सूरए अल माएदह (ख़्वान)
सूरए अल माएदह (ख़वान) मदीना में नाजि़ल हुआ और इसकी एक सौ बीस आयते हैं
(मैं) उस ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
ऐ ईमानदारों (अपने) इक़रारों को पूरा करो (देखो) तुम्हारे वास्ते चैपाए
जानवर हलाल कर दिये गये उन के सिवा जो तुमको पढ़ कर सुनाए जाएगे हलाल कर
दिए गए मगर जब तुम हालते एहराम में हो तो शिकार को हलाल न समझना बेशक ख़ुदा
जो चाहता है हुक्म देता है (1)
ऐ ईमानदारों (देखो) न ख़ुदा की निशानियों की बेतौक़ीरी करो और न हुरमत
वाले महीने की और न क़ुरबानी की और न पट्टे वाले जानवरों की (जो नज़रे
ख़ुदा के लिए निशान देकर मिना में ले जाते हैं) और न ख़ानाए काबा की तवाफ़
(व जि़यारत) का क़स्द करने वालों की जो अपने परवरदिगार की ख़ुशनूदी और
फ़ज़ल (व करम) के जोयाँ हैं और जब तुम (एहराम) खोल दो तो शिकार कर सकते हो
और किसी क़बीले की यह अदावत कि तुम्हें उन लोगों ने ख़ानाए काबा (में जाने)
से रोका था इस जुर्म में न फॅसवा दे कि तुम उनपर ज़्यादती करने लगो और
(तुम्हारा तो फ़र्ज यह है कि ) नेकी और परहेज़गारी में एक दूसरे की मदद
किया करो और गुनाह और ज़्यादती में बाहम किसी की मदद न करो और ख़ुदा से
डरते रहो (क्योंकि) ख़ुदा तो यक़ीनन बड़ा सख़्त अज़ाब वाला है (2)
(लोगों) मरा हुआ जानवर और ख़ून और सुअर का गोश्त और जिस (जानवर) पर
(जि़बाह) के वक़्त ख़ुदा के सिवा किसी दूसरे का नाम लिया जाए और गर्दन
मरोड़ा हुआ और चोट खाकर मरा हुआ और जो कुएं (वगै़रह) में गिरकर मर जाए और
जो सींग से मार डाला गया हो और जिसको दरिन्दे ने फाड़ खाया हो मगर जिसे
तुमने मरने के क़ब्ल जि़बाह कर लो और (जो जानवर) बुतों (के थान) पर चढ़ा कर
ज़िबाह किया जाए और जिसे तुम (पाँसे) के तीरों से बाहम हिस्सा बाटो(ग़रज़
यह सब चीज़ें) तुम पर हराम की गयी हैं ये गुनाह की बात है (मुसलमानों) अब
तो कुफ़्फ़ार तुम्हारे दीन से (फिर जाने से) मायूस हो गए तो तुम उनसे तो
डरो ही नहीं बल्कि सिर्फ मुझी से डरो आज मैंने तुम्हारे दीन को कामिल कर
दिया और तुमपर अपनी नेअमत पूरी कर दी और तुम्हारे (इस) दीने इस्लाम को
पसन्द किया बस जो शख़्स भूख़ में मजबूर हो जाए और गुनाह की तरफ़ माएल भी न
हो (और कोई चीज़ खा ले) तो ख़ुदा बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है (3)
(ऐ रसूल) तुमसे लोग पूछतें हैं कि कौन (कौन) चीज़ उनके लिए हलाल की गयी
है तुम (उनसे) कह दो कि तुम्हारे लिए पाकीज़ा चीजें हलाल की गयीं और शिकारी
जानवर जो तुमने शिकार के लिए सधा रखें है और जो (तरीके़) ख़ुदा ने तुम्हें
बताये हैं उनमें के कुछ तुमने उन जानवरों को भी सिखाया हो तो ये शिकारी
जानवर जिस शिकार को तुम्हारे लिए पकड़ रखें उसको (बेताम्मुल) खाओ और (जानवर
को छोंड़ते वक़्त) ख़ुदा का नाम ले लिया करो और ख़ुदा से डरते रहो
(क्योंकि) इसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है (4)
आज तमाम पाकीज़ा चीजें तुम्हारे लिए हलाल कर दी गयी हैं और एहले किताब की
ख़ुश्क चीजे़ं गेहूँ (वगैरह) तुम्हारे लिए हलाल हैं और तुम्हारी ख़ुश्क
चीजें गेहॅू (वगैरह) उनके लिए हलाल हैं और आज़ाद पाक दामन औरतें और उन
लोगों में की आज़ाद पाक दामन औरतें जिनको तुमसे पहले किताब दी जा चुकी है
जब तुम उनको उनके मेहर दे दो (और) पाक दामिनी का इरादा करो न तो खुल्लम
खुल्ला जि़नाकारी का और न चोरी छिपे से आशनाई का और जिस शख़्स ने ईमान से
इन्कार किया तो उसका सब किया (धरा) अकारत हो गया और (तुल्फ़ तो ये है कि)
आख़ेरत में भी वही घाटे में रहेगा (5)
ऐ इमानदारों जब तुम नमाज़ के लिये आमादा हो तो अपने मुँह और कोहनियों तक
हाथ धो लिया करो और अपने सरों का और टखनों तक पॉवों का मसाह कर लिया करो और
अगर तुम हालते जनाबत में हो तो तुम तहारत (ग़ुस्ल) कर लो (हाँ) और अगर तुम
बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से किसी को पैख़ाना निकल आए या औरतों
से हमबिस्तरी की हो और तुमको पानी न मिल सके तो पाक ख़ाक से तैमूम कर लो
यानि (दोनों हाथ मारकर) उससे अपने मुँह और अपने हाथों का मसा कर लो (देखो
तो ख़ुदा ने कैसी आसानी कर दी) ख़ुदा तो ये चाहता ही नहीं कि तुम पर किसी
तरह की तंगी करे बल्कि वो ये चाहता है कि पाक व पाकीज़ा कर दे और तुमपर
अपनी नेअमते पूरी कर दे ताकि तुम शुक्रगुज़ार बन जाओ (6)
और जो एहसानात ख़ुदा ने तुमपर किए हैं उनको और उस (एहद व पैमान) को याद
करो जिसका तुमसे पक्का इक़रार ले चुका है जब तुमने कहा था कि हमने (एहकामे
ख़ुदा को) सुना और दिल से मान लिया और ख़ुदा से डरते रहो क्योंकि इसमें
ज़रा भी शक नहीं कि ख़ुदा दिलों के राज़ से भी बाख़बर है (7)
ऐ ईमानदारों ख़ुदा (की ख़ुशनूदी) के लिए इन्साफ़ के साथ गवाही देने के
लिए तैयार रहो और तुम्हें किसी क़बीले की अदावत इस जुर्म में न फॅसवा दे कि
तुम नाइन्साफी करने लगो (ख़बरदार बल्कि) तुम (हर हाल में) इन्साफ़ करो यही
परहेज़गारी से बहुत क़रीब है और ख़ुदा से डरो क्योंकि जो कुछ तुम करते हो
(अच्छा या बुरा) ख़ुदा उसे ज़रूर जानता है (8)
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए ख़ुदा ने वायदा
किया है कि उनके लिए (आखि़रत में) मग़फे़रत और बड़ा सवाब है (9)
और जिन लोगों ने कुफ्ऱ इख़्तेयार किया और हमारी आयतों को झुठलाया वह जहन्नुमी हैं ((10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 जुलाई 2023
सूरए अल माएदह (ख़्वान) सूरए अल माएदह (ख़वान) मदीना में नाजि़ल हुआ और इसकी एक सौ बीस आयते हैं
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