सूरए अत तीन मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी आठ (8) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
इन्जीर और ज़ैतून की क़सम (1)
और तूर सीनीन की (2)
और उस अमन वाले शहर (मक्का) की (3)
कि हमने इन्सान बहुत अच्छे कैड़े का पैदा किया (4)
फिर हमने उसे (बूढ़ा करके रफ़्ता रफ़्ता) पस्त से पस्त हालत की तरफ फेर दिया (5)
मगर जो लोग ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे उनके लिए तो बे इन्तेहा अज्र व सवाब है (6)
तो (ऐ रसूल) इन दलीलों के बाद तुमको (रोज़े) जज़ा के बारे में कौन झुठला सकता है (7)
क्या ख़ुदा सबसे बड़ा हाकिम नहीं है (हाँ ज़रूर है) (8)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 अप्रैल 2023
और उस अमन वाले शहर (मक्का) की
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