आपका-अख्तर खान

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26 अप्रैल 2023

जिनकी सोच में गंदगी हो , झूंठ हो फरेब हो , परवरिश में , अपशब्द , अपमान हो , वोह कभी अपनने , अपराध बोध मानसिकता , अपशब्दों से उभर ही नहीं ,सकते

 

जिनकी सोच में गंदगी हो , झूंठ हो फरेब हो , परवरिश में , अपशब्द , अपमान हो , वोह कभी अपनने , अपराध बोध मानसिकता , अपशब्दों से उभर ही नहीं ,सकते , लेकिन नफरत के इन मानसिक रोगियों के लिए , मेरी प्यार की डोज़ जारी है , इंशा अल्लाह एक दिन वोह प्यार की तरफ लौटेंगे , मोहब्बत के साथ , अपना विरोध भी , विनम्र तहज़ीब की भाषा में ,लिखेंगे क्योंकि , दोषी यह लोग नहीं , दोषी तो इनकी परवरिश है , जिसने इन्हे किसी पर भरोसा करना सिखाया ही नहीं , सिर्फ नफरत करना , झूंठ बोलना , और दूसरों को अपशब्द कहकर , अपनी नाकामयाबी को , शतुरमुर्ग की तरह , रेत के ढेर में सर छुपाना सिखाया है , कल , अशोक गहलोत सरकार ने , केंद्र सरकार की तरफ ,से केंद्रीय बजट में प्रावधान के बावजूद भी ,, महगी वैक्सिंग ,देने की घोषणा के बाद भी , ,, राजस्थान में बजट में प्रावधान नहीं होने पर भी , युवाओं को तीन हज़ार करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान कर , मुफ्त वेक्सीन लगाने की घोषणा की ,, तो इस घोषणा की खबर मेरे प्यारे प्यारे मित्र तिलमिला उठे ,, रमज़ानों में झूंठ मत लिखो , कहते पाए गये , भाई एक मुस्लिम हो , या फिर हिन्दू , जो भी हो , उसका रमज़ान , नवरात्रा में , झूंठ नहीं बोलेंगे , ऐसा प्रावधान नहीं है , इंसानियत का पाठ है , कोई भी कभी भी झूंठ नहीं बोलेगा , अश्व्थामा मारा गया ,, वोह झूंठ अलग था , खेर , मेरे यह साथीगण तो , मजबूर भी थे ,, क्योंकि वोह पार्टी गाइड लाइन से बंधे है , उनको जो ज़िम्मेदारी दी गयी है , वोह आँखों पर पट्टी बाँध कर ,उसे पूरी कर रहे है ,, अच्छा बुरा देखे बगैर सिर्फ एक गाइड लाइन पर उनकी टिप्पणियां है , लेकिन विरोध भी विनम्र भाषा में ही ,, किये जाने की इजाज़त हर धर्म में है ,, लेकिन यह जनाब तो हर कभी , रोज़ रोज़ , अलफ़ाज़ों में गुस्सा , अभद्रता लिए फिरते है , टिप्पणियों में ,गुस्सा अभद्रता साफ़ दिखाते है , आलोचना , अपनी बात रखना , किसी की शक्ल , सूरत , आवाज़ , जो क़ुदरत ने उसे दी है ,, उसका मज़ाक़ बनाकर , उसे टारगेट करके , अगर हमारे या आप के धर्म में हो , तो किसी धर्म गुरु से पूंछ कर बताना ज़रूर इसलिए , मेरी गुज़ारिश है , मेरे भाईजानों ,, आदरणीय साथियों , विरोध करो ,, लेकिन भाषा संयत रखो , वर्ना गंदे और अच्छे लोगों का फ़र्क़ ही खत्म हो जाएगा , फिर आपकी मर्ज़ी , ज़िद पर अडो तो अडो , लेकिन मेरा वायदा है , मेरी मोहब्बत से , खुलूस से , में तुम्हे एक बार इन गंदे अल्फ़ाज़ों को छुड़वा कर रहूंगा , तुम्हे नफरत की भाषा बदलकर , प्यार की भाषा बोलने पर मजबूर ना कर दूँ तो कहना ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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