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02 जुलाई 2023

,माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बेंच में विचाराधीन , याचिका डी बी सिविल रिट पिटीशन सो मोटो , बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान वगेरा , नंबर 99 /2016 कनेक्टेड डॉक्टर त्रिलोकी नाथ शर्मा बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान डी बी सिविल रिट पिटीशन नंबर 19602 /2022 आगामी सुनवाई पेशी 20 जुलाई 2023 मामले में निस्तारण के पूर्व जनहित में कोटा का स्थाई निवासी , सोशल वर्कर , स्वतंत्र लेखक ,, मानवाधिकार कार्यकर्ता ,,, एडवोकेट होने के नाते कुछ सुझाव देने के क्रम में , ,उक्त सुझाव अगर उपयोगी हो तो प्लीज़ , उक्त उक्त रिट जिसमे कोटा कोचिंग छात्रों , सीकर कोचिंग छात्रों की रोज़ मर्रा आत्महत्याओं पर अंकुश लगाने के प्रयास हैं , उसमे शामिल करवाकर , राजस्थान सरकार,केंद्र सरकार और संबंधित विभागों को निर्देश देकर अनुग्रहित करने के क्रम में ,

 प्रतिष्ठा में ,,
माननीय मुख्य न्यायधीश महोदय
राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर बेंच
हाईकोर्ट परिसर , भगवान दास रोड सी स्कीम
अशोक रोड जयपुर राजस्थान 302005
विषय ,,माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बेंच में विचाराधीन , याचिका डी बी सिविल रिट पिटीशन सो मोटो , बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान वगेरा , नंबर 99 /2016 कनेक्टेड डॉक्टर त्रिलोकी नाथ शर्मा बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान डी बी सिविल रिट पिटीशन नंबर 19602 /2022  आगामी सुनवाई पेशी 20 जुलाई 2023 मामले में निस्तारण के पूर्व जनहित में कोटा का स्थाई निवासी , सोशल वर्कर , स्वतंत्र लेखक ,, मानवाधिकार कार्यकर्ता ,,,  एडवोकेट होने के नाते  कुछ सुझाव देने के क्रम में , ,उक्त सुझाव अगर उपयोगी हो तो प्लीज़ , उक्त उक्त रिट जिसमे कोटा कोचिंग छात्रों , सीकर कोचिंग छात्रों की रोज़ मर्रा आत्महत्याओं पर अंकुश लगाने के प्रयास हैं , उसमे शामिल करवाकर , राजस्थान  सरकार,केंद्र सरकार और संबंधित विभागों को निर्देश देकर अनुग्रहित करने के क्रम में ,
मान्यवर ,
सीकर और कोटा में , नीट , रीट , सी ऐ सहित विभिन कोचिंग लेने वाले छात्र , छात्राओं की संख्या दो लाख से भी अधिक कोटा में , और सीकर में पृथक से है , हर साल छात्राएं यहां कामयाबी का नया सपना लेकर आते है , अभिभावकों के लाखों रूपये फीस ,, हॉस्टल , अन्य मामलों में खर्च करते हैं , जिनमे से कुछ पास होते है , बाक़ी बच्चे या तो कोटा में ही रिपीटर के नाम पर रुक जाते है और यहीं रहकर, आपराधिक गतिविधियों में भी लिप्त हो जाते हैं , जबकि असफल होने के बाद , कुछ छात्र छात्राएं निराशावाद में आने से, आत्महत्याएं भी कर रहे हैं , इधर कोटा में  ओयो होटल संस्कृति , और बिना ओयो वाली , होटलों में , एक एक घंटे के लिए छात्र छात्राओं का जो आवागमन है , वोह भी बाद में ब्रेक अप के बाद अवसाद फिर आत्महत्या का कारण है , ऐसे में कुछ बिंदुओं पर तो आदरणीय ने चर्चा की है , लेकिन कुछ बिंदु सुझाव के रूप में आदरणीय की सेवा में पेश हैं ,
सुझाव नंबर 1 ,,, आदरणीय कोचिंग शिक्षा और स्कूली शिक्षा दोनों के अलग अलग पैटर्न हैं , , स्कूली शिक्षा आठवीं क्लास से बाहरवीं क्लास तक , स्कूलों में प्रशिक्षित टीचर्स , जो बी ऐड होते है , जिन्हे बाल मनोविज्ञान का ज्ञान होता है , विशेष प्रशिक्षित होते है , बच्चों पर कितना बोझा लादना चाहिए , उन्हें कब खेलकूद , मनोरंजन की ज़रूरत है , वोह यह सब जानते हैं , लेकिन कोटा में तो , कोचिंग पढ़ने वाले बच्चों का स्कूल ही छीन गया है , चाहे , राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड हो , चाहे , केंद्रीय उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड हो , सभी स्कूलों में , क़रीब दो लाख छात्र छात्राएं दोहरी पढ़ाई के नाम पर, सिस्टम को धोखा दे रहे हैं , और तनाव ग्रस्त हो रहे हैं ,, एक छात्र ,छात्रा जो , एक ही समय में , स्कूल में भी उपस्थित है , वही , कोचिंग में भी उसी समय में उपस्थित रहता है , इतना ही नहीं , माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में , उनकी उपस्थित भी जाती है , और प्रेक्टिकल नंबर भी जाते हैं , स्कूल के भेजे जाने वाले नंबर भी जाते है , लेकिन यह छात्र छात्राएं स्कूल कभी जाते ही नहीं , सिर्फ एक्ज़ाम देने जाते हैं , और स्कूली शिक्षा , स्कूली अनुशासन , प्रशिक्षित बी ऐड , एम ऐड पढ़े लिखे अध्यापक जो इस आयु वर्ग के बच्चों का मनोविज्ञान समझते हैं , उनके अनुभवों से यह वंचित है , इन बच्चों का स्कूली सिस्टम तो ,, बेईमानी पूर्वक , धोखाधड़ी वाला ,फ़र्ज़ी उपस्थिति वाला है , जबकि रोज़ मर्रा कोचिंग में इन्हे, प्रशिक्षित अनुभवी , बाल मनोविज्ञान के जानकारों के खिलाफ ,, सिर्फ मशीने मिलती हैं, जो पैकेज के नाम पर इंजीनियर , डॉक्टर , भी होते है , यह लोग इन बच्चों को , थोक में , सैकड़ों की तादाद में , एक साथ , पढ़ाते हैं , यह शिक्षक सिर्फ बिना बाल मनोविज्ञान के अनुभव के , बच्चों में कोपीटीशन स्ट्रेस के साथ पढ़ाते हैं , एक मशीन समझते हैं , छोटे बच्चों पर पढ़ाई का वज़न लादते है , कम्पीटिशन के नाम पर नंबरिंग में आगे पीछे होने से , यह अवसाद में होते है , आगे बैठोगे , पीछे बैठोगे , इस बेच में नहीं उस बेच में बैठोगे , निम्न बैच में पढोगे , वगेरा वगेरा ,ऐसी सम्याएं हैं , जिन पर चिंतन होना चाहिए , और ऐसे स्कूल , जो एक बच्चे को कोचिंग में उपस्थित होने पर भी , स्कूल की उपस्थिति भी दे रहे हैं जांच करवाकर , उनके खिलाफ कार्यवाही होना ज़रूरी है , राजस्थान शिक्षा बोर्ड हो, केंद्रीय शिक्षा बोर्ड हो , ऐसे स्कूलों की मान्यता भी रद्द करे ऐसे आदेश हुआ ज़रूरी है , कोचिंग में भी छात्र छात्राओं को पढ़ाकर, स्कूल की शिक्षा को जोड़ने पर , ऐसे कोचिंग वालों के  खिलाफ भी कार्यवाही ज़रूरी है , ताकि , डबल लोड बच्चे पर नहीं पढ़े , और बच्चा कॉम्पिटिशन के नाम पर अवसाद में नहीं आये ,
सुझाव नंबर 2 ,, आदरणीय कोचिंग चाहे कोटा में हों ,चाहे सीकर में , हर कोचिंग इंस्टीट्यूट के लिए , उनकी बैठक क्षमता के अनुरूप , ,बेच वाइस समीक्षा करने के लिए , विशेषज्ञ टीम की ज़रूरत है , जबकि , स्वतंत्र विशेषज्ञ टीम द्वारा प्रवेश परीक्षा लेकर , पात्र स्टूडेंट का प्रवेश चयन कोचिंग के लिए तय करें , तो ठीक है , इससे अनवांटेड बच्चे जो , पढ़ना नहीं चाहते या , पढ़ने की उनमे क्षमता नहीं है , वोह खुद ही अलग हो जाएंगे ,और फिर कॉमर्शियल बाज़ारवाद के नाम पर उन्हें एडमिशन देने से रोक होने के कारण ,, अनावश्यक पढ़ने में जो बच्चे इंट्रेस्टेड नहीं हैं , वोह बाहर हो जाएंगे , फिर आपराधिक गतिविधियां नहीं होंगी , निराशावाद में कमी रहेगी , अनावश्यक भीड़ से भी बचाव होगा,  दूसरे , कोचिंग या तो , बाहरवीं पास के लिए ही करवाए जाने का नियम हो , इससे स्कूलों के छद्म डमी एडमिशन पर रोक ,लगेगी  और बच्चा स्कूली शिक्षा का अनुशासित ज्ञान अनुभव भी प्राप्त करेगा ,, और अगर स्कूल के साथ ही कोचिंग की व्यवस्था हो , तो स्कूल के जो , पढ़ाई का वक़्त है , उस वक़्त कोई भी कोचिंग , शुरू ही ना हो , ताके स्कूली टाइम के बड़ा ,बच्चा स्कूली शिक्षा के साथ , कोचिंग में जाए और , सही मायनों में वोह स्कूली शैक्षणिक अनुभव के साथ मानवता के पाठ , भाईचारे , सद्भावना , एक्स्ट्रा कलिकुलर एक्टिविटी के साथ , पृथक से स्कूल समय के बाद कोचिंग में पढ़ कर , इंजीनियर डॉक्टर बन सके , इससे इन लोगों में हुमिनिटी भी डवलप होगी , और , एक ही समय में कोचिंग , और , स्कूल की झूंठ के दबाव से इन्हे छुटकारा मिलेगा , स्कूली शिक्षा का मनोविज्ञान इन्हे , मशीनी मानव की जगह , इंसान बनाएगा ,, इसलिए , कोचिंग और स्कूली शिक्षा को अलग अलग करना ज़रूरी है , स्कूली शिक्षा में हर हाल में उपस्थिति भौतिक रूप से हो , स्कूल के बाद बच्चा चाहे तो कोचिंग में जाए, इसके लिए , विशेष टीम का गठन हो जो ईमानदार हो , और ऐसी नियमावली के खिलाफ एडमिशन देने पर , चाहे स्कूल हो , चाहे कोचिंग हो , वोह मानयता रद्द होने के साथ साथ , सीज़ भी किया जाने का नियम दिशा निर्देश हों ,,
सुझाव नंबर 3 ,,,आदरणीय कोटा में बाल कल्याण समिति तो है , लेकिन वोह अटेंडिंग एज वाले , कोचिंग , स्कूलों में ,कभी जांच करने , उनकी सुख सुविधाओं के बारे में निष्पक्ष रिपोर्ट के लिए नहीं जाते हैं , ऐसे में बालकल्याण समिति के साथ  पत्रकारों , वकीलों , समाजसेवियों की एक स्थाई समिति जो स्वतंत्र हो , कलेक्टर या किसी सियासी पार्टी , या कोचिंग , निजी स्कूल के अधीन ना हो , खुद माननीय हाईकोर्ट उस कमेटी को , कोटा , और सीकर के लिए गठित करे , जो, महीने में , दस बार तो अलग अलग स्कूलों कोचिंगों में उनका शैक्षणिक कार्य बाधित किये बगैर , उनकी सुविधाएँ , उपस्थिति , अध्ययन के तरीके , सहित , अन्य बिंदुओं ओर रिपोर्ट तय्यार कर जिला प्रशासन के अलावा सीधे श्रीमान तक भी नियमित पहुंचवायें ताकि , गड़बड़ कमिया होने पर , कार्यवाही , सुझाव दिए जा सकें ,,
सुझाव नंबर 4 ,,आदरणीय , कोटा हो चाहे सीकर हो , यहां बाहर से पढ़ने आने वाले हर बच्चे , उनके पेरेंट्स का डेटा नाम पते , मोबाइल नंबर सहित कलेक्ट्री में होना अनिवार्य है , जहाँ एक स्टूडेंट का अलग से कंट्रोल रूप हो , जो चौबीस घंटे संचालित हो , इस कंट्रोल रूम में, वकील ,पत्रकार ,चिकित्स्क , शिक्षाविद सहित , प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी सहयोगी हो , ,जो ,तत्काल गतिविधियों पर ध्यान रखे , और संबंधित थानाधिकारी , ऐसे मामलों में ,एलर्ट रहें , सी आई डी , सहित , अन्य पुलिस संस्थाओं को भी , सादो  वर्दी में , कुछ छात्र छात्रों को चिन्हित कर , उन पर नज़र रखने के निर्देश हों, जिसकी मॉनिटरिंग भी  माननीय हाईकोर्ट ही करे ,
सुझाव नंबर 5 , आदरणीय कोटा में कुछ ओयो होटलें , पर्यटन स्थल , और हॉस्टल , होटल्स ऐसे भी हैं , जो , एक घंटे , दो घंटे , तीन घंटे के लिए महंगे दामों पर ,कमरे  किराये पर देते हैं , ऐसे में कुछ कोचिंग छात्र छात्राएं भी , इनका उपयोग करते हैं , साफ़ बात है , अकेले में कमरे में , अलग से जो यह आते जाते हैं , किसलिए आते हैं , कई बार कुछ लोगों ने , ऐसे होटलों के खिलाफ शिकायत भी की , मेने खुद ने ,सी एल जी  समिति की बैठक में बात उठाई , लेकिन पुलिस अधिकारीयों का इस पर कोई ध्यान नहीं है , सीधा जवाब होता है , लीव इन रिलेशन शिप की वजह से , हम कुछ नहीं कर सकते , हमारे पास कोई अधिकार इन्हे रोकने का नहीं है , इसे वोह स्वेच्छिक व्यभिचार कहकर पल्ला झाड़ लेते है , लेकिन इस की आढ़ में कई अटेंडिंग एज वाले बच्चे भी , इस तरह की गलतियां बहकावे में आकर कर लेते है , जिसका नतीजा ,ब्रेक अप फिर निराशावाद , फिर आत्महत्या की तरफ भी हो सकता है , और हुआ भी है , ,ऐसे में कोटा के हर हॉस्टल , हर होटल,. , हर कोचिंग का एक ही मुख्यद्वार हो , और हर मुख्यद्वार पर, सी सी टी वी कैमरे लगाकर,  पुलिस नियंत्रित अभय कमांड सेंटर से उसका जुड़ाव हो , जिस पर पुलिस के अभय कमांड सेंटर के अधिकारी , पूरी नज़र रखें , अवसर होने पर, छोटे बच्चे अगर दिखे तो , संबंधित थाने के ज़रिये , तुरतं कार्यवाही करवा सकें , इससे भी , ब्रेक अप , या अनावश्यक अपमानकारी विचारधारा के कारण होने वाला निराशावाद पर अंकुश लगाया जा सकेगा ,,
सुझाव नंबर 6 ,, आदरणीय श्रीमान के समक्ष यह रिट वर्ष 2016 से विचाराधीन है , इस दौरान , कई कोचिंग इंस्टीट्यूट बंद हो गए , कई बिक गए , कई कोचिंग इंस्टीट्यूट नए बन गए , नए कोचिंग संचालित है , ऐसे में जिला कलेक्टर से , नए सभी संचालित कोचिंग की सूचि , उनके छात्र छात्राओं , उनका अध्ययन समय , बेचेज़ ,, प्रवेश की प्रर्किया , ,छात्र छात्रों की संख्या , पढ़ाने वाले , लोगों के नाम , पते , उनकी शैक्षणिक योग्यता , बालमनोविज्ञान कोर्स का अनुभव जो भी हो मंगवाकर रिकॉर्ड पर लिवायें साथ ही , 2016 से किस किस , कोचिंग के , किस स्कूल के , कितने बच्चों ने , आत्महत्या की , उनकी सूचि भी , उनकी जांच रिपोर्ट भी , अपनी निगरानी में माननीय हाईकोर्ट द्वारा मँगवाना ज़रूरी है , इसी तरह स्कूलों में और कोचिंग में पढ़ने वाले , दोहरे एडमिशन की भी  भौतिक समीक्षा करवाकर   निष्पक्ष रिपोर्ट मंगवाया जाना ज़रूरी है , ताकि पता लगे , ,की एक ही छात्र , एक ही समय में स्कूल और कोचिंग में कैसे उपस्थित हो रहा है ,,
सुझाव नंबर 6 ,,  आदरणीय वर्ष 2016 से  आजदिनांक तक , जितनी भी आत्महत्याएं हुई है , उनकी मर्ग रिपोर्ट , जांच रिपोर्ट , पुलिस की जांच कार्यशैली की समीक्षा भी ज़रूरी है , क्योंकि , ऐसे मामलों में जब गंभीर स्थिति है , तो किस बच्चे , बच्ची की आत्महत्या की वजह क्या रही ,भविष्य में आत्महत्याओं को रोकने के अध्ययन के लिए ज़रूरी है , कोटा में अधिकतम बाहर के छात्र छात्राएं हैं , ऐसे में की आत्महत्या हुई , तो परिजन आकर , फॉर्मल पोस्टमार्टम करवाकर , शव को , तुरतं ले जाना चाहते है , फिर जांच 174 सी आर पी सी की हो , या फिर , 176 सीआर पी सी की , फोर्मलिटी हो जाती है , और क्लोज़र रिपोर्ट लगा दी जाती है , ,ऐसे में , कोटा , सीकर में छात्र छात्रों की आत्महत्या मामले में , पुलिस अधिकारीयों ,. जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश हों , हर आत्महत्या करने वाले छात्र छात्रा की पोस्टमार्टम विडिओ ग्राफ़ी , पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मोत का कारण,  ऐसी रिपोर्ट में , एफ एस एल रिपोर्ट भी निर्धारित समयावधि में दिए जाने का कठोर नियम बनाया जाए , ,आत्महत्या करने वाले छात्र छात्रा के हॉल वाले , कोचिंग पढ़ाने वाले , प्रबंधक , साथी सहयोगियों , अगर कोई गर्ल फ्रेंड , या ब्वाय फ्रेंड हो तो , हर ऐंगल से जाँच होना ज़रूरी हैं , ऐसे आत्महत्या करने वाले , छात्र छात्राओं के मोबाइल नम्बरों की जांच हो , मोबाइल की जांच हो ,, ताकि ,किनसे उनका सम्पर्क रहा , आत्महत्या की मूल की वजह क्या रही , किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके, आदरणीय सभी पुरानी मर्ग रिपोर्टों की क्लोज़र रिपोर्ट , फॉर्मल , पोस्टमार्टम मंगा देखेंगे तो कुछ में तो स्थिति हास्यास्पद ही रहेगी , इसलिए उचित मार्ग दर्शन के साथ माननीय हाईकोर्ट की निगरानी में ऐसे मामलों की सूक्ष्म समीक्षा ज़रूरी है , ,
आदरणीय माननीय हाईकोर्ट ने , कोटा और सीकर में रोज़ आत्महत्या कर रहे ,,, बेटे , बेटियों के लिए जो कठोर निगरानी क़दम उठाया है , वोह सराहनीय है , लेकिन सरकार , , कोचिंग ,,, और स्कूल , सहित जो इस व्वयस्था से जुड़े हैं , उनके हाथों से इन जांचों को , श्रीमान की निगरानी में करवाया जाना ज़रूरी है , और राजस्थान सरकार, केंद्र सरकार,  कोचिंग , स्कूल ,. जिला प्रशासन , बाल आयोग ,, , पुलिस सभी को ,कठघरे में खड़ा कर,  कढ़ी निगरानी की व्यवस्था करना ज़रूरी है , क्योंकि , इनकी अभी तक की जांच रिपोर्ट में हम खुद ही बेहतर कर रहे हैं , आल इज़ वेळ ,, निष्पक्ष जांच की जा रही है , जैसे झूंठ के सिवा कुछ ख़ास नहीं है , सो प्लीज़ , उक्त बिंदुओं सहित , अन्य बिंदुओं पर कठोरता से विचार विमर्श कर,  आगामी सुनवाई पेशी में इन सुझावों को शामिल प्रार्थी जी बगू सम्भव हो तो अपने न्याय मित्र के साथ , उपस्थित रहने की आज्ञा प्रदान करें ,,

प्रार्थी
एडवोकेट अख्तर  अली खान अकेला
रशीदा मंज़िल , मैन रोड
2 थ 15 विज्ञानगर कोटा राजस्थान 324005
मोबाइल 9829086339 , 9414939811

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