आपका-अख्तर खान

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20 अप्रैल 2023

*कोन थी तुम?*

 

*कोन थी तुम?*
*पैर की जूती थी तुम ?*
*बोझ थी तुम?*
*ज़ील्लत का बाइस समझी जाती थी तुम?*
*ज़िंदा दफन की जाती थी तुम,?*
*आज कोन हो तुम?*
*सरकार का ताज हो तुम. ज़िम्मादारि हो तुम..*
*इज्ज़त का निशान हो तुम.. मोहब्बत की पहचान हो* *तुम,,*
*जन्नत की सरदार हो तुम,,*
*आज तुम मां हो तो जन्नत , बेटी हो तो रहमत,*
*बीवी हो तो मोहब्बत ,*
*बहेन हो तो इज़्जत,,*
*किसने दिया ये मुकाम ? तुम्हारे रब ने ,,*
*किसने दिलाया ये मुकाम ? तुम्हारे नबी ने किसके ज़रिए?*
*इस्लाम के ज़रिए,,*
*ना तुम्हे जिहाद का हुकम दिया ,*
*ना तुम्हे बाजमाअत नमाज़* *का हुकम दिया ,*
*ना तुम्हे रोज़ी कमाने की फिक्र ,,*
*ना तुम्हे ज़कात अदा करने* *की फिक्र,,*
*क्या हुकम है तुम्हारे लिए,,*
*बा पर्दा रहो,*
*अपने आप को डांप के रखो के तुम कीमती हो ,,*
*के तुम अल्लाह की रहमत हो,,*
*के तुम इस्लाम की बेटी हो,,*
*के तुम फात्मा बिनते* *मोहम्मद हो ,,*
*के तुम औरत हो,,*
*तुम बच्चो को दूध पिलाओ तो अजर,,*
*तुम घर वालो को खाना खिलाओ तो अजर ,,*
*तुम शोहर की ताबे दर रहो तो अजर ,,*
*तुम रात जाग कर घर वालो की देख भाल करो तो अजर,,*
*

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