भारत , प्यार , मोहब्बत , खेलकूद , त्यौहार और उत्सवों का देश है , ,यहां रोज़ मर्रा कोई न कोई त्यौहार , कोई ना कोई उत्सव , मेले ,, सांस्कृतिक , लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं , विश्व पर्यटन स्तर पर ,भारत के उत्सव , मेले , स्मारकों ,, पर्यटन स्थलों की अलग ही पहचान है ,जो ,दूर दराज़ के , विदेशी पर्यटकों को , भारत में खेंच लाती है , और ऐसे पर्यटक भारत में , आकर, इन उत्सवों ,, मेलों में शामिल होकर , अपना मनोरंजन करते हैं , ,रोज़ मर्रा की ज़िंदगी की थकान कम करते है ,, भारत के उत्सव , मेलों की महत्ता बताने के लिए ही , विख्यात लेखक , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ,, जिनका लेखन , पर्यटकों के लिए ज्ञानवर्धक , हेंड बुक के रूप में होता है, जबकि , रिसर्च स्कॉलर के लिए भी इनके लेखन से , रिसर्च स्कॉलर अपने लेखन , रिसर्च कार्य में , फायदा उठाते रहे हैं , ,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा सहित कई महत्वपूर्ण ज़िलों में राजस्थान सरकार की तरफ ,से जन सम्पर्क अधिकारी , सहायक निदेशक , जन सम्पर्क , संयुक्त निदेशक जन सम्पर्क के पद पर काम करने के बाद, पर्यटकों को ,आकर्षित करने , भारत में क़ौमी एकता का पैगाम देने के लिए , लेखन कार्य कर रहे हैं , इनकी कई पुस्तके इसी उद्देश्य से नियमित प्रकाशित होकर, बहुउपयोगी साबित हुई हैं ,, ,यूँ तो भारत के हर राज्य , हर ज़िले में , हर रोज़ मेले , हर रोज़ उत्सव हैं , लेकिन देश के 21 राज्यों में लगभग 82 उत्सव ऐसे है , जिन्हे विस्तृत रूप से अलग अलग राज्यों के अलग अलग ज़िलों की पहचाना , सांस्क्रतिक महत्व के साथ , मेले , और उत्सवों को इस पुस्तक लेखन में शामिल किया गया है, खुद डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , राजस्थान के हैं , राजस्थान में मुखयमंत्री अशोक गहलोत ने ,, उत्सव और मेलों के विकास के लिए मेला विकास प्राधिकरण का गठन कर , रमेश बोराणा को इसका चेयरमेन बनाकर मंत्री दर्जा दिया है , जबकि , अन्य राज्यों में भी सरकार की तरफ से , मेले , उत्सव आयोजन में , मदद होती है , ,देश भर में रावण वध के बाद, लगभग हर ज़िले में मेले भरे जाते है , ,लेकिन विख्यात मेलों में कोटा मेला दशहरा , कुल्लू का मेला दशहरा ,, मैसूर का मेला दशहरा ही , सबसे विख्यात है , यहां हर भाषा , हर संस्कृति से जुड़े कार्य्रकम होते है , देश भर के व्यापारी , दो हफ्ते से भी ज़्यादा वक़्त एक विशेष मेला स्थल पर , रूककर, मेले में शामिल होते है , जिनकी दुकाने , झूले , सर्कस , मनोरजंक साधन , रात रात भर चलते हैं , एक तरफ तो , देश भर के उत्पाद इन मेलों में होते हैं , तो सांस्कृतिक , साहित्यक , कार्यक्रमों के नाम पर इन मेलों में रात भर कार्य्रकम चलते हैं , कोटा में तो मेले स्थल को , स्थाई रूप से , प्रगति मैदान की तरह से एक नया रूप दे दिया गया हैं , , देश भर में धार्मिक उत्स्व के रूप में कुम्भ का मेले मशहूर है , इनमे लाखों लाख लोग शामिल होते हैं ,इन मेलों में धर्म संस्कृति के साथ साथ मनोरजन की व्वयस्थाये भी होती है , ,महाराष्ट्र में गणेश उत्सव का अपना महत्व है , उड़ीसा में जगन्नाथपुरी रथ यात्रा , पश्चिमी बंगाल का दुर्गा उत्स्व ,बिहार का छट पूजा उत्सव महत्वपूर्ण है , जबकि राजस्थान में , अजमेर में ख्वाजा साहब के उर्स के वक़्त , ज़ाएरीनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मेले का माहौल होता है , और इसी ज़िले में , पुष्कर में , देश भर के मात्र एक ब्रहम्मा मंदिर का पुष्कर मेला अपने आप में महत्वपूर्ण होता है , , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने , अपनी इस पुस्तक में , किस राज्य के किस ज़िले में कोन कौन से मेले,, उत्सव आयोजित होते है , इस मामले में उन्होंने , विख्यात मेले , और उत्सवों का , संक्षिप्त परिचय इस पुस्तक में शामिल किया गया है , मेले , उत्सव किस अवधि में , आयोजित होते है , इसका भी इस पुस्तक में उल्लेख है , ऐसे में यह पुस्तक , देश वासियों सहित , विदेश से भारत आकर, उत्सव और मेलों का आनंद लेने के शौक़ीन पर्यटकों के लिए यह पुस्तक एक बहुउपयोगी मार्गदर्शिका , है जो , एक गाइड का काम ,करेगी , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने अपनी इस पुस्तक में , भारत की धर्म , संस्कृति , क़ौमी एकता कार्यक्रमों , को भी , एक साथ समेट कर , गंगा जमुनी , संस्कृति का महत्व बताने का प्रयास किया है , ,आदिकाल से चले आ रहे यह मेले ,, यह उत्सव किसी भी शासक के कार्यकाल में बंद नहीं हुए , शासक कोई भी रहा हो , किसी भी धर्म का शासक रहा हो , ,इन मेलों ,, उत्सवों के आयोजन में हर शासक ने बिना किसी धर्म के भेदभाव के महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है , ,, आदिकाल से चले आ रहे , इन उत्सव और मेलों के आयोजन में , आधुनिक युग के चलते , परिवर्तन भी हुए है , और व्यस्थाओं में सुधार भी होते रहे हैं ,, ,पुस्तक में खास तोर पर ,, भारत के पर्यटन उत्सव,,1 आंध्रप्रदेश में काकीनाडा बीच उत्सव,,2 अंडमान निकोबार में ,रंगीन द्वीप पर्यटन उत्सव 3 बिहार में
सोनपुर पशु मेला, छट पूजा उत्सव,, 4 गोवा में ,, कार्निवाल, नया वर्ष उत्सव , 5 गुजरात में ,, मांडवी बीच उत्सव, तीथल बीच पर्यटन उत्सव,,अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव, अहमदाबाद में होता है ,, जबकि 6 हरियाणा में , सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प उत्सव, अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव, कुरुक्षेत्र, पिंजौर हेरिटेज फेस्टिवल
7 हिमाचलप्रदेश में कुल्लू का दशहरा, आइस स्केटिंग उत्सव शिमला, अंतर्राष्ट्रीय हिमालियन उत्सव मैक्लोडगंज, ग्रीष्मोत्सव शिमला, 8 जम्मू कश्मीर में
केसर और हाउस बोट उत्सव श्रीनगर, ट्यूलिप फेस्टिवल श्रीनगर, गुलमर्ग शरद उत्सव, 9 कर्नाटक में , हम्पी उत्सव हम्पी, मैसूर का दशहरा,
10 कुम्भ के मेले का उत्सव के रूप में हरिद्वार, उज्जैन, नासिक, इलाहबाद में बढे आयोजन होते हैं , जबकि 11 लद्दाख में लद्दाख उत्सव, खुबानी उत्सव ( खुबानी फल), हेमिस उत्सव, 12 मध्यप्रदेश में , खजुराहो उत्सव, तानसेन समारोह ग्वालियर, कालीदास समारोह इंदौर, लोकरंग उत्सव भोपाल
13 महाराष्ट्र में , एलिफेंटा उत्सव, एलोरा - अजंता उत्सव, गणेश उत्सव, चीकू उत्सव दाहनू, कछुआ फेस्टिवल वेल्स,, 14 मणिपुर में ,संगई पर्यटन उत्सव, ( संगई हिरण है,,15 नागालैंड में ,,हार्निबिल उत्सव ( हार्निबिल चिड़िया है )16 ओडिशा,,में कोणार्क उत्सव, जगन्नाथपुरी रथ यात्रा उत्सव, पुरी बीच उत्सव, कलिंग महोत्सव, धौली, आदिवासी मेला भुवनेश्वर, राजरानी संगीत महोत्सव, , 17 पश्चिम बंगाल में ,,गंगा सागर मेला, दुर्गा पूजा उत्सव, 18 राजस्थान में , मरु उत्सव जैसलमेर, पुष्कर मेला पुष्कर, ख्वाजा साहब का उर्स अजमेर, चंद्रभागा मेला झालरापाटन, बूंदी उत्सव, मत्स्य उत्सव अलवर, कुंभलगढ़ उत्सव राजसमंद, रणकपुर उत्सव पाली, शरद उत्सव - ग्रीष्म उत्सव माउंट आबू, अंतर्राष्ट्रीय पतंग उत्सव जयपुर, ऊंट उत्सव बीकानेर, नागौर मेला नागौर, बेणेश्वर मेला डूंगरपुर, कोलायत मेला बीकानेर, मारवाड़ उत्सव जोधपुर, तीज उत्सव जयपुर/बूंदी, दशहरा मेला, कोटा, गलियाकोट उर्स डूंगरपुर, मोमासर उत्सव बीकानेर, आभानेरी उत्सव दौसा, रामदेवरा मेला, जैसलमेर19 तमिलनाडु में , ममलपुरम उत्सव, नाट्यांजली उत्सव
20 त्रिपुरा में ,नीर महल उत्सव, ऑरेंज एंड टूरिज्म फेस्टिवल21 उत्तरप्रदेश में ,ताज उत्सव आगरा, रंगोत्सव मथुरा, गंगा महोत्सव वाराणसी, दीपोत्सव अयोध्या, नौचंदी मेला मेरठ, अवध उत्सव लखनऊ कुल 21 राज्यों के 82 उत्सव डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल की इस किताब में शामिल हैं।
उत्सव -- मेले, संगीत, नाट्य, आदिवासी, हस्तशिल्प , धार्मिक पौराणिक, पर्वों पर आधारित, स्थानीय पशु पक्षियों, फलों और अन्य विशेषताओं के आधार पर है , इस पुस्तक का ,,उद्देश्य - पर्यटन को बढ़ावा देना है इस पुस्तक मेले और उत्सवों के लाभ - बताये गए है जिनमें *पर्यटन का विकास हुआ*हस्त शिल्पियों को बढ़ावा मिला*विदेशी मुद्रा की आय*स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच मिला और प्रोत्साहन से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की।*कई उत्सव शनै : शनै: क्षेत्रीयता से निकल कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के हो गए।*राज्यों की संस्कृति का प्रचार* खेलों को प्रोत्साहन
* विभिन्न प्रतियोगिताओं से बच्चों और युवाओं का मानसिक विकास और मनोरंजन*विदेशियों की भागीदारी* कुछ उत्सवों में विदेशी कलाकार भी भाग लेते हैं।
* स्वास्थ्य मनोरंजन, मानसिक शांति, तनाव से मुक्ति, * सभी वर्गों के लोगों द्वारा शामिल होने से सामाजिक मेलमिलाप और आपसी सद्भाव ने वृद्धि
* मेले सांप्रदायिक सद्भाव और कौमी एकता को मजबूत करते हैं। एक दूसरे के धर्म के प्रति सम्मान की भावना का विकास होता है। जिसे प्रमुखता से बताया गया है ,, * कुछ मेले ऐसे हैं जेसे ख्वाजा साहब का उर्स और रामदेवरा आदि जिनमें सभी धर्मो के अनुयायी पूरी आस्था और श्रद्धा रखते हैं।* गंगासागर, जगन्नाथ पुरी यात्रा, कुंभ और महाकुंभ, ख्वाजा साहब का उर्स जैसे बड़े और भव्य आयोजन हैं। डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने इस पुस्तक में कढ़ी महनत के साथ ,देश के हर राज्य , केंद्र शासित प्रदेश में आयोजित होने वाले , ऐतिहासिक , धार्मिक , उत्सव और आयोजनों की महत्ता के साथ , उनके ऐतिहासिक पौराणिक महत्व के साथ , संक्षिप्त में , गागर में सागर भरते हुए , पर्यटकों , शोधकर्ताओं के लिए इस पुस्तक को बहुउपयोगी बना दिया है , , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 जुलाई 2023
भारत , प्यार , मोहब्बत , खेलकूद , त्यौहार और उत्सवों का देश है
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