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14 अप्रैल 2023

कोटा जेल में रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम के वक़्त , सज़ा काट चुके क़ैदी रेणू उर्फ़ राजवीर सिंह पुत्र बाबू सिंह को जुर्माने के अभाव में जेल में रहने का दर्द , सर्वोदय पैरामाउंट के अज़हर मिर्ज़ा ने जाना ,तुरंत जुर्माना राशि जमा कराकर , उस की रिहाई करवाई ,,

 

कोटा जेल में रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम के वक़्त , सज़ा काट चुके क़ैदी रेणू उर्फ़ राजवीर सिंह पुत्र बाबू सिंह को जुर्माने के अभाव में जेल में रहने का दर्द , सर्वोदय पैरामाउंट के अज़हर मिर्ज़ा ने जाना ,तुरंत जुर्माना राशि जमा कराकर , उस की रिहाई करवाई ,,
कोटा ,, 14 अप्रेल , ,इस्लाम रमज़ान माह में इन्साफ , इंसानियत , दर्द को समझकर उनका हमदर्द बनकर मददगार बनने सहित कई मानवीय सबक़ की ट्रेनिंग का महीना है , और इस महीने में , सर्वोदय पैरामाउंट के भाई अज़हर मिर्ज़ा ने , कोटा जेल के रोज़ा इफ्तार के वक़्त एक क़ैदी रेणू उर्फ़ राजवीर सिंह पुत्र बाबू सिंह का जुर्माने के आभाव में जेल में रहने का दर्द समझा , और वोह उसके हमदर्द बन गए ,, अज़हर मिर्ज़ा ने उसकी जुर्माना राशि तुरंत जमा कराई , और कोटा जेलर ने उसे सज़ा पूरी होने पर,, जुर्माने की अदम अदायगी की सज़ा जुर्माना जमा होने के कारण , रिहा भी कर दिया , जेलर ने भी अज़हर मिर्ज़ा के इस मानवीय कृत्य के लिए उन्हें धन्यवाद दिया है ,,
इस्लामिक ज़िंदगी की ट्रेनिंग के लिए अल्लाह का मुक़र्रिर रमज़ान का महीना , इसके रोज़े , इफ्तार और इफ्तारी में चाहे सियासत , अमीर , गरीब , बढे छोटे का भेदभाव , हो , कुर्सियों पर बैठकर, रोज़ेदारों को क़दमों में बैठाने की बेहूदा शुरुआत हो , इन्हें अगर हम नज़र अंदाज़ कर दें , तो इफ्तार यक़ीनन , सवाब का काम है , इफ्तारी अल्लाह का तोहफा है , और इफ्तार करवाने वाला अगर , बढे छोटे , सभी को बराबर का दर्जा दे , तो यक़ीनन वोह खुद ,और जिनको भी एक साथ दस्तरख्वान पर बैठकर रोज़े की फ़ज़ीलत के साथ जिसने भी इफ्तार करवाया वोह सवाब का हक़दार है , लेकिन ऐसे इफ्तारी के माहौल में , अगर क़ैदियों के बीच , रोज़े की फ़ज़ीलत बताई जा रही हो , इस्लाम में इंसानियत का पाठ ,बढ़ो ,, छोटों , अमीर गरीब के भेदभाव को खत्म कर सभी की बराबरी के दर्जे की बात समझाई जा रही हो , तब , अगर एक क़ैदी जो रोज़ेदार नहीं है , जो , इस्लाम का अक़ीदत मंद भी नहीं है , उस कोटा जेल में बंद क़ैदी भाई , रेणू उर्फ़ राजवीर सिंह पुत्र बाबू सिंह की आँख में रिहाई के पूर्व की सज़ा पूर्ण होने पर भी , सिर्फ जुर्माना राशि नहीं होने से अदम अदायगी जुर्माने की सज़ा चालू रहने से , क़ैद से रिहाई नहीं हो पाने का गम , उसके चेहरे पर हो , तब अगर किसी खुदा की राह में इंसानियत का किरदार बिखेरने वाले , की नज़र उस पर पढ़ जाए , कोटा जेल के अधिकारीयों से बात हो , और फिर जब पता लगे , के यह क़ैदी सज़ा तो काट चूका है , लेकिन सिर्फ जुर्माना राशि अदा नहीं होने से अदम अदायगी जुर्माने की सज़ा में क़ैद है,तो , यह शख्स अज़हर मिर्ज़ा ,सर्वोदय पैरामाउंट स्कूल , इंसानियत का कारोबार शुरू करते हैं , उसकी अलग अलग सज़ाओं में जुर्माने की गिनती होती है , और फिर वोह जुर्माना राशि , अज़हर मिर्ज़ा तुरंत जेलर को अदा करते हैं , जिसकी अदायगी के बाद उस क़ैदी जिसे अभी कई माह और जेल में रहना था, उसकी रिहाई होती ,है तो यक़ीनन रेणू उर्फ़ राजवीर सिंह पुत्र बाबू सिंह कोटा की आँखों में, धर्मनिरपेक्ष मानव कर्तव्यों के प्रति आस्था होती है , और वोह नफरत भरी निगाहों से उस माहौल को देखता नज़र आता है , जिसमे सियासी संघर्ष , वोटों की राजनीति के लिए , सिर्फ हिन्दू ,, मुस्लिमों को लढाकर , आपस में नफ़रतें पैदा कर , सियासी उल्लू सीधा किया जाता है , ,इफ्तारी के साथ , इफ्तार की दुआ कई आलिमों द्वारा इफ्तार के पहले पढ़वाई जाती है , लेकिन अगर इस इफ्तार की दुआ का तर्जुमा देखें तो यह अल्लाह के दिए हुए रिज़्क़ से इफ्तार करने के बाद की दुआ है , ऐसे में इफ्तार बिस्मिल्ला के साथ होने की हिदायत होती है , और इफ्तार के बाद ,, जो दुआ कुछ लोग पहले ही पढ़ा देते हैं , वोह पढ़ने की हिदायत होती है , खेर यह आलिमों का मुद्दा है , वोह , कुर्सियों पर बैठकर रोज़ेदारों को इफ्तार की दावत में , क़दमों में बैठे देखकर भी ,, नाराज़ होकर इस व्यवस्था को बदलने की अगर समझाइश ना करे तो , यह उनका अपना गुनाह है , इफ्तार की दुआ पहले पढवाये बाद में पढ़वायें यह उनका मसला है , लेकिन रोज़ेदार तो सही दुआ करें , ऐसे पैरों में बैठकर ऊंच नीच के भेदभाव अगर होता देखें तो, बाइकोट करें, इस्लाम का पाठ, गलत अगर है , तो ताक़तवर हो , तो , ताक़त से विरोध करो , कमज़ोर हो , तो जुबां से गलत का विरोध करो , और अगर बिलकुल कमज़ोर हो , तो फिर , उसका बहिष्कार कर ख़ामोशी से ही विरोध करो , इस्लाम की तो यही तरबियत है , लेकिन जब नमाज़ों को लेकर झगड़े हो , नमाज़ की इमामत को देखकर, कुछ लोग , इधर उधर लोगों को भड़का कर , उकसाकर, अपनी दूसरी नमाज़ की तरफ लपकने लगे , तो फिर अल्लाह बेहतर जानता है , और इस्लाम की इस ट्रेनिंग के महीने में हमे ऐसे लोगों के साथ , इस्लाम की अलमबरदारी , इन्साफ की ज़िम्मेदारी , लोगों के दुःख दर्द देखकर ,उनके हमदर्द बनकर मदद के जज़्बे के बुनियादी अख़लाक़ी पाठ को , हमे समझना होगा, और जेल में रोज़ा इफ्तार के वक़्त , एक क़ैदी रेणू उर्फ़ राजवीर सिंह पुत्र बाबू सिंह की आँख के आंसू देखकर ,, उसका जुर्माने की अदायगी नहीं होने पर, जेल में रहने के दर्द को , एक हमदर्द के नाते, भाई , अज़हर मिर्ज़ा सर्वोदय पैरामाउंट ने समझा ,ही नहीं बल्कि उसके दर्द में हमदर्द बनकर उसकी समस्त मुक़दमों की जुर्माना राशि खुद ने तत्काल जो जमा कराई , और उसे रिहा करवाया , उसे अपनी ज़िन्दगी में एक पाठ की तरह याद रखना होगा , अमल में रखना होगा, यक़ीनन अज़हर मिर्ज़ा बधाई के पात्र हैं , मुबारकबाद के हक़दार हैं, , दुआओं के हक़दार है , ऐसे में जेल प्रशासन ने भी दरियादिली दिखाई है ,एक बहतर काम को , उजागर भी किया , और अज़हर मिर्ज़ा के इस मानवीय कार्य के लिए उन्हें लिखित में धन्यवाद पत्र भी जारी किया है , ,एक बार फिर अज़हर मिर्ज़ा , सर्वोदय पैरामाउंट को बधाई ,, मुबारकबाद ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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