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28 जून 2023

ज्योति-मित्रों के घर में शोक,जिम्मेदारी समझ तुरंत कराया नैत्रदान

ज्योति-मित्रों के घर में शोक,जिम्मेदारी समझ तुरंत कराया नैत्रदान

2. ज्योति मित्रों ने, घर के दिवंगतों का तुरंत कराया नेत्रदान 
3. शोक होने के आधे घंटे में परिजनों ने सम्पन्न कराये नेत्रदान 

संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के राष्ट्र-व्यापि नैत्रदान-अंगदान-देहदान को सबसे अधिक गति ज्योति मित्रों के सहयोग से प्राप्त हो रही हैं । संभाग के 50 से ज्यादा जूती मित्र वर्तमान में संस्था के अभियान में दिन-रात सहयोग कर रहे हैं । 

ज्योति मित्र सिर्फ अपने क्षेत्र में होने वाली मृत्यु के नेत्रदान ही नहीं करवाते, बल्कि समय आने पर अपने परिजनों के नेत्रदान करवा कर समाज के सामने एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं ।

बीते 2 दिनों में तीन ज्योति मित्रों ने अपने परिजनों के शोक की घटना घटते ही तुरंत नेत्रदान के कार्य को प्राथमिकता देते हुए अपने टीम के सदस्यों को नैत्रदान करवाने के लिये संपर्क किया ।

सोमवार को दादाबाड़ी हाउसिंग बोर्ड योजना निवासी प्रेमचंद जी चांदवाड़ की धर्मपत्नि राजकुमारी चांदवाड का आकस्मिक निधन हुआ । राजकुमारी जी की बहू अनीता जैन काफी समय से संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ ज्योति-मित्र के तौर पर कार्य कर रही हैं । सासू माँ के देवलोकगमन होते ही उन्होंने अपने परिजनों को हिम्मत दिलाते हुए,आधे घंटे में माता जी के नेत्रदान सम्पन्न करवा दिये ।

इसी क्रम में मंगलवार को संस्था के ज्योति मित्र कन्हैया शाक्यवाल,(अध्यक्ष-गणेश मित्र मंडल) ने भी छावनी निवासी अपनी सासू माँ रामभरोसे बाई के आकस्मिक निधन के ठीक उपरांत डॉ कुलवंत गौड़ को नेत्रदान करवाने के लिए संपर्क किया और टीम ने निवास पर पहुँचते ही,आधे घंटे में ही नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हो गयी । 

मंगलवार दोपहर को ही संस्था के अन्य ज्योति मित्र डॉ अमित जैन और वर्धमान जैन ने अपने ससुर श्रीमान निर्मल कुमार जैन महावीर नगर निवासी का आकस्मिक निधन होते ही,2 वर्ष पूर्व में अपनी सासू माँ सुधा जैन के भाँति ही नैत्रदान का कार्य सम्पन्न करवाया ।

तीनों ही नेत्रदान में ज्योति मित्रों ने तत्परता दिखाते हुए न सिर्फ अपने शोकाकुल परिवार के सदस्यों को हिम्मत दिलायी, बल्कि सही तरीके से समझाइश करते हुए देवलोकगामी के नेत्रदान भी संपन्न करवाये । 

ज्योति मित्र अनीता जैन का कहना है कि, समय आने पर परिजनों के नेत्रदान कराना ही, कार्य के प्रति निष्ठा और समर्पण को बताता है ।

ज्योति मित्र डॉ अमित जैन और वर्धमान जैन ने कहा कि हमारी सासू माँ का 2 वर्ष पूर्व निधन हुआ,परंतु आज भी वह किसी के आँख में जीवित है,देवलोकगामी के लिए इससे बड़ी श्रद्धांजलि कुछ नहीं हो सकती। 

ज्योति मित्र कन्हैया शाक्यवाल ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि, दुखः की घड़ी में खुद को संभालते हुए, नेत्रदान का कार्य संपन्न कराना, परिवार के सदस्यों के मन को बहुत सुकून देता है ।



 

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