और जब मैने हवारियों से इलहाम किया कि मुझ पर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ
तो अर्ज़ करने लगे हम ईमान लाए और तू गवाह रहना कि हम तेरे फरमाबरदार बन्दे
हैं (111)
(वह वक़्त याद करो) जब हवारियों ने ईसा से अर्ज़ की कि ऐ मरियम के बेटे
ईसा क्या आप का ख़ुदा उस पर क़ादिर है कि हम पर आसमान से (नेअमत की) एक
ख़्वान नाजि़ल फरमाए ईसा ने कहा अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा से डरो
(ऐसी फरमाइश जिसमें इम्तेहान मालूम हो न करो) (112)
वह अर्ज़ करने लगे हम तो फक़त ये चाहते है कि इसमें से (बरतकन) कुछ खाएँ
और हमारे दिल को (आपकी रिसालत का पूरा पूरा) इत्मेनान हो जाए और यक़ीन कर
लें कि आपने हमसे (जो कुछ कहा था) सच फरमाया था और हम लोग इस पर गवाह रहें
(113)
(तब) मरियम के बेटे ईसा ने (बारगाहे ख़ुदा में) अर्ज़ की ख़ुदा वन्दा ऐ
हमारे पालने वाले हम पर आसमान से एक ख्वान (नेअमत) नाजि़ल फरमा कि वह दिन
हम लोगों के लिए हमारे अगलों के लिए और हमारे पिछलों के लिए ईद का करार पाए
(और हमारे हक़ में) तेरी तरफ से एक बड़ी निशानी हो और तू हमें रोज़ी दे और
तू सब रोज़ी देने वालो से बेहतर है (114)
खु़दा ने फरमाया मै ख्वान तो तुम पर ज़रुर नाजि़ल करुगाँ (मगर याद रहे
कि) फिर तुममें से जो भी शख़्स उसके बाद काफि़र हुआ तो मै उसको यक़ीन ऐसे
सख़्त अज़ाब की सज़ा दूँगा कि सारी ख़ुदायी में किसी एक पर भी वैसा (सख़्त)
अज़ाब न करुगाँ (115)
और (वह वक़्त भी याद करो) जब क़यामत में ईसा से ख़ुदा फरमाएग कि (क्यों) ऐ
मरियम के बेटे ईसा क्या तुमने लोगों से ये कह दिया था कि ख़ुदा को छोड़कर
मुझ को और मेरी माँ को ख़ुदा बना लो ईसा अर्ज़ करेगें सुबहान अल्लाह मेरी तो
ये मजाल न थी कि मै ऐसी बात मुँह से निकालूँ जिसका मुझे कोई हक़ न हो
(अच्छा) अगर मैने कहा होगा तो तुझको ज़रुर मालूम ही होगा क्योंकि तू मेरे
दिल की (सब बात) जानता है हाँ अलबत्ता मै तेरे जी की बात नहीं जानता
(क्योंकि) इसमें तो शक ही नहीं कि तू ही ग़ैब की बातें ख़ूब जानता है (116)
तूने मुझे जो कुछ हुक्म दिया उसके सिवा तो मैने उनसे कुछ भी नहीं कहा यही
कि ख़ुदा ही की इबादत करो जो मेरा और तुम्हारा सबका पालने वाला है और जब
तक मैं उनमें रहा उन की देखभाल करता रहा फिर जब तूने मुझे (दुनिया से) उठा
लिया तो तू ही उनका निगेहबान था और तू तो ख़ुद हर चीज़ का गवाह (मौजूद) है
(117)
तू अगर उन पर अज़ाब करेगा तो (तू मालिक है) ये तेरे बन्दे हैं और अगर
उन्हें बख़्श देगा तो (कोई तेरा हाथ नहीं पकड़ सकता क्योंकि) बेशक तू
ज़बरदस्त हिकमत वाला है (118)
ख़ुदा फरमाएगा कि ये वह दिन है कि सच्चे बन्दों को उनकी सच्चाई (आज) काम
आएगी उनके लिए (हरे भरे बहिश्त के) वह बाग़ात है जिनके (दरख़्तो के) नीचे
नहरे जारी हैं (और) वह उसमें अबादुल आबाद तक रहेंगे ख़ुदा उनसे राज़ी और वह
ख़ुदा से खुष यही बहुत बड़ी कामयाबी है (119)
सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ उनमें है सब ख़ुदा ही की सल्तनत है और वह हर चीज़ पर क़ादिर (व तवाना) है (120)
सूरए अलमायदा (ख़्वान) ख़त्म
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