मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...
जिन्होंने मुझे चोट दी है मुझे उन्हें चोट नहीं देनी है।
मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि..
मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...
अपने साथ हुए प्रत्येक बुरे बर्ताव पर प्रतिक्रिया करने में आपकी जो ऊर्जा खर्च होती है वह आपको खाली कर देती है और आपको दूसरी अच्छी चीजों को देखने से रोक देती है।
मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...
मैं हर आदमी से वैसा व्यवहार नहीं पा सकूंगी जिसकी मैं अपेक्षा करती हूँ।
मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...
जवाब नहीं देने का अर्थ यह कदापि नहीं कि यह सब मुझे स्वीकार्य है, बल्कि यह कि मैं इससे ऊपर उठ जाना बेहतर समझती हूँ।
मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...
कभी-कभी कुछ नहीं कहना सब कुछ बोल देता है।
मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि..
किसी बात पर प्रतिक्रिया देकर आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण की शक्ति किसी दूसरे को दे बैठते हैं।
मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...
मैं कोई प्रतिक्रिया दे दूँ तो भी कुछ बदलने वाला नहीं है। इससे लोग अचानक मुझे प्यार और सम्मान नहीं देने लगेंगे। यह उनकी सोच में कोई जादुई बदलाव नहीं ला पायेगा।
-स्मिता पाण्डे
सुनीता सनाढ्य पाण्डेय की वॉल से
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