*बैसाखी पर जलियाँवाला बाग के शहीदों को याद किया*
कोटा । वैशाखी पर चलने वाला बाग के शहीदों को याद किया गया ।
शिक्षा विद फिरोज़ खान ने कहा कि बैसाखी पर्व के अवसर पर पंजाब में अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग मे 13 अप्रैल 1919 को घटित घटना ने भारत मे ब्रिटिश शासन की समाप्ति पर अंतिम मुहर लगा दी थी।
फिरोज़ खान एडवांस कोचिंग क्लासेज पुलिस लाइन में आयोजित जालियां जालियाँवाला बाग हत्याकांड की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
कार्यक्रम संयोजक नूर अहमद पठान ने कहा जलियाँवाला बाग में रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक लोग मारे गए थे।
अमन वर्मा ने बताया कि अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1500 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए।
नितेश चौहान ने कहा इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था। माना जाता है कि यह घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी।
बाबू खान ने कहा कि महारानी एलिज़ाबेथ ने जालियांवाला बाग के इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। 2013 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि "ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी।
कार्यक्रम में अर्जुन मीणा, नवीन कुशवाह, रानी ने भी अपने विचार रखे।
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