वाजा तस्मिया कोठी ना तमाम टोंक सन 1880 में नवाब इब्राहिम अली खान साहब के एक मंसूबे के तहत सभी सरकारी दफ्तर नजरबाग के करीब लाना चाहते थे इसलिए इस इमारत का तामीर का काम शुरू किया उसके बाद यह इमारत एक हद तक मुकम्मल हो सके लेकिन किसी वजह से इस इमारत का काम रुकवा दिया गया उसके बाद यह इमारत कभी भी मुकम्मल नहीं होगी इसलिए इस कोठी को ना तमाम कहा जाने लगा बाद में इंजीनियर मौला बख्श शाह की निगरानी में स्कूटी का मरम्मत का काम शुरू हुआ किसी वजह से नवाब साहब इंजीनियर साहब से नाराज हो गए और उन्हें टोंक से निकाल दिया गया उसके बाद वह हैदराबाद चले गए 1946 में नवाब मोहम्मद अली खान का बनारस वाला कुतुब खाना जो कोठी अरब साहिब में था उसे यहां पर स्थापित कर दिया गया और उसका नाम सईदिया कुतुब खाना रखा गया जनाब अब्दुल अजीम खान इसके नसीम मुकर्रर हुए मौलाना इमरान साहब ने इस लाइब्रेरी में बैठकर मौलाना आजाद के के मशवरे से इसके मकतूतात और कुतुब के फेहरिस्त साजी का आगाज किया 1952 में यहां पर इंटर कॉलेज कायम हुआ 1955 में कोठी ईदगाह चला गया कुतुब खाना सईदिया 1956 में पांच बत्ती इस्माइल बिल्डिंग में चला गया बाद में अरबी फारसी मैं उन किताबों को शामिल कर लिया जाए
इस विद्यालय की स्थापना ओरिएंटल कॉलेज के रूप में अंग्रेजी और फारसी के अध्ययन के लिए हुई थी उन्नीस सौ एक में हाई स्कूल की प्रथम परीक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई उन्नीस सौ एक से 1952 तक की विद्यालय कलेक्ट्री भवन में संचालित रहा 1959 तक इंटर कॉलेज के रूप में कला वाणिज्य संकाय का अध्ययन होता रहा 1960 में हाईस्कूल का स्तर हायर सेकेंडरी हो गया और 1961 में इस विद्यालय को बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नाम मिला तभी से संपूर्ण भवन विद्यालय के अधिकार क्षेत्र में आ गए 1987 में इस विद्यालय का इस तरह सीनियर सेकेंडरी स्कूल का हो गया तब से इस विद्यालय का नाम राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोठी नातमाम से जाना जाने लगा, सौजन्य सय्यद शाहीन अफ़रोज़,
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