर्ग हर समाज ,प्रभावित है ,,दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण के वक़्त पत्रकारों ने ,, अपनी , अपने परिवार की संक्रमण की परवाह किये बगैर ,हर पल की खबर आप तक , हम तक अख़बार के सम्पादक ,अख़बार के मालिक तक पहुंचाई है ,, लेकिन अख़बार मालिकों ,चैनल मालिकों के लिए , कोरोना संक्रमण , पत्रकारों ,कर्मचारियों की छटनी ,उन्हें काम से हटाने का ,एक बहाना बन गया ,,, ताज्जुब है , मन्दी का दौर सिर्फ प्रिंट मिडिया , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए ही है ,,, हर दैनिक अख़बार जो रोज़ खुद को बढ़ता हुआ अख़बार ,सबसे ज़्यादा बिकने वाला अख़बार ,सबसे बढ़ा अख़बार ,देश में उपलब्धियों का अख़बार ,, इलेक्ट्रॉनिक मिडिया चेनल्स ,सबसे तेज़ चेनल्स ,सबसे ज़्यादा टी आर पी वाले चैनल वगेरा ,वगेरा का प्रचार कर रहे है ,इधर पचास फीसदी के लगभग पत्रकारों ,कर्मकारों की छटनी का लक्ष्य रखते हुए हर ,ज़िले ,, हर संभाग ,हर राज्य ,नेशनल लेवल पर भी ,रोज़ मर्रा पत्रकार , कर्मचारियों को बेवजह छंटनी के नाम पर घर बिठाया जा रहा है , अफ़सोस यह नहीं के ज़ुल्म हो रहा है ,ग़ैरक़ानूनी कृत्य ,क़ानूनी रूप देकर करने की बेईमानी की जा रही है ,अफ़सोस इस बात का है , के यह सभी छटनी के शिकार , निकाले गए पत्रकार ,अपने खुद के लिए लढना ही नहीं चाहते है ,, कोई आंदोलन ,, कोई शोर शराबा ,कोई लिखापढ़ी , अदालतों में किसी भी तरह की इंसाफ की लढाई के लिए आगे ही नहीं आ रहे ,,पत्रकार संगठन ,प्रेसक्लब के क्या हालात है देश जानता है ,लेकिन जो पत्रकार खबर लिखने वाले ,खबर एकत्रित करने वाले ,एडिटिंग करने वाले लोग वोह अभी संकट में है ,कुछ तो निकाल दिए गए , कोटा भी उसका शिकार है ,,अभी और बहुत कुछ को निकालने की तैयारी है ,,इन पत्रकार साथियों ने ,हमें , आपको ,इंसाफ दिलाने के लिए क़लम से संघर्ष किया है ,, आज यह इनके ऊपर हुए ,अत्याचार ,ज़ुल्म , गैरक़ानूनी कृत्य के सदमे से उबर नहीं रहे है ,,संघर्ष के लिए हिम्मत नहीं कर रहे है , हमें इनकी हिम्मत बनना होगा ,,कभी यह हमारे लिए ,निष्पक्ष ,निर्भीक क़लम लेकर खड़े नज़र आये ,है ,आज हमे इनका दर्द सुनकर ,सार्वजनिक रूप से ,सरकारी स्तर ,पर कनूनी स्तर पर ,इन्हे इंसाफ दिलाने का संघर्ष करना होगा ,केंद्र सरकार में बैठे ,मंत्री ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों , चाहे राज्यों के मुख्यमंत्री हो , सभी को एक कार्ययोजना तैयार कर ,मालिकों पर दबाव बनाकर ,अनावश्यक छटनी रोकना होगी ,,अनावश्यक छटनी जो वक़्त से पहले हुई है ,उसे फिर से नौकरी दिलवाना होगी ,, सरकारें हो सकता है दबाव आ जाए , लेकिन इन पत्रकार साथियों को मुट्ठीभर ही सही एक जुट होना होगा ,,इंसाफ के लिए संघर्ष करना होगा ,, खुद को कोर्ट का रास्ता खटखटाना होगा ,पत्रकारिता से जुड़े ,पत्रकारों के दर्द के हमदर्द , मुझ जैसे हर ज़िले ,में , हर जगह बहुत वकील साथी ,है ,,जो इस लड़ाई में उनकी पैरवी के लिए तय्यार है ,,कोटा के ही वरिष्ठ पत्रकार ,दिनेश दूबे से सभी को प्रेरणा लेना ,चाहिये उन्होंने संघर्ष किया ,खुद अपनी लड़ाई लड़ी ,खुद पैरवी की और अभी हाल ही में एक दैनिक पत्र के खिलाफ ,दिनेश दूबे के हक़ में कोटा न्यायालय से फैसला हुआ है ,भाई दिनेश दुबे भी ऐसे शोषण का शिकार हुए पत्रकार साथियों की हर सम्भव मदद करने को तय्यार है ,,,अख़बार , इलेक्ट्रॉनिक मिडिया में तो अगर पत्रकारों पर हमले हो ,अत्याचार हों तो कोई खबर भी नहीं बनाते ,खुद जिस अख़बार में पत्रकार कार्यरत होता है ,उस अख़बार तक में पत्रकार के खिलाफ हमले ,अत्याचार की खबर तक प्रकाशित नहीं होती है , पत्रकार अगर कहीं कोई कामयाब हो जाए तो उस खबर को ,प्रकाशन करने में कितनी कंजूसी बरती जाती है ,सभी जानते है ,,खेर जो भी हो , लेकिन वर्तमान हालातों में पत्रकारों को एक जुट होकर संघर्ष की कोई रूपरेखा तो तय्यार करना ही होगी ,वर्ना आज मेरी बारी है ,तो कल तेरी बारी ,है फुट डालो ,राज करो वाला यह नियोक्ता अत्याचारी है ,वाला नारा गूंजेगा भी ,क्रियान्वित भी होगा ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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