(ऐ रसूल) उन लोगों से कह दो कि अगर तुम ख़ुदा को दोस्त रखते हो तो मेरी
पैरवी करो कि ख़ुदा (भी) तुमको दोस्त रखेगा और तुमको तुम्हारे गुनाह बख़्श
देगा और खुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है (31)
(ऐ रसूल) कह दो कि ख़ुदा और रसूल की फ़रमाबरदारी करो फिर अगर यह लोग
उससे सरताबी करें तो (समझ लें कि) ख़ुदा काफि़रों को हरगिज़ दोस्त नहीं
रखता (32)
बेशक ख़ुदा ने आदम और नूह और ख़ानदाने इबराहीम और खानदाने इमरान को सारे जहान से बरगुज़ीदा किया है (33)
बाज़ की औलाद को बाज़ से और ख़ुदा (सबकी) सुनता (और सब कुछ) जानता है (34)
(ऐ रसूल वह वक़्त याद करो) जब इमरान की बीवी ने (ख़ुदा से) अज्र की कि ऐ
मेरे पालने वाले मेरे पेट में जो बच्चा है (उसको मैं दुनिया के काम से)
आज़ाद करके तेरी नज़्र करती हॅू तू मेरी तरफ़ से (ये नज़्र कुबूल फ़रमा तू
बेशक बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है (35)
फिर जब वह बेटी जन चुकी तो (हैरत से) कहने लगी ऐ मेरे परवरदिगार (मैं
क्या करू) मैं तो ये लड़की जनी हूँ और लड़का लड़की के ऐसा (गया गुज़रा)
नहीं होता हालाकि उसे कहने की ज़रूरत क्या थी जो वे जनी थी ख़ुदा उस (की
शान व मरतबा) से खूब वाकि़फ़ था और मैंने उसका नाम मरियम रखा है और मैं
उसको और उसकी औलाद को शैतान मरदूद (के फ़रेब) से तेरी पनाह में देती हॅू
(36)
तो उसके परवरदिगार ने (उनकी नज़्र) मरियम को ख़ुशी से कु़बूल फ़रमाया
और उसकी नशो व नुमा {परवरिश} अच्छी तरह की और ज़करिया को उनका कफ़ील बनाया
जब किसी वक़्त जक़रिया उनके पास (उनके) इबादत के हुजरे में जाते तो मरियम
के पास कुछ न कुछ खाने को मौजूद पाते तो पूछते कि ऐ मरियम ये (खाना)
तुम्हारे पास कहां से आया है तो मरियम ये कह देती थी कि यह खुदा के यहाँ से
(आया) है बेशक ख़ुदा जिसको चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है (37)
(ये माजरा देखते ही) उसी वक़्त ज़करिया ने अपने परवरदिगार से दुआ कि और
अर्ज़ की ऐ मेरे पालने वाले तू मुझको (भी) अपनी बारगाह से पाकीज़ा औलाद
अता फ़रमा बेशक तू ही दुआ का सुनने वाला है (38)
अभी ज़करिया हुजरे में खड़े (ये) दुआ कर ही रहे थे कि फ़रिश्तों ने
उनको आवाज़ दी कि ख़ुदा तुमको यहया (के पैदा होने) की खुशख़बरी देता है जो
जो कलेमतुल्लाह (ईसा) की तस्दीक़ करेगा और (लोगों का) सरदार होगा और औरतों
की तरफ़ रग़बत न करेगा और नेको कार नबी होगा (39)
ज़करिया ने अर्ज़ की परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर हो सकता है हालाकि
मेरा बुढ़ापा आ पंहुचा और (उसपर) मेरी बीवी बांझ है (ख़ुदा ने) फ़रमाया इसी
तरह ख़ुदा जो चाहता है करता है (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 जून 2023
(ऐ रसूल) उन लोगों से कह दो कि अगर तुम ख़ुदा को दोस्त रखते हो तो मेरी पैरवी करो कि ख़ुदा (भी) तुमको दोस्त रखेगा और तुमको तुम्हारे गुनाह बख़्श देगा और खुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)