आज अम्मी का दिन है , जिसे लोग मदर्स डे , मातृ दिवस भी कहते है , ,लेकिन हमारे यहाँ तो, रोज़ ही अम्मी का दिन होता है ,,, कोई अहसान नहीं , यह होना ही चाहिए , जो कुछ भी चलता है ,,अम्मी की डांट डपट ,,उनकी दुआओं से ही चलता है ,,,उनका हाथ सर पर है , तो दुनिया से टकराकर भी जीतने की हिम्मत है ,, इसलिए में एक दिन सिर्फ एक दिन अम्मी का दिन बनाने के पक्ष में नहीं हूँ ,, हर रोज़ अम्मी का दिन , हर पल अम्मी का है ,,हाँ भारत माँ ,,जो हमे पालती है ,, हमे स्वाभिमान देती है ,, सम्मान देती है , खुशहाली देती है , रोज़गार देती है , जो हम एक सो चालीस करोड़ लोगो की रक्षक है ,,उस माँ के साथ हमने झूंठ बोलकर कितना धोखा किया ,,कितनी लूट की ,,इस माँ के कितने हिस्से पर दुश्मनो के क्रूर क़दमों ,,इनकी क़ातिल निगाह होने पर भी हमने क्या कुछ बदले में किया ,,इस माँ की सुरक्षा के लिए ,,इस माँ की गोद में एक सो चालीस करोड़ लोगो की सुरक्षा के लिए ,,इस माँ के बच्चो से कितने झूंठे वायदे किये ,, कितना झूंठ बोले ,,कितने निर्दोषो का हमने सड़को पर निहत्थे लोगो का क़त्ल किया ,,इसके आत्मचिंतन का दिन ज़रूर हो सकता है ,, ओर यह ज़िम्मेदार , आरोप , प्रत्यारोप खेल रहे हैं, फ़र्ज़ी घोषणाएं , फ़र्ज़ी व्यवस्थाएं , अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिये , नज़रबंदी का खेल , बेरोज़गारी , आर्थिक संकट सब तो है , इन सब पर कोई अफसोस , कोई आत्मचिंतन , ईमानदारी से ऐसे हालातों से निपटने की संयुक्त पहल , इन सियासी बेटों में , हरगिज़ हरगिज़ नहीं है , हमें इन सब पर आत्मचिंतन करना होगा ,, लेकिन मुझे नहीं लगता के शीर्ष पद पर बैठे साहिब , साहिब के भक्त , मेरे खुद के अपने चहेते लीडरान, इस मामले में कोई चिंतन कर ,,कुछ सुधार करेंगे ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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