आज राजस्थान दिवस पर , " राजस्थान " शब्द के इतिहास "पर एडवोकेट शैलेश पी जैन, सिक्का संग्रहक की प्रस्तुति व उनका लेख--
राजस्थान के वर्ष 1834 के इतिहास से रूबरू करवाती, एक wax sealing मेरेसंग्रह से -- सीलिंग पर अंकित शब्द, उर्दू भाषा मे--
" मुहर कचहरी एजंट साहिब राजस्तान अझ तर्फ गवर्नर जनरल बहादूर १८३४ इसवी "
वर्ष 1834 ,first gevorner general के rajastan راجستان के एजेंट की sealing, sealing मे जिज्ञासा लिए जो शब्द है वो है rajastan, ---
जबकि विदित रहे कि आमतौर पर, ज्यादातर को यह ज्ञात है कि, rajasthan शब्द, सर्वप्रथम 1949 मे प्रयुक्त हुआ, पहले इसे rajputana नाम से जाना जाता था--
तथा GK सामान्य ज्ञान मे भी यह हमे बताया गया कि rajasthan को सर्व प्रथम कर्नल जेम्स टौड द्वारा नाम दिया गया, --
मेने कुछ इतिहास को खंगालने की कोशिश की तो यह पाया कि हमे गलत इतिहास बताया गया,, जेम्स टौड से पहले भी rajasthan का नाम था---
Facts ---
राजस्थान के इतिहासकारों में कर्नल जेम्स टॉड का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। हालांकि उनसे पहले कालीराम कायस्थ ने राजस्थान का इतिहास फारसी में लिख दिया था।
इसके बारे में कहा जाता है कि इस पुस्तक में राजस्थान की कई दुर्लभ जानकारियां समाहित हैं। कहा जाता है कि कर्नल जेम्स टॉड राजस्थान के इतिहास के जनक हैं। सर्व प्रथम उन्होंने अपनी पुस्तक में राजस्थान शब्द का प्रयोग किया, लेकिन 1794 में जयपुर के महाराजा प्रताप सिंह जी के कहने पर लेखक कालीराम कायस्थ अजमेरी ने फारसी में तारीखे राजस्थान ग्रंथ लिखा।। इस ग्रंथ में राजस्तान शब्द का प्रयोग हुआ बताया जाता है
राजस्थानीयादित्य:- राजस्थान का नाम राजस्थानीय के रूप में सबसे प्राचीनतम उल्लेख चित्तौड़गढ़ शिलालेख (जिसे 532 ईसवी का माना जाता है) में मिलता है।
राजस्थानी आदित्य शब्द का उल्लेख बसंतगढ़ शिलालेख (जिसे 625 ईसवी का माना जाता है जिसे सिरोही से प्राप्त किया) में मिलता है।
बसंतगढ़ शिलालेख चावंड वंश के शासक वर्णलात की काल में लगाया गया था।
यह शिलालेख बसंतगढ़ (सिरोही) में खीमल माता के मंदिर के बाहर खुदवाया गया है।
वैदिक काल में राजस्थान के लिए ब्रह्मा व्रत तथा
रामायण काल में वाल्मीकि ने मरो कांतर शब्द का प्रयोग किया।
राजस्थान शब्द का प्राचीनतम उल्लेख दो शिलालेखों में मिलता है।
प्रथम चित्तौड़गढ़ शिलालेख जिसे घोसुंडी शिलालेख भी कहा जाता है।
दूसरा बसंतगढ़ शिलालेख जो सिरोही में स्थित हैं
मोहनोत नैंसी री ख्यात वीरभान के राज रूपक में राजस्थान शब्द का प्रयोग हुआ है।
कर्नल जेम्स टॉड ने इस प्रदेश का नाम रायस्थान रखा क्योंकि स्थानीय साहित्य एवं बोलचाल में राजाओ के निवास के प्रान्त को रायथान कहते थे। उन्होंने 1829 ई. में लिखित अपनी प्रसिद्ध ऐतिहासिक पुस्तक Annals & Antiquities Of Rajasthan (Or Central And Western Rajpoot States Of India) में सर्वप्रथम इस भोगोलिक प्रदेश के लिए राजस्थान शब्द का प्रयोग करना बताया गया है
राजस्थान के आज के भौगोलिक स्वरूप को संवैधानिक मान्यता 26 जनवरी 1950 को मिली।
भारतीय प्राचीन मुद्रा अनुसंधान व शोध संस्थान कोटा
Advocate Shailesh PJain kota
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