खाना छोड़,460 किलोमीटर की भागदौड़ कर,ले आये दो दृष्टिहीनों के लिये रौशनी
2. पति दूसरों की आँखों मे जीवित रहे,इसलिए एक घंटा देर से हुआ अंतिम संस्कार
जीवन
भर बच्चों को शिक्षा देते हुए बच्चों का जीवन रौशन किया, और अंतिम समय में
भी अपनी आंखों के द्वारा दो नेत्रहीनों को रोशनी देकर अपनी ज्योति को अमर
बना गये ।
आज सुबह चोमेला,
जिला झालावाड़ निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक श्री सुरेश कुमार जैन का
हृदयाघात से आकस्मिक निधन हुआ । विनम्र स्वभाव,मृदुभाषी व हँसमुख मिज़ाज के
सुरेश जी सेवानिवृत्ति के बाद से किराने का व्यवसाय कर रहे थे ।
अचानक
हुई इस घटना से चोमेला के व्यापार मंडल में यह खबर तेजी से फैल गई । थोड़े
समय पहले ही इनके बड़े भाई अशोक कुमार का भी आकस्मिक निधन हो गया था,अचानक
ही एक माह में 2 मृत्यु परिवार में हो जाने से पूरा परिवार घोर दुख में था
।
सुरेशजी के समधी सुरेश
जैन नाकोड़ा नमकीन जोकी काफ़ी समय से शाइन इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से
नेत्रदान के कार्यों से जुड़े हुए हैं, एवं भाई निलेश जैन ने दुखः की घड़ी
होने के बाद भी अपनी बहन सपना से,पति सुरेश जी के नैत्रदान करवाने की बात
रखी,और तुरंत ही अपनी और से सहमति दे दी ।
कमलेश
जी ने तुरंत ही कोटा में डॉ कुलवंत गौड़ को सम्पर्क किया, डॉ गौड पूजा
करके,भोजन को बैठने ही वाले थे कि,तुरंत ही सब काम छोड़कर 20 मिनट में अपने
सहयोगी उत्कर्ष को लेकर कोटा जंक्शन पहुँचे, वहाँ से बीकानेर - बिलासपुर
ट्रेन पकड़कर कोटा से 230 किलोमीटर दूर चौमेला आ गए।
ग़मगीन
माहौल में डॉ कुलवंत गौड़ ने परिवार, समाज और क़रीबी रिश्तेदारों के बीच
सुरेश जी के पार्थिव शव से नेत्र संकलित किया । ट्रेन के लेट होने की
संभावना जानकर सुरेश जी के पिता माँगीलाल जैन ने अंतिम संस्कार का समय 2
बज़े से 3 बज़े का करवा दिया ।
नैत्रदान
प्रक्रिया पूरी होने के बाद,डॉ गौड़ ने संस्था की ओर से,उपस्थित जनसमूह के
बीच नैत्रदान का प्रशस्ति पत्र भेंट किया। साथ ही 15 मिनट में नैत्रदान की
उपयोगिता औऱ भ्रांतियों पर भी चर्चा की । जैसे-जैसे लोगों को यह जानकारी
मिल रही है कि, नेत्रदान में केवल कॉर्निया ही लिया जाता है एवं इसमें
चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती,वैसे वैसे ही नेत्रदान जागरूकता पूरे
झालावाड़ जिले में बढ़ती जा रही है।
ज्योति
मित्र कमलेश दलाल ने बताया कि अभी 2 दिन पहले भी झालावाड़ जिले के ग्राम
बकानी से भी संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन ने नेत्रदान प्राप्त किया
था,सुरेश जी का चोमेला से यह तीसरा नेत्रदान है,इससे पूर्व में भी धापूबाई
जैन एवं मोहनबाई जैन का नेत्रदान चोमेला से प्राप्त हो चुका है।
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