जनसंपर्क विभाग प्रचार के प्रति निष्क्रिय, सरकार रिपीट होगी की मंशा को खोखला न करदे
लेखक : अख्तर खान ' अकेला ', कोटा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयासों से राजस्थान देश भर का ऐसा पहला राज्य बन गया है ,जहां जनता के हर वर्ग को हर तरह की सुविधाएं , सहयोग , सरकारी स्तर पर मिल रहा है लेकिन राजस्थान सरकार का जनसम्पर्क विभाग ,इन योजनाओं की उपलब्धियां प्रचारित करने में अपने जिला जन सम्पर्क अधिकारीयों के ज़रिए सो फीसदी विफल साबित हुआ है ।
जन सम्पर्क विभाग के अधीनस्थ जिला जन सम्पर्क कार्यालय मात्र शो पीस बन कर रह गए है। जिला स्तर पर कलेक्टर की बैठकें , मंत्रियों के दौरों के अलावा पृथक से सरकारी योजनाओं की सफलता , क्रियान्विति और लाभान्वित जनता के बारे में जिला स्तर पर काम ज़ीरो है। इससे लगता है कि जनसम्पर्क विभाग निठल्ला बैठकर कहो दिल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कल्याणकारी सरकार फिर से नारे को , मटियामेट करने की साज़िश में शामिल है । अशोक गहलोत इन बारीकियों को समझते हैं इसलिए खुद अशोक गहलोत ने वन मेन आर्मी कमांडर बनकर हर ज़िले में हर विधानसभा क्षेत्र में खुद जाकर आम जनता से रूबरू होकर जनता की कल्याणकारी योजनाओं को प्रचारित कर रहे हैं। लोगों तक उन योजनाओं का लाभ पहुंचा या नहीं इस बारे में फीड बेक ले रहे हैं । इस कारण फिर भी अख़बारों , न्यूज़ चेनल्स में योजनाओं का प्रचार हो रहा है, वर्ना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जिला स्तरीय दौरों को अगर माइनस कर दें तो फिर तो इन योजनाओं का प्रसार सरकारी खाते में सिर्फ अख़बारों के बढे बढे विज्ञापन के अलावा कुछ नज़र नहीं आता। खुद से जन सम्पर्क विभाग ने राज्य स्तरीय , जिला स्तरीय कोई पृथक से प्रयास नहीं किये हैं । ताज्जुब है ! सरकार की उपब्धियॉं , योजनाए , कल्याकारी कार्य्रकम और उनकी क्रियान्विति और उपलब्धियों के बारे में प्रचार प्रसार का ज़िम्मा जन सम्पर्क विभाग का होता है । इसके लिए जन सम्पर्क विभाग अलग से बना हुआ है ,जन सम्पर्क मंत्रालय है , जन सम्पर्क मंत्री हैं , जन सम्पर्क निदेशालय है । जिला स्तर पर जन सम्पर्क विभाग है , सैकड़ों अधिकारी , कर्मचारी , जन सम्पर्क अधिकारी हैं । पृथक से बजट है व्यवस्थाएं हैं । यहां तक की खुद मुख्यमंत्री कार्यालयों में पृथक में जन सम्पर्क ओएसडी और जनसम्पर्क सलाहकारों के नाम पर एक लम्बी नियुक्तियों वाली भीड़ भरी है । लेकिन इन सब के बावजूद भी जन सम्पर्क विभाग के मोटिवेशनल वर्क नहीं होने , से "जंगल में मोर नाचा किसने देखा" वाली कहावत के अनुसार सरकार की उपब्धियां , सरकार के काम काज , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गांधीगिरी , उनकी आम जनता के दुख दर्द ,समझकर उनके निराकरण की तत्काल जो कार्ययोजनाएं , कार्यवाहियां है , वह आम जनता तक नहीं पहुंच पा रही हैं। क़स्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में तो इस मामले में बुरा हाल है ।वह तो वैकल्पिक रूप में खुद अशोक गहलोत ने वन मेन आर्मी के रूप में मोर्चा संभाला राजीवगांधी मित्र योजना के ज़रिये प्रतिनिधि नियुक्त कर उनके ज़रिये , योजनाए आम जनता तक पहुंचवाई जा रही हैं।
जन सम्पर्क निदेशालय , जनसम्पर्क मंत्री, के पत्रकारों से भी बेहतर संबंध बनाने के प्रयास नहीं हुए है । जन सम्पर्क निदेशालय को अभी भी अपने कार्य व्यवहार और कार्य शैली में बदलाव लाना चाहिए। विज्ञापन घोटाले की कई प्रकरण तो विभाग के चल ही रहे हैं ऊपर से प्रचार की निष्क्रियता भी सामने है।
खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस मामले में संज्ञान लेकर जन सम्पर्क विभाग में वर्षों से एक ही जगह जमे अधिकारियों में आमूलचूल बदलाव करना चाहिए। इन का जिलेवार , रिपोर्ट कार्ड मंगवाकर , समीक्षा करना चाहिए । सिर्फ कलेक्टर की बैठक, पुलिस का प्रेस नॉट या किसी मंत्री का लोकल टूर, इसके अलावा किसी भी ज़िले के जन सम्पर्क अधिकारी ने , ज़िले में अलग - अलग विभाग के वरिष्ठ अधिकारीयों से सम्पर्क कर उनके विभाग की जनहितकारी योजनाएं , उनकी क्रियान्विति , उपलब्धियों ,कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वितों के बारे में कोई भी मोटिवेशनल स्टोरी खबर की है या नहीं। पत्रकारों को पृथक से खबर बनाकर प्रचारित करने के लिए उनसे बेहतर सम्पर्क बनाकर , उन्हें मोटिवेट सरकार हित में नहीं किया गया है।
ऐसे में ज़रूरी हो गया है के अव्वल तो जो अधिकारी निष्क्रिय है और सिर्फ रस्म अदायगी की नौकरी कर रहे हैं , सरकार की योजनाओं को , आम जनता तक पहुंचाने में लापरवाह साबित हुए हैं उन्हें तो बाहर का रास्ता दिखाना ही चाहिए । जन सम्पर्क मंत्रालय स्वतंत्र रूप से किसी सक्रिय मंत्री को सौंप कर इसमें आमूल चूल परिवर्तन करवाकर राजस्थान के जयपुर में बैठे जन सम्पर्क निदेशक , प्रमुख सचिव जयपुर निदेशालय में बैठे आला अधिकारियों की पृथक से बैठक हो।
राजस्थान के हर ज़िले हर संभाग में कार्यरत जन सम्पर्क संयुक्त निदेशक , उप निदेशक , जन सम्पर्क अधिकारी , सहायक जनसम्पर्क अधिकारी , कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्य्रकम हों। उन्हें हर रोज़ एक विभाग की उपलब्धियों को लेकर पृथक से खबर लिखने, प्रचारित करवाने की ज़िम्मेदारी दी जाए । ग्रामीण क्षेत्र , क़स्बाई क्षेत्र में तो यह जन सम्पर्क विभाग अपना नाता ही तोड़ चुका है इसलिए हर जन सम्पर्क अधिकारी हफ्ते में तीन स्टोरी ग्रामीण क्षेत्र में पानी , बिजली , किसान , खाद , क़ानून व्यवस्था , चिकित्सा , स्वास्थ्य , रोज़गार , विकास संबंधित उपब्धियों के अलावा सरकार की कल्याणकारी योजनाए उनके लाभार्थियों के साक्षात्कार बनाकर प्रचारित करने के लिए ज़िम्मेदार हो। ऐसे हर जन सम्पर्क अधिकारी के प्रचार कार्यों , विज्ञप्तियों , साक्षात्कारों , सहित हर लेखन , की प्रॉपर मॉनिटरिंग हो, इसके लिए चाहे सरकार को निजी स्तर पर कुछ लोगों को संविदा पर मॉनिटरिंग के लिए रखना क्यों ना पड़े । अनुभवी लोग जो सेवानिवृत हो चुके हैं , उन्हें भी टीम में शामिल कर सरकार की उपलब्धियां , योजनाएं , क्रियान्वन , जनता तक पहुंचाए गए लाभ की खबरों को धुंआधार तरीके से प्रचारित करना अब नितांत आवश्यक हो गया है। ऐसा न हो की व्यापक प्रचार के अभाव में मुख्यमंत्री का सरकार रिपीट का नारा खोखला बन कर रह जाए।
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अख्तर खान ' अकेला'
अधिवक्ता
कोटा, राजस्थान 9829086339
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