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22 मई 2023

राजस्थान विधानसभा की 200 विधानसभा सीटों पर , चुनाव प्रस्तावित है

 राजस्थान विधानसभा की 200 विधानसभा सीटों पर , चुनाव प्रस्तावित है , चुनाव मैदान में , भाजपा , कांग्रेस , बसपा ,, सपा , लोकदल , ऍन सी पी ,, आप , एम आई एम , सोशल डेमोक्रेटिक पार्टियों सहित , कम्युनिस्ट पार्टी , निर्दलीयों की थोक में उम्मीदवारी रहेगी , राजस्थान में , मुख्यमंत्री अशोक  गहलोत के नेतृत्व में , आम  बहुत खुश है , कर्मचारी वर्ग हो , चाहे  व्यापारी वर्ग हो , किसान हों , ग्रामीण हो , सभी का सकारात्मक रुख है , लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता , अधिकारीयों को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हक़ वाले पद देने से , नाराज़ है , ,जबकि  राज्य सभा में राजस्थान के कार्यकर्ताओं , वरिष्ठ नेताओं को स्थान देने की जगह बाहरी उम्मीदवारों ,को  निर्वाचित करवाने से राजस्थान का गणित गड़बड़ाया है , इधर , राजस्थान में प्रूव उप मुख़्यमंत्री सचिन पायलेट का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनके सुशासन पर , योजनाबद्ध हमला  उनकी बगावत , को भाजपा हवा देकर, हारी हुई बाज़ी जीतना चाहती है , ऐसे में , जब आप ,पार्टी  एम आई एम , पार्टी , और दूसरी पार्टियां कांग्रेस के थोक वोट , मुस्लिम समाज के वोटर्स को बरगला कर ,उनकी नाराज़गी को समेट कर ,मुस्लिम बाहुल्य इलाक़े की सीटों में ,, मुस्लिम समाज की नाराज़गी को , कांग्रेस के खिलाफ  करने की भाजपा की कार्ययोजना तय्यार सी है , गत चुनावों में भाजपा सरकार के खिलाफ आम जनता की नारजगी के चलते अगर , बेहतर इलेक्शन मैनेजमेंट होता , अगर टिकिट सही दिए जाते , तो कांग्रेस की डेढ़ सो से ज़्यादा सीटें आतीं , लेकिन ,, सचिन पायलेट , और अशोक गहलोत के आपसी खींचतान , मुख्यमंत्री की कुर्सी की निशानेबाज़ी ने , भाजपा को हवा दी , और नतीजा, जहां कांग्रेस ,को 200 में से 150 से भी अधिक सीटें जनता जिताना चाह रही थी , वहां कांग्रेस 99 सीटों पर सिमट कर रह गयी , निर्दलीयों की   बगावत पर कोई अंकुश नहीं  रहा, नतीजन , बागी कोंग्रेसी और , कांग्रेस के प्रत्याक्षियों को हरा कर, बसपा से जीत कर आये विधायकों के भरोसे हमारी सरकार बनी और कई ज़िलों ,में  कांग्रेस संगठन कार्यकर्ताओं , विधायक उम्मीदवार की नज़रअंदाज़ी से , माहौल खराब रहा , खेर यह चुनाव वर्ष 2018 के थे अब वर्ष 2023 में विधानसभा चुनावों का नया समीकरण है , यक़ीनन , कांग्रेस की  कल्याणकारी योजनाए हैं , लेकिन भाजपा के कुप्रचार के आगे , जनता इन योजनाओं को , धता ,बताकर  अधिकतम विधानसभा सीटों पर , जातिगत , सामाजिक समीकरण के आधार पर , ही , वोटिंग करेगी ,,  इसलिए इस  चुनाव में सावधानी हठी के दुर्घटना घटी ,, के फार्मूले से चुनाव प्रबंधन करना होंगे।  मुस्लिम वोटर्स अब गुस्से में , है , बगावती तेवर दिखा रहा है , इसलिए मुस्लिम बाहुल्य पचास से भी अधिक सीटों पर , इंटरनल प्रबंधन की आवश्यकता है ,,

राजस्थान में अलवर  ज़िले में अलवर ग्रामीण ,रामगढ़ , राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ , तिजारा , जैसलमेर में जैसलमेर , पोकरण ,, नागौर में , डीडवाना , मकराना, नांवा ,, भरतपुर में कामां व नगर , , बाड़मेर में शिव ,, चोहटन ,,सीकर में सीकर , फतेहपुर ,,  दांतारामगढ़ ,,   लक्ष्मण गढ़ ,,,चूरू ,में , चूरू ,, सरदारशहर , , तारानगर , अजमेर में अजमेर   नार्थ , पुष्कर ,, मसूदा ,, कोटा में , कोटा उत्तर , लाडपुरा , रामगंजमंडी , सवाईमाधोपुर में , सवाईमाधोपुर , गंगापुर सीटी ,,  जयपुर में हवामहल , आदर्शनगर ,, किशनपोल ,, झुंझुनू में ,, झुंझुनू , मंडावा ,, नवलगढ़ ,, टोंक में टोंक , जोधपुर में सूरसागर , बीकानेर में खाजूवाला ,, बारां में , बारां अटरू , छबड़ा , , करोली ,, धौलपुर ,,  झालावाड़ में झालरापाटन ,, क़रीब 41 सीटें मुस्लिम उम्मीदवारों  अगर क्षेत्रीय जाट ,, गुर्जर ,  मीणा ,, राजपूत , माली , आदिवासी ,, सहित स्थानीय कोंग्रेसी विचारधारा के वोटर्स का ईमानदारी से साथ मिल जाए तो यह विधानसभा सीटें मुस्लिम उम्मीदवार जीत सकते हैं , जबकि , इनसे जुडी इन ज़िलों में , एक मुश्त वोटिंग होने से , ,सत्तर से भी अधिक सीटें , कांग्रेस के दूसरे प्रत्याक्षी एक तरफा जीतने की स्थिति में हैं , , इन पर नहीं तो  ,कमसे कम , झालरापाटन , जयपुर हवामहल , किशन पोल , आदर्श  नगर ,, सिविल लाइंस ,, सीकर ,, फतेहपुर ,, लक्ष्मण गढ़ , झुंझुनू ,, मंडावा , ,सरदारपुरा , पोकरण , जेसलेमर , शिव ,चोहटन , , बीकानेर दक्षिण , खाजूवाला , पुष्कर ,,मसूदा , टोंक , कोटा उत्तर , लाडपुरा , छबड़ा , नागौर शहर , मकराना , डीडवाना ,, नगर ,, कामां , तिजारा , किशनगढ़बास ,, अलवर ग्रामीण , रामगढ़, सवाईमाधोपुर ,,विधानसभा सीटों पर तो हर हाल में मुस्लिम प्रत्याक्षी को ही टिकिट देकर , अन्य समाज , जैसे गुर्जर,, माली ,, जाट,  मीणा , ब्राह्मण , महाजन , जैन , माली , अनुसूचित जाति , जन जाति ,, आदिवासी , बंजारा वोटर्स से , तालमेल बिठाकर, इन सीटों पर मुस्लिम प्रत्याक्षी उतारे जा सकते हैं , इससे फायदा यह होगा के अन्य सीटें जहाँ मुस्लिम वोटर्स थोक में कांग्रेस को मिलते है , और कांग्रेस अपग्रेड होती है , वहां भी कांग्रेस बहतर वोटों से जीतेगी ,, 

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