कोटा , बूंदी , बारां , झालावाड़ , चार ज़िले ,, 17 विधानसभा , रीढ़ की हड्डी कहकर सम्मान देने के बाद भी , रीढ़ की हड्डी का प्रतिनिधित्व ज़ीरो है , तो फिर बिना रीढ़ की हड्डी के तुम सीना तान कर कैसे रह सकोगे इस पर ज़रा गौर ओ फ़िक्र ज़रूर कीजिये , फिर से , राजस्थान में विकास और अमन सुकून के लिए , हाड़ोती को मज़बूत कीजिये , यहां रीढ़ की हड्डी को मज़बूत कर उन्हें उनका हक़ दीजिये जनाब ,,
तुम इनकी रीढ़ की हड्डी हो , तुम्हारी ताक़त के बल पर यह खुद को तन कर खड़ा रख पाते हैं , सत्ता में आते हैं , सत्ता सुखी होकर चलाते हैं , लेकिन , नीम हकीम लोगों की ,,,एक कहावत लोग औलाद तो पाते हैं , लेकिन दुआ और दवा देने वालों को भूल जाते हैं , तुम्हारी हालत यह लोग एक बार नहीं , हर बार ऐसे ही क्यों कर जाते हैं , तुम फिर इन्हे सरकार में लाते हो , पुरे पांच साल ,, अब उम्मीद पूरी होगी , अब उम्मीद पूरी होगी , रोज़ इन्तिज़ार करते हो ,गिड़गिड़ाते हो , फिर यही कहावत यह लोग कुर्सी बैठते ही दोहराते हैं , , हाड़ोती में तुम , चार से पांच लाख से ज़्यादा वोटर्स हो , कई जगह तुम एक तरफा जीत दिलाते हो , तो कई सीटों पर ,तुम ,जीत में मददगार होते हो , जहाँ हारते है यह लोग , वहां तुम इनकी ज़मानत बचाते हो , , लेकिन यह तुम्हारे साथ क्या करते है , क्या कर रहे हैं , या तो जी हुज़ूरों को ,, या फ़सादियों को ,, तुम्हारे सर पर बिठाते है , जो तुम्हारी बात नहीं करते , देख लो , तुम्हारे प्रतिनिधित्व के नाम पर , तुम्हारे कोटे के नाम पर ,, जिन्हे टिकिट दिए , क्या उन्होंने आज तक , अभी तक , तुम्हारे मज़हबी स्थलों , तुम्हारे मुद्दों में से कभी भी एक भी मुद्दा उठाया , पलट कर सोचो तो सही , देखो तो सही , जी हुज़ूर , लोग जो हैं , वोह तो सिर्फ दिखावे के लिए हैं , उनका होना , न होना , तुम्हारे प्रतिनिधित्व , तुम्हारे मुद्दों को , उठाने , हुकूमत तक पहुंचाकर उनके काम करवाने के लिए नाकाफी ही नहीं , ना मुमकिन है , खेर , कोटा के मज़हबी इमाम ने , लिखित में , तहरीर , जिसमे , कोटा के सभी ज़रूरी मुद्दे , थे , सभी हुकूमत के शीर्ष हाकम को बता दिए , और फिर , हुकूमत में , संगठन में , हिस्सेदारी की बात भी समझाई , इसी के बाद एक लिस्ट संगठन की आई , तुम सब गायब , लापता , ना कोटा में , ना झालावाड़ में , ना बूंदी में , ना बारां में , तुम्हे मिला बाबा जी का ठुल्लू , डिमांड चार्टर की , एक मांग भी तो पूरी करने की तरफ हुकूमत नहीं बढ़ी , खेर यह तो ज़ालिम है , तुम्हे लड़ाएंगे , तुम्हे इनके जो जी हुज़ूर हैं , इनके जो पुलिस की शह पर तुम पर ज़ुल्म करने वाले हम लोगों में से ही कुछ ज़ालिम है उनसे वोह तुम्हे डराएंगे , लड़ाएंगे , लेकिन तुम , क्या कर रहे हो , माना चलो , चार लाख लोगों में , से अधिकतम लोग डर पोक है , सो रहे है , ज़िंदा लाश की तरह साँसे ले रहे हैं , लेकिन हर ज़िले में ,दस बीस तो तुम लोग हो , दस बीस नहीं , चलो , दो चार तो तुम लोग हो , तुम आवाज़ क्यों बुलंद नहीं कर रहे , हिस्सेदारी ,भागीदारी , हक़ क्यों नहीं ,मांग रहे , इतना बढ़ा अपमान तुम्हारी बनाई हुई सरकार , लेकिन तुम इसमें यहां ज़ीरो हो , तुमसे ही , संगठन लेकिन तुम इसमें यहां ज़ीरो हो , ,अरे अभी तुम्हारे इदारे के दो झुनझुने , एक वोह जिनके हाथों में , क़ब्रिस्तान , मस्जिदों की ज़िम्मेदारी है , क्या तुमने उनसे तुम्हारे मज़हबी स्थल , के बारे में कोई बात की , क्या किसी एक ने भी कोई बात की , एक वोह जो तुम्हारी बुनियादी तालीम के ज़िम्मेदार है , क्या तुमने उनसे , तुम्हारे यहां बुनियादी तालीमी इदारों , तालीमी , प्रॉब्लम्स पर बात की , नहीं ना, वोह सरकारी खर्च पर , सरकारी कार , सरकारी ड्राइवर , सरकारी सुरक्षा कर्मचारी , सरकारी मेज़बानी , और आने जाने के यात्रा , ठहरने , ,के खर्च के अलावा , वेतन , भत्तों के साथ , यहां आये , यहां ठहरे , झालावाड़ भी गए , तुममे से , सैकड़ों लोगों ने उनका इन्तिज़ार क्या , मालाएं हाथों में लेकर खड़े रहे , उन्हें पहनाई ,, इज़्ज़त दी , लेकिन क़सम खाकर कहो , क्या तुममे से किसी ने भी , मज़हब स्थल पर छत बनाने की बात की , वहां उन्हें ले गए , कलेक्टर से उनसे बात करवाने की ज़िद की , बेचारे , लाखों रूपये सरकार के खर्च कर , यहां आये , तुम उनसे मिले भी ,, लेकिन तुम्हारी हमारी जुबां हलक़ में अटकी रही ,, हमारे नाम पर जो सहाफत से जुड़े हैं , उनकी क़लम की सियाही , सूख गई , तो फिर जब तुम्हारे साथ , तुम्हे सत्ता से अलग करने की सज़ा का ऐलान होता है , तुम्हे संगठन से अलग करने की सज़ा का ऐलान होता है , फिर भी तुम हक़ की जंग नहीं लड़ते , हाथ बाँध कर खड़े रहते हो , जुबां हलक़ में अटका लेते हो , बोलते नहीं , लिखते नहीं , तो फिर , तुम्हारा हमारा अल्लाह ही मालिक है , जो हो रहा है , होने दो , अभी तो देखे जाओ , अगर ऐसा ही चला तो अभी तुम्हारी हिस्सेदारी का हक़ छीना है , तुम्हारे इबादतघरों को विवादित किया है , देखो तुम अगर चुप रहे , अपने हको के लिए सियासत के आगे झुके ,रहे तो देखो , अल्लाह बस तुम्हे , हमे उसकी हिफाज़त में रखे , अरे बरकत हरकत में होती है , हरकत करोगे , तो बरकत उद्यान बनकर खूबसूरत होकर खिलेगी ,, तुम हरकत तो करो , अरे तुम सोचो यह हाड़ोती , यह कोटा , के इतिहास को खंगालो , यहाँ जब जब भी तुमने अंगड़ाई ली है , तो सत्ता के गुरुर में बैठे लोग जो तुम्हे उल्लू बनाकर वोट बटोरते रहे , वोह ज़मीन पर धड़ाम से गिरे मिले है , तुम तुम्हारी ताक़त तो पहचानो , , तुम कोटा में अलग अलग हिस्सों में ,छब्बीस साल , तीन साल , फिर छह महीने शासक रहे हो , जो शासक रहे वोह भी तुम्हारी मर्ज़ी से , तुम्हारी महरबानी से रहे , ,, तुमने कोटा को , अंग्रेज़ों से , अंग्रेज़ों के मुखबिर गुलामों से , जंग ऐ आज़ादी लड़कर , आज़ाद कराया है , ज़ालिम मेजर बर्टन के सर को उसका खौफ कोटा की जनता से निकालने के लिए , तुमने उसका सर कोटा की सड़कों पर घुमाया है , तुमने कोटा को आज़ाद कराया है , तुम कोटा की आज़ादी के लिए , इन्साफ की जंग के लिए फांसी पर चढ़े हो , शहीद हुए , हो , तुम्हारी यह क़ुर्बानियां ज़ाया मत जाने दो , यह देश हमारा है , यह सियासत हमारी है , हम इनके साथ है तभी तो यह हैं , अगर हम खुद हमारे साथ होगये तो फिर इनका वजूद खतरे में है , तो फिर अंगड़ाई लो , कुछ तो बोलो , कुछ तो लिखो , 17 विधानसभा दो लोकसभा , चार ज़िले , और तुम सत्ता में भी ज़ीरो , संगठन में भी ज़ीरो , और बनते फिरते हो , मेरी तरह हीरो , सोचो , समझो , एक जुट हो जाओ , इस गंभीर उपेक्षा को , ज़िम्मेदारी से समझो , एक साथ मिलो ,बैठो , मशवरा करो , हुकूमत और संगठन को , इस गलती को सुधारने का सुझाव दो , प्यार से कहो , मोहब्बत से कहो , आँखों में आँखे डाल कर कहो , और फिर भी नहीं माने तो , टेडी ऊँगली करो,, हलक़ में से अपना हक़ निकाल कर रहो , बस जो ,जी हुज़ूर है , जो हमारे , आपके मज़हब के वोटों के नाम ,पर टिकिट लाते है , पोस्टें लाते है , और फिर , हमारे मसाइलों पर , एक शब्द नहीं बोलते , मूकबधिर बनकर , अपना उल्लू सीधा करते रहते हैं , उनकी लिस्ट बनाओ , उन्हें समाज में उजागर करो , उन्हें घर में बैठकर समझाओ , माने तो ठीक , नहीं माने तो उन्हें अहसास कराओ , के ,,,,,,,,,,,, बस समझ ही गए आप तो , , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 जुलाई 2023
कोटा , बूंदी , बारां , झालावाड़ , चार ज़िले ,, 17 विधानसभा , रीढ़ की हड्डी कहकर सम्मान देने के बाद भी , रीढ़ की हड्डी का प्रतिनिधित्व ज़ीरो है , तो फिर बिना रीढ़ की हड्डी के तुम सीना तान कर कैसे रह सकोगे इस पर ज़रा गौर ओ फ़िक्र ज़रूर कीजिये
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