कोटा नगर दंडनायक , बृजमोहन बैरवा की हौसलों की उड़ान , सच में , कोटा कोचिंग छात्र छात्राओं के टूटे हुए हौसलों को , हौसला देकर , उड़ान देने के लिए मोटिवेशनल पुस्तक है , ,केरियर पॉइंट लो कॉलेज की छात्रा,मोटिवेशनल सोफियन सदफ अख़्तर नें इस पुस्तक को छात्र छात्राओं के लियें मोटिवेटिव बताते हुए, लेखक बृजमोहन बैरवा का आभार जताया,
कोटा कोचिंग छात्र छात्राओं में आशावाद के साथ निराशा के माहौल है ,, ऐसे में उन्हें मोटिवेशन ,वैकल्पिक व्यवस्थाओं की उम्मीद के साथ ,निराशावाद से आशावाद की तरफ मोटिवेशन करने की ज़रूरत है , और इसीलिए , कोटा नगर दंडनायक , बृजमोहन बैरवा की पुस्तक , हौसलों की उड़ान , ऐसे बच्चों को , निराशावाद से आशावाद की तरफ लाकर वैकल्पिक उपचार ,, वैकल्पिक टारगेट हांसिल करने के लिए मोटिवेशन फार्मूला है ,,
ज़िंदगी में फर्स्ट टारगेट में अगर असफलता मिले तो घबराना हरगिज़ नहीं ,, क्योंकि दूध फटने से घबराते नहीं , ,अक़्ल लगाकर, उसी फ़टे दूध से , महंगी क़ीमत में बिकने वाला पनीर,, कलाकन्द , मोहनखीर और छाछ बना कर मज़े करते हैं, , कोटा में कोचिंग छात्र छात्राओं में निराशावाद के बाद आत्महत्या के इस वातावरण को सकारात्मक करने , बच्चों को हौसला देने , हारे हुए बच्चों को , उनकी दूसरी ताक़तों का अहसास दिलाकर, बेहतर से बेहतर करने के लिए प्रेरित करने को लेकर, कोटा में अतिरिक्त नगर दंड नायक , प्रशासनिक अधिकारी , बृजमोहन बैरवा ने छात्र छात्राओं में , निराशावाद से आशावाद की किरण जगाकर उनके जीवन को , कामयाबी की रौशनी से जगमगाने के लिए ,होंसलों की उड़ान पुस्तक का प्रकाशन कर, मोटिवेशनल काम किया है ,,,, बृजमोहन बैरवा ,, जिनके पुत्र एक आई पी एस है ,तो दूसरे आई आई टी करके बीकमिंग आई ऐ एस हैं ,, वोह कामयाब हों , इसके लिए उन्हें अग्रिम
बधाई
, दुआएं , शुभकामनाएं , खुद बृजमोहन बैरवा , राजस्थान प्रशासनिक सेवा के , कामयाब प्रशासनिक अधिकारी हैं , कोटा नगर दंडनायक के रूप में , प्रशासनिक अधिकारी के रूप में उनके पास अतिरिक्त कलेक्टर कोटा नगर की कमान है , इस कारण उन्होंने कोटा में रहते हुए ,बच्चों का दर्द जाना है, दर्द समझा है , उनसे खुद रु बरु होकर उनकी समस्याएं समझी हैं , उनके माता पिता से बच्चों के अचानक चले जाने के कारण भी जाने है , तो उनके दुःख दर्द को नज़दीक से देखा है , ऐसे में , बृजमोहन बैरवा जो खुद मोटिवेशनल है , साहित्यिक मिज़ाज़ रखते हैं , संवेदनशील हैं , कोरोना संवेदनशीलता में इनकी मोटिवेशनल मदद, सभी ने देखी है , सराहना भी की है, साहित्यिक मिजाज़ के चलते , बृजमोहन बैरवा उस वक़्त , कोरोना काल में निराशावाद से जूझ रहे , परिवारों में हो रही मौतों के बाद आ रही परेशानियों से त्रस्त , कोरोना गाइड लाइन में घरों में क़ैद रहने के लिए मजबूर लोगों को मोटिवेट करने के लिए भी एक पुस्तक का प्रकाशन कर चुके है , ब्रिज मोहन बैरवा ने कोटा के छात्र छात्राओं को , अवसाद से निकलकर, निराशावाद से आशावाद की किरण जगा कर , उन्हें मोटिवेट करने के उद्देश्य से, कोई काम नहीं है मुश्किल जब किया इरादा पक्का , की ताक़त समझाने और कोशिश करो , कोशिश करो, , हार गए तो क्या , वैकल्पिक संभावनाएं तलाशो , वाला रामबाण फार्मूला भी उन्हें सुझाया है , उनकी यह पुस्तक , हौसलों की उड़ान यक़ीनन आज के इस कोटा कोचिंग माहौल में , बच्चों के लिए , बच्चों को एजुकेशन दे रहे , कोचिंग गुरुओं के लिए , उनके माता पिता , बच्चों के मोटिवेशन कार्य्रक्रमों में लगे गाइड के लिए , प्रशासनिक , पुलिस अधिकारीयों के लिए यक़ीनन उपयोगी है , ज्ञानवर्धक है ,,आर पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस, पुस्तक हौसलों की उड़ान में ,, राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बृजमोहन बैरवा ने , 25 मोटिवेशनल लघु कथाएं , प्रकाशित करते हुए, पूर्व में चल रही मोटिवेशनल कथाओं को , री प्रोड्यूस , कर कोचिंग छात्र छात्रों और गुरुओं को , मोटिवेट करने के प्रयास किये हैं , यह पुस्तक घर घर , हर बच्चे के पास अगर पहुंचती है , और अगर बच्चा उसे पढ़ता है , तो यक़ीनन टारगेट में असफल होने पर निराशावाद की तरफ जाकर, अवसाद में हो जाने से जो बच्चे ज़िंदगियाँ हार रहे हैं , वोह बच्चे , हार कर भी जीतेंगे , एक लड़ाई हारे तो दूसरी लड़ाई लड़ेंगे ,,फिर निराशावाद में नहीं जायेगे , उनका आशावाद उन बच्चों को , वैकल्पिक रूप में कामयाब बनाएगा ,, बृजमोहन बैरवा की इस पुस्तक में , तनाव कारण और निवारण ,,,अभ्यास ,, खुद को पहचानो ,, कल क्यों ,,, बस जीतना हैं , चलो जागो चलो ,, आत्मविश्वास , सुनो समझो और अपनाओ ,, नज़रिया ,, दूरदृष्टि , महत्वाकांक्षाओं का बोझ , होसला , हिम्मत की क़ीमत , धैर्यवान बनो , ,ईश्वर पर भरोसा ,, बुज़ुर्गों की सीख , मेरी इच्छा ,, गुरुजी की चोट ,, लघु कथा ,एक , लघु कथा दो ,, लक्ष्य ,, आत्मदीपो भव , अवसर को मत छोडो , ,, हंसना ज़रूरी है , सहित 25 मोटिवेशनल स्लोगन्स , फारमूले , लघु कथाएं , जीवन की सच्चाई के रूप में , सिर्फ 56 पृष्ठ में शामिल करते हुए उक्त पुस्तक का प्रकाशन किया है , पुस्तक के अवलोकन से लगता है , के पुस्तक प्रकाशन के पूर्व , ,कोई इधर उधर की सोच नहीं , सिर्फ आत्महत्याओं के खिलाफ मोटिवेशन ही प्रमुख लक्ष्य रहा है , जो हार गया है , वोह हारा नहीं , फिर लड़ेगा फिर जीतेगा, जो लक्ष्य उसने चाहा अगर वोह मिला भी नहीं तो फिर उसे उससे बेहतर वैकल्पिक लक्ष्य मिलेगा वोह ज़रा कोशिश तो करे , ,इसी भावना के साथ इसी मोटिवेशन के साथ ,, बृजमोहन बैरवा की यह संक्षिप्त पुस्तक यक़ीनन , बेहतरीन है , वक़्त की ज़रूरत है , इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए उन्हें बधाई
,, मुबारकबाद ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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