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02 अप्रैल 2023

कोटा मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग के रखरखाव पर हर साल करोड़ों करोड़ रूपये के खर्च होने के बाद भी , कोटा मेडिकल कॉलेज का , ऑडिटोरियम का हाल देखकर , शहर भर के गाँधीवादी विचारक चीख पढ़े

 कोटा मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग के रखरखाव पर हर साल करोड़ों करोड़ रूपये के खर्च  होने के बाद भी , कोटा मेडिकल कॉलेज का , ऑडिटोरियम का हाल देखकर , शहर भर के गाँधीवादी विचारक चीख पढ़े , दांतों तले उँगलियाँ दब गयीं, जबकि  नगर निगम के अधिकारी खुद , इस ऑडिटोरियम के साफ़ सफाई और जनसुविधा सहित दूसरी व्यवस्थाएं सही करवाने में ज़बरदस्त प्रताड़ित हुए ,  जी हाँ दोस्तों कोटा मेडिकल कॉलेज का ऑडिटोरियम जो एक वक़्त में जब बनकर तय्यार हुआ था तो कोटा का सबसे बढ़ा, सबसे बहतर , सुविधाजनक , खूबसूरत ऑडिटोरियम में गिना जाता था ,, यहां स्थानीय, राज्य , ,राष्ट्रिय स्तर के कई कार्यक्रम भी हुए , लेकिन कुछ सालों में ही , प्रशासनिक अक्षमता , कहो , या रख रखाव का अभाव कहो , या रखरखाव के ज़िम्मेदारों द्वारा , बजट इधर उधर खर्च बताकर,  इस ऑडिटोरियम के रख रखाव का बजट खुर्दबुर्द कर देने का अपराध कहो , कुछ भी कहो , लेकिन इस ऑडिटोरियम के हालात बद से बदतर हो गए , हाल ही में ,जिला प्रशासन और गाँधी दर्शन समिति के संयुक्त तत्त्वाधान में , इस ऑडिटोरियम में , दो दिवसीय गाँधी प्रशिक्षण शिविर रखा गया , यहां के बदले हुए , टूट फुट , बिखरे हुए , जन सुविधाओं की अव्यवस्था सहित कई बदतर हालात देखकर,  मेडिकल कॉलेज कोटा ऑडिटोरियम के हालातों पर रोना आना ज़रूरी हो गया था ,, बाथरूम , की व्यवस्थाएं टूटी फूटी , रंगाई पुताई हरगिज़ नहीं , पानी की टंकी , पानी की सप्लाई खराब , व्यवस्थाएं छिन्न भिन्न , ,, इस मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम के रखरखाव की पोल कुछ इस तरह खोलकर समझे , यहां , जब गांधीवादियों का श्रमदान हुआ , तो यक़ीनन कई ट्रॉली कचरा इधर से निकाला गया , खेर कोई बात नहीं , आउटडोर गार्डन में , कचरे की सफाई  नहीं हो रही होगी , लेकिन जिला प्रशासन ने जब , नगर निगम के ज़रिये इस ऑडिटोरियम को , कार्यक्रम के लायक बनाने की ज़िम्मेदारी दी , तो खुद , नगर निगम अधिकारी , जनाब अम्बालाल जी ने , सफाई अभियान के साथ गांधी विचार को जोड़कर ,अपने उदबोधंन में जो कुछ कहा वोह इस ऑडिटोरियम के रखरखाव की हालात बयान करने के लिए काफी थे , , अम्बालाल जी ने बताया के जब इस ऑडिटोरियम की ज़िम्मेदारी हमे  मिली तो एक तरफ तो कार्यकम के लिए अल्पसमय दूसरी तरफ ऑडिटोरियम की जन सुविधाओं की टूटफूट , अव्यस्थाएं ,,जीर्ण शीर्ण हालात,  पानी की टंकियों की अव्यवस्था , सब कुछ अव्यस्थित था ,  अम्बालाल जी ने ,बताया के , खुद ने अपने हाथों से , लेबर लगाने के बाद भी कई व्यवस्थाएं अस्थाई तोर पर कीं , तब कहीं जाकर यह मेडिकल कॉलेज कोटा ऑडिटोरियम   उपयोग में लाने लायक हुआ ,है , खेर यह तो कार्यक्रम थे , कार्यक्रम होते है , ,होते रहते हैं , लेकिन अब इस समस्या की तरफ ध्यान गया है , तो चकाचक , अस्पताओं की व्यवस्था के प्रयास में लगे , प्रशासन ,, मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल , उनके स्टाफ , प्रशासनिक अधिकारी , पी डब्ल्यू डी के इंजीनियर्स , जिला प्रशासन , राज्य सरकार , सभी इस व्यवस्था को देखे , फिर से , मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम को , हर तरह की टूट फुट , जीर्ण शीर्ण व्यवस्था की मरम्मत करवाकर, रंगाई पुताई , जो जन सुविधाएं ,  तो तुरंत उपलब्ध  कराकर ,, करोड़ों करोड़ की लागत से बने इस आधुनिक सुविधाओं वाले , मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम को , पहले की तरह सुन्दर , पहले की तरह सुविधाजनक बना दें , कचरा मुक्त करवा दें , पानी की टंकी की कनेक्शन सप्लाई शुरू करवा दें , ,बिजली के स्विच वगेरा सही करवा दें , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

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