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04 अप्रैल 2023

13 मई 2008 जयपुर विस्फोट , भाजपा सरकार के शासन में हुआ , अनुसंधान , गिरफ्तारियां इसी शासन में हुईं

 13 मई 2008  जयपुर विस्फोट , भाजपा सरकार के शासन में हुआ , अनुसंधान  , गिरफ्तारियां इसी शासन में हुईं , और हायकोर्ट ने इसी अनुसंधान को दूषित बताकर, अभियुक्तों को बरी किया है , डी जी को कार्यवाही के लिए इस भाजपा शासन के नियंत्रित अनुसंधान अधिकारी के लिखा है , यह बात ना तो भाजपा के सी पी जोशी की समझ में आई है , ना ही , कांग्रेस के नेताओं , प्रवक्ताओं , और टोंक के विधायक सचिन पायलेट के समझ में आई है , दिल हिला देने वाली गंभीर अमानवीय घटना का इतना लापरवाह अनुसंधान भाजपा के शासन में  के  हाईकोर्ट को , अनुसंधान आरोपित करते हुए , अभियुक्तों को बरी करना पढ़ रहा है , लेकिन यह सब मिडिया क्यों लिखेगा , क्यों इस पर चर्चा करेगा, मिडिया जो है , यह पब्लिक है सब जानती है ,
कांग्रेस के वर्तमान हालातों में जनहितकारी , ,कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद भी , धर्माधारित दबाव में कांग्रेस के जो , नेताओं का चोला बदल है , उससे यक़ीनन मुझे दुखी मन से , कांग्रेस को बचाने के लिए यह सार्वजनिक पोस्ट लिखना पढ़ रही है ,, क्योंकि , हज़ारों पत्र , हज़ारों ई मेल , सुझाव  के बावजूद भी कांग्रेस अपने धर्मनिरपेक्ष इरादों पर , भाजपा के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने में नाकामयाब है और बैकफुट पर आकर , उल जलूल हरकतों से कांग्रेस की विचारधारा , कांग्रेस के संविधान , कांग्रेस के धर्म को कलंकित किया जा रहा है , यह कड़वा सच है ,,
अभी हाल ही में , जयपुर में 13 मई 2008 को जयपुर में मानवता के खिलाफ आतंकी चेहरों ने , जो तबाही मचाई थी , भाजपा की श्रीमती वसुंधरा सिंधिया के शासन में , इस दिल हिला देने वाली घटना का अनुसंधान हुआ , जाँच हुई , साक्ष्य एकत्रित हुए , गिरफ्तारियां हुईं,  चार्जशीट पेश हुई , निचली अदालत में कांग्रेस की सरकार में , खामियां होने के बावजूद भी ज़बरदस्त विधिक और तथ्यात्मक पैरवी हुई , नतीजा, ऐसे राक्षसी कार्य , आतंकी कार्य के मामले में भाजपा के अनुसंधान अधिकारीयों ने कमियां छोड़ने के बाद भी , जो चार्जशीट पेश की थी , उसमे , कांग्रेस की ज़बरदस्त पैरवी हुई , नतीजा , दोषी लोगों को फांसी की सज़ा मिली , फिर मामले में अपील हुई , गंभीर मामला ,फांसी की सज़ा दो जजों की बेंच में मामला गे , ज़ाहिर है , दूध का दूध  पानी का पानी , ऐसे वरिष्ठ जजों के समक्ष प्रस्तुत प्रकरण में होता ही है , बाल की खाल निकाली जाती है , पैरवी हो या ना हो  जज खुद अपनी ज़िम्मेदारी से , पत्रावली के एक साक्ष्य , एक एक तथ्य , अनुसंधान की बारीकियों गवाहों के बयान , उनकी जिरह के खुलासे को देखकर ही फैसला देते हैं , क्योंकि , वोह वकील रहने के बाद , मजिस्ट्रेट बनते है , फिर जज बनते है , फिर हाईकोर्ट जज बनते है , इन दोनों जजों ने , मुक़दमे के हर बिंदु पर विचार किया , और माना के बम ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार अभियुक्तों के खिलाफ  ,, अनुसंधान अधिकारी , पर्याप्त सुबूत  नहीं जुटा पाए हैं , कढ़ी से कढ़ी नहीं मिला पाए हाँ , काफी खामियां है , ऐसे  में फांसी की सज़ा तो क्या , इन्हे सज़ा भी नहीं दी जा सकती , और हाईकोर्ट ने इन्हे बरी करने के आदेश दे दिए ,  सामान्य अनुक्रम में , ऐसे मामलों में , सरकार अपील करती है , नतीजे कई बार उलट भी होते हैं , कई बार फैसले बहाल भी होते है , लेकिन सबसे पहले ,टोंक से , अल्पसंख्यक समाज के वोटों से जीते ,, सचिन पायलेट साहब ने , बयान जारी कर ,भाजपा को लुक़मा दिया , के इस मामले में पैरवी ढंग से नहीं हुई ,राज्य सरकार की गलती है , एक अख़बार नहीं , कई अख़बारों को , पैकेज देकर , योजनाबद्ध तरीके से , खबरें लगातार प्रकाशित करवाकर दबाव बनाने की कोशिश की गई , फिर भाजपा मैदान में आई , और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी ने तो कोटा में कांग्रेस से , कमज़ोर पैरवी को लेकर , कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया , , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , सम्मनित पद पर हैं , उनका बयान इस मामले में अपील करेंगे  यह शासक होने के नाते ज़रूरी भी था , लेकिन सचिन पायलेट को इस मामले में , बीच में कूद कर , सच  को उजागर किये बगैर बोलने की कहाँ ज़रूरत थी , ,, कांग्रेस के पास अगर ईमानदार निष्पक्ष पत्रकार होते ,,  कांग्रेस के पास अगर समझदार प्रवक्ता होते ,  कांग्रेस के पास अगर धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ता होते , तो वोह अध्ययन करते , पत्रावली का अध्ययन करते ,तारीखों को   देखते और , पैकेज पर लगातार माहौल बनाने के लिए , खबरों का प्रकाशन कर रहे पत्रकारों को बताते ,, के हाईकोर्ट ने , अपनी टिप्पणी अभियुक्तों को बरी करने के वक़्त कमज़ोर पैरवी को लेकर नहीं की है , हाईकोर्ट ने , अनुसंधान को लेकर सवाल उठाये है , हाईकोर्ट ने , अनुसंधान जो , घटना के वक़्त 13 मई 2008 को और उसके बाद  भाजपा की श्रीमती वसुंधरा  सिंधिया के शासनकाल में , उनकी  नियंत्रित एस औ जी थी , जिसने अभियुक्तों को गिरफ्तार किया , अनुसंधान किया , साक्ष्य एकत्रित की , एफ एस एल देखी ,वैज्ञानिक अनुसंधान किया , चालान पेश किया , उस भाजपा शासित अनुसंधान को लेकर , हायकोर्ट ने प्रश्नगत करते हुए , कमज़ोर अनुसंधान बताते हुए अभियुक्तों को बरी करते हुए ,भाजपा के शासन में भाजपा की  नियंत्रित अनुसंधान टीम के जाँच अधिकारी के  खिलाफ डी जी को कार्यवाही के निर्देश दिए है,  अब बात साफ़ है के बोम ब्लास्ट भाजपा की वसुंधरा सिंधिया के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुआ , अनुसंधान भाजपा शासन में भाजपा सरकार के नियंत्रित अनुसंधान अधिकारीयों के ज़रिये हुआ , खामियां उन्होंने छोड़ी , अदालत में बयान उन्हें के हुए , और हाईकोर्ट ने , दोषी भी , उस भाजपा कार्यकाल के अनुसंधान को माना है ,तो फिर हमारे सचिन पायलेट जो अशोक गहलोत की सरकार को टारगेट कर रहे हैं , क्या वोह सीधे भाजपा सरकार के इस दूषित अनुसंधान के तथ्य आम जनता तक नहीं ला सकते थे , खुद कांग्रेस के प्रवक्ता भाजपा के इस दूषित अनुसंधान का सच नहीं ला सकते थे  कोटा में ,जहाँ दिग्गज कोंग्रेसी हैं , वहां  आकर,सी पी जोशी झूंठ बोलते है , के कमज़ोर पैरवी किसके लिए , तो कोई पूंछने वाला नहीं होता , के कमज़ोर अनुसंधान किसे बचाने के लिए भाजपा के राज में ,, सी पी जोशी प्रदेश अध्यक्ष भाजपा की पार्टी के राज में हुआ , कोई कहने वाला नहीं होता ,, अरे पत्रकारों को सुविधाएँ तुम दो , रियायती दरों पर भूखंड तुम दो , मकान तुम दो , पेंशन तुम दो , और यही लोग , पत्रकारिता का ईमानदाराना धर्म त्याग कर ,एक तरफा पेड़ न्यूज़ का जब अपराध करते है , तो फिर तुम सच सोशल मीडिया के ज़रिए क्यों नहीं दिखा पाते ,,
,  यक़ीनन कांग्रेस के पास वर्तमान हालातों में , कठोर ईमानदाराना फैसले की ताक़त नहीं ,रही  कांग्रेस के खिलाफ साज़िशकर्ताओं , कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के खिलाफ अन्य धर्मों को ठेस पहुंचाने वाले ,साज़िशकर्ता  बयानबाज , और भाजपा के झूंठ फरेब के हमलों के जवाब देने के लिए कार्यर्कता नहीं , प्रवक्ता नहीं , क्योंकि वर्तमान में पदाधिकारी , सिर्फ जेब में से निकालकर, बनाये जा रहे हैं , उनकी योग्यता , उनकी क़्वालीफिकेशन , समर्पण सब बेकार है , एक तो , जिसके पास महंगी गाढ़ी , हाथों में सोने का ब्रेसलेट , महंगे जूते , गले में महंगी सोने की चेन , वगेरा वगेरा है , या तो वोह , या फिर ,, अल्पसंख्यक समाज में जी हुज़ूर में भी , वोह जी हुज़ूर जो अपने ही मुस्लिम समाज के ज्वलंत मुद्दों पर चुप रहे हाथ बाँध कर खड़ा रहे , कुछ भी हो जाए , ना तो संगठन के शीर्ष नेताओं को सुझाव दे ना ही , कुछ सार्वजनिक रूप से बोले , ऐसे ही लोगों को , अवसर दिए जा रहे हैं , कांग्रेस का यह चेहरा कभी नहीं रहा , आज़ादी की जंग लड़ने वाली कोंग्रेस ,,, अंग्रेज़ों से भी लड़ी , साम्प्रदायिक ताक़तों से  भी लड़ी , हर आरोपों का जवाब शालीनता से , तथ्यात्मक देने का कांग्रेस का अपना इतिहास रहा है , अभी हाल ही में ,राजस्थान में , धर्मनिरपेक्ष कांग्रेस की आमसभाएँ हुई, सभी धर्म , सभी वर्ग के लोग वहां उपष्टित हुए , शामिल हुए , लेकिन गाँधी के भजन की जगह , जय श्रीराम , जय सियाराम के नारों का मतलब , भाजपा के प्रति सरेंडर होना है ,   कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष चेहरे का क़त्ल कर , एक नयी भाजपा कांग्रेस को जन्म देना है , दूरियां  , उपेक्षायें , मुद्दों से मुंह चुराना , सही मुद्दों से भी दूर भागना , मंचों से ज़िम्मेदारों को , लिबास ,,पहनावा देखकर , अलग थलग रखना , यह कांग्रेस का इतिहास नहीं है , धर्म स्थलों के नाम पर, धर्मस्थलों की मरम्मत , जीर्णोद्धार के नाम पर नियमों के हक़ में होते हुए भी ,  टालमटोल , रोक टोक , यह  कांग्रेस का चेहरा नहीं है , कांग्रेस एक सिद्धांत है , इसकी कोई , जाति , इसका कोई धर्म नहीं है , मानवसेवा , ,, देश की  सेवा, राष्ट्र ही इसका धर्म है , लेकिन समाज , और जातियों में , खासकर धर्म के दबावं में कांग्रेस अपना चेहरा बदल चुकी है , इसे फिर से ज़िंदा होकर, अपने मूल संवैधानिक धर्मनिरपेक्ष स्वभाव पर उतरना होगा,  संगठन केअधिकृत अध्यक्ष के अलावा दूसरों की दखलंदाज़ी रोकना होगी , कांग्रेस को एक बार फिर कांग्रेस बनना होगा, छद्म धर्मनिरपेक्षता को छोड़कर ओरिजनल धर्म निरपेक्ष बनना होगा , सत्ता का क्या है , आती है , जाती है , लेकिन कांग्रेस का करेक्टर  ज़िंदा रहना चाहिए , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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