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30 मार्च 2023

मेरे भारत के पश्चिमी भारत क्षेत्र में जब , ऐतिहासिक नगरी ब्रहम्मा नगरी ,

 मेरे भारत के पश्चिमी भारत क्षेत्र में जब , ऐतिहासिक नगरी ब्रहम्मा नगरी ,, ख्वाजा गरीब नवाज़ की नगरी , अजमेर के राजस्थान , पर्यटन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुख्य आकर्षण केंद्र गोआ , विश्व व्यापार के लिए प्रसिद्ध गुजरात , बॉलीवुड फिल्मों के लिए प्रसिद्द मुंबई वाले महाराष्ट्र , आज़ादी के ऐतिहासिक महत्व वाले दादर नागर हवेली ,,दमन दीव का जब पश्चिमी भारत की पहचान के रूप में नाम आता यही , तो मेरा भारत , सच में महान हो जाता है ,, पश्चिमी भारत में दादर नागर हवेली और दमन दीव सबसे नया केंद्र शासित राज्य है , जो 26 जनवरी 2020 को एक विधेयक के ज़रिये अस्तित्व में आया , यहां पुर्तगालों का शासन था , महाराष्ट्र और गुजरात से नज़दीक होने के कारण , यहां गुजरात , महाराष्ट्र की मिली जुली संस्कृति है , इस राज्य में तीन ज़िले है , आज़ादी के पूर्व यह पुर्तगालियों के क़ब्ज़े में था , जिसे स्वतंत्रता सेनानियों ने मुक्त कराकर ,भारत का हिस्सा बनाया , यहां आदिवासी ,, पहाड़ी , समुंद्रिय अद्भुत नज़ारे होने ,से  यह पर्यटकों का मुख्य आकर्षक केंद्र हैं , इधर पश्चिमी राजस्थान के प्रमुख राज्यों में गुजरात की राष्ट्रिय अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख भूमिका रही है , राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी , सरदार वल्ल्भ भाई पटेल , वर्तमान प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी , सहित कई बढ़ी हस्तियां इसी गुजरात राज्य की देन हैं , ,पश्चिमी भारत स्थित प्रमुख व्यवसायिक राज्य हम गुजरात की बात करें तो देखते हैं , गुजरात नाम, गुर्जरत्रा से आया है। गुर्जरों का साम्राज्य ६ठीं से १२वीं सदी तक गुर्जरत्रा के नाम से जाना जाता था गुर्जर राजाओं के राज्य के कारण इसे गुर्जरत्रा कहा गया हैं।  प्राचीन महाकवि राजसेखर ने गुर्जर प्रतिहार का सम्बन्ध सूर्यवंश या रघुवंश से बताया है,  कुछ विद्वान इन्हे मध्य-एशिया से आये आर्य भी बताते है। किंतु इस पर पूर्ण रूप से विश्वास नहीं किया जा सकता गुर्जरों की संस्कृति को देख यही प्रतीत होता है की वो भारत के मूल निवासी हैं। गुजरात का इतिहास पाषाण युग के बस्तियों के साथ शुरू हुआ, इसके बाद चोलकोथिक और कांस्य युग के बस्तियों जैसे सिंधु घाटी सभ्यता।,गुजरात का इतिहास ईसवी पूर्व लगभग २,००० वर्ष पुराना है। माना जाता है कि कृष्‍ण मथुरा छोड़कर सौराष्‍ट्र के पश्चिमी तट पर जा बसे, जो द्वारिका यानी प्रवेशद्वार कहलाया। बाद के वर्षो में मौर्य, गुप्त, गुर्जर प्रतिहार तथा अन्‍य अनेक राजवंशों ने इस प्रदेश पर राज किया। चालुक्य राजवंश अर्थात् सोलंकी गुर्जरो का शासनकाल गुजरात में प्रगति और समृद्ध का युग था। महमूद गजनवी की लूटपाट के बावजूद चालुक्य राजवंशो ने यहां के लोगों की समृद्धि और भलाई का पूरा ध्‍यान रखा। गुजरात में कपास , तम्बाकू ,, मूंगफली का उत्पादन होता है , यहां रसायन , पेट्रो रसायन  ,  इंजीनियरिंग , इलेक्ट्रॉनिक्स सहित सभी तरह के उद्योगों का विकास , है , गांधीनगर गुजरात की राजधानी है , जबकि , गुजरात के सभी  राज्यों में कमोबेश , व्यापार बढे पैमाने  पर है , खासकर गुजरात का सूरत व्यवसायिक नगरी के रूप में जाना जाता ,है  इसे  भारत का दुबई भी कहा जाने  लगा है , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , अमित शाह खुद गुजरात से हैं , , गुजरात राज्‍य में द्वारका, सोमनाथ, पालीताना, पावागढ़, अंबाजी भद्रेश्‍वर, शामलाजी,बगदाणा,वीरपुर,खेरालु (सूर्यमंदिर),मोढेरा (सूर्यमंदिर) तारंगा,निष्कलंक महादेव,राजपरा (भावनगर),बहुचराजी, और गिरनार जैसे धार्मिक स्‍थलों के अलावा महात्‍मा गांधी की जन्‍मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्‍व और वास्‍तुकला की दृष्टि से उल्‍लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, दभेई, बडनगर, मोधेरा, लोथल और अहमदाबाद जैसे स्‍थान भी हैं। अहमदपुर मांडवी, चारबाड़ उभारत और तीथल के सुंदर समुद्री तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्‍थल, गिर वनों के शेरों का अभयारण्‍य और कच्‍छ में जंगली गधों का अभयारण्‍य भी पर्यटकों के आकर्षण का केद्र हैं। इसके अलावा गुजरात के स्थानीय व्यंजन के जायके भी गुजरात की खूबसूरती को और बढ़ाते है। गुजरात के पाटण में स्थित रानी की वाव यूनेस्को विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल है। गुजरात की वास्तुकला शैली अपनी पूर्णता और अलंकारिकता के लिए विख्यात है, जो सोमनाथ, द्वारका, मोधेरा, थान, घुमली, गिरनार जैसे मंदिरों और स्मारकों में संरक्षित है। मुस्लिम शासन के दौरान एक अलग ही तरीक़े की भारतीय-इस्लामी शैली विकसित हुई। गुजरात अपनी कला व शिल्प की वस्तुओं के लिए भी प्रसिद्ध है। इनमें जामनगर की बांधनी (बंधाई और रंगाई की तकनीक), पाटन का उत्कृष्ट रेशमी वस्त्र पटोला, इदर के खिलौने, पालनपुर का इत्र कोनोदर का हस्तशिल्प का काम और अहमदाबाद व सूरत के लघु मंदिरों का काष्ठशिल्प तथा पौराणिक मूर्तियाँ शामिल हैं। राज्य के सर्वाधिक स्थायी और प्रभावशाली सांस्कृतिक संस्थानों में महाजन के रूप में प्रसिद्ध व्यापार और कला शिल्प संघ है,, गुजरात के प्राचीन इतिहास को इसके निवासियों की वाणिज्यिक गतिविधियों से समृद्ध किया गया था। 1000 से 750 ईसा पूर्व के समय के दौरान फारस की खाड़ी में मिस्र, बहरीन और सुमेर के साथ व्यापार और वाणिज्य संबंधों का स्पष्ट ऐतिहासिक प्रमाण है। मौर्या राजवंश, पश्चिमी सतराप, सातवाहन राजवंश, गुप्त साम्राज्य, चालुक्य वंश, राष्ट्रकूट साम्राज्य, पाल साम्राज्य और गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य के साथ-साथ स्थानीय राजवंशों जैसे मैत्रकस और फिर हिंदू और बौद्ध राज्यों का उत्तराधिकार था।  यह समुंद्रिय तट  पर होने से यहां  बंदरगाह ही हैं,  इसीलिए , यात्रा के साधनों में एयरपोर्ट , रेलवेस्टेशन , बस स्टेण्ड , बंदरगाह की सुविधा है  ,स्वतन्त्रता से पहले गुजरात का वर्तमान क्षेत्र मुख्‍य रूप से दो भागों में विभक्त था- एक ब्रिटिश क्षेत्र और दूसरा देसी रियासतें। राज्‍यों के पुनर्गठन के कारण सौराष्‍ट्र के राज्‍यों और कच्‍छ के केन्द्र शासित प्रदेश के साथ पूर्व ब्रिटिश गुजरात को मिलाकर द्विभाषी बम्बई राज्‍य का गठन हुआ। १ मई १९६० को वर्तमान गुजरात,,राज्‍य अस्तित्‍व में आया। गुजरात भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में पाकिस्‍तान तथा उत्तर-पूर्व में राजस्‍थान, दक्षिण-पूर्व में मध्‍यप्रदेश और दक्षिण में महाराष्‍ट्र है। राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 1,96,024 वर्ग किमी है।
हम पर्यटन राज्य गोवा की बात करें तो , ,गोवा या गोआ (कोंकणी: गोंय), क्षेत्रफल के अनुसार से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के अनुसार चौथा सबसे छोटा राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने सुन्दर समुद्र के किनारों और प्रसिद्ध स्थापत्य के लिये जाना जाता है। गोवा पहले पुर्तगाल का एक उपनिवेश था। पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 सालों तक शासन किया और 19 दिसंबर 1961 में यह भारतीय प्रशासन को सौंपा गया। महाभारत में गोवा का उल्लेख गोपराष्ट्र यानि गोपालकों के देश के रूप में मिलता है।जिस स्थान का नाम पुर्तगाल के यात्रियों ने गोवा रखा वह आज का छोटा सा समुद्र तटीय शहर गोअ-वेल्हा है। बाद में उस पूरे क्षेत्र को गोवा कहा जाने लगा जिस पर पुर्तगालियों ने कब्जा किया,जनश्रुति के अनुसार गोवा जिसमें कोंकण क्षेत्र भी शामिल है (और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक बताया जाता है) की रचना भगवान परशुराम ने की थी। कहा जाता है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणो की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था और लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि हैं। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है। भारत ने 1947 में अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त की, भारत ने अनुरोध किया कि भारतीय उपमहाद्वीप में पुर्तगाली प्रदेशों को भारत को सौंप दिया जाए।किंतु पुर्तगाल ने अपने भारतीय परिक्षेत्रों की संप्रभुता पर बातचीत करना अस्वीकार कर दिया। पर 19 दिसंबर 1961 को, भारतीय सेना ने गोवा, दमन, दीव के भारतीय संघ में विलय के लिए ऑपरेशन विजय के साथ सैन्य संचालन किया और इसके परिणामस्वरूप गोवा, दमन और दीवभारत का एक केन्द्र प्रशासित क्षेत्र बना। 30 मई 1987 में केंद्र शासित प्रदेश को विभाजित किया गया था, और गोवा भारत का पच्चीसवां राज्य बनाया गया। जबकि दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश ही रहे। संस्कृति की दृष्टि से गोवा की संस्कृति काफी प्राचीन है। 1000 साल पहले कहा जाता है कि गोवा "कोंकण काशी" के नाम से जाना जाता था। हालाँकि पुर्तगाली लोगों ने यहाँ के संस्कृति का नामोनिशान मिटाने के लिए बहुत प्रयास किए लेकिन यहाँ की मूल संस्कृति इतनी शक्तिशाली थी की वह ऐसा नहीं कर पाए। गोवा का प्रमुख उद्योग पर्यटन है। पर्यटन के आलावा गोवा में लौह खनिज भी विपुल मात्रा में पाया जाता है जो जापान तथा चीन जैसे देशों में निर्यात होता है। गोवा मतस्य (मछली) उद्योग के लिए भी जाना जाता है लेकिन यहाँ की मछली निर्यात नहीं की जाती बल्कि स्थानीय बाजारों में बेची जाती है। यहाँ का काजू सउदी अरब, ब्रिटेन तथा अन्य यूरोपीय राष्ट्रों को निर्यात होता है। पर्यटन के वज़ह से बाकी उद्योग जो पर्यटन पर निर्भर करते है वो भी यहाँ पर जोर शोर से चालू हैं। गोवा में अभी तक सिर्फ़ एक ही विमानपत्तन है और दूसरा अभी बनने वाला है।
महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस 1 मई को मनाया जाता है कभी ये दोनों राज्य मुंबई का हिस्सा थे। जब मुंबई राज्य से महाराष्ट्र और गुजरात के गठन का प्रस्ताव आया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुंबई को अलग केन्द्रशासित प्रदेश बनाने की वकालत की। उनका तर्क था कि अगर मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बने रहना है तो यह करना आवश्यक है। किंतु पंडित नेहरू की नहीं चली। देश के पहले वित्तमंत्री और वित्त विशेषज्ञ चिंतामणि देशमुख ने इसका प्रखर विरोध किया और इसी मुद्दे पर केन्द्रीय मंत्रिमण्डल से इस्तीफा दे दिया। देश के राज्‍यों के भाषायी पुनर्गठन के फलस्‍वरूप 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र राज्‍य का प्रशासनिक प्रादुर्भाव हुआ। यह राज्‍य आसपास के मराठी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया, जो पहले चार अलग अलग प्रशासनों के नियंत्रण में था। इनमें मूल ब्रिटिश मुंबई प्रांत में शामिल दमन तथा गोवा के बीच का ज़िला, हैदराबाद के निज़ाम की रियासत के पांच ज़िले, मध्‍य प्रांत (मध्य प्रदेश) के दक्षिण के आठ ज़िले तथा आसपास की ऐसी अनेक छोटी-छोटी रियासतें शामिल थी, जो समीपवर्ती ज़िलों में मिल गई थी। महाराष्ट्र (अंग्रेज़ी:Maharashtra) भारतीय राज्य, प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। महाराष्ट्र गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गोवा राज्यों से घिरा हुआ है और इसके पश्चिम में अरब सागर है, ,इतिहास के आईने में देखें तो , ,, महाराष्ट्र के इतिहास को
प्राचीन 16 महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास का माना जाता है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुंबई के निकट पाए गए हैं। महाराष्ट्र के पहले प्रसिद्ध शासक सातवाहन (ई.पू. 230 से 225 ई.) थे जो महाराष्ट्र राज्य के संस्‍थापक थे। उन्‍होंने अपने पीछे बहुत से साहित्यिक, कलात्‍मक तथा पुरातात्विक प्रमाण छोड़े हैं। उनके शासनकाल में मानव जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर प्रगति हुई।  महाराष्ट्र देश के समृद्ध राज्यों में से एक है , यहां समुद्र हैं , मछली पालन , नारियल खेती , सहित कृषि , पर्यटन , उद्योग , फिल्म उद्योग सहित हर तरह के वैसे व्यापार है , यह राज्य शिक्षा , चिकित्सा , राजनीति ,, अपराध माफियागिरी , कलात्मक प्रदर्शन , सहित हर क्षेत्र में अग्रणी है , ,यहां अजंता एलोरा की गुफाएं  ऐतिहासिक भी हैं , कलात्मक भी हैं , पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण के साथ , सेक्स शिक्षा के एक अघोषित  विश्विद्यालय भी है ,,  यहां वायु सेवा , रेल ,सेवा बस सेवा , ,पानी के जहाज़ की सेवा सहित परिवहन के सभी साधन सुविधाजनक , है ,, विश्व का यह व्यापारिक केंद्र भी है ,, इसीलिए महाराष्ट्र की मुंबई को , भारत की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है , महाराष्ट्र की मुंबई , फिल्म उद्योग में , बॉलीवुड के नाम से जानी जाती है , यहां , देश भर के कलाकारों का जमावड़ा है , जो विश्वस्तरीय कलात्मक , ऐतिहासिक ,, महत्व की बेहतरीन फिल्मे बनाते है , यहां के फिल्म स्टार , फिल्म अभिनेत्री , विश्व विख्यात है ,, जबकि क्रिकेट , और घोड़ों की दौड़ सहित कई ऐसे खेल है , जो यहां , करोड़ों करोड, की हार जीत पर खेले जाते हैं ,,  पर्यटन की दृष्टि से  महाराष्ट्र में मुंबई विश्विख्यात स्थान कहा जाता है , यहाँ के महत्‍वपूर्ण पर्यटन केंद्र है अजंता, एलोरा, एलिफेंटा, कन्हेरी गुफ़ाएँ, पीतलखोरा और कारला गुफाएं, महाबलेश्वर, माथेरान और पंचगनी, जवाहर, मालशेज घाट, अंबोली, चिकलधारा और पन्‍हाला पर्वतीय स्‍थल। पंढरपुर, नाशिक, शिरडी, नांदेड, औधानागनाथ, त्रयंबकेवर, तुलजापुर, गणपतिपुले, भीमशंकर, हरिहरेश्‍वर, शेगाव, कोल्हापुर, जेजुरी तथा अंबजोगई धार्मिक स्‍थान है। मुंबई पूर्वी न्यूयॉर्क के नाम से भी विख्यात है। मुंबई में चौपाटी, गेटवे ऑफ़ इन्डिया, प्रिन्स वेल्स म्युज़ियम, एलिफ़ेन्टा केव्स और मडआईलॅन्ड बहुत ही प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र के छत्रपति शिवाजी , बहादुरी का एक अनुकरणीय गौरवशाली  इतिहास है ,
विविधताओं में एकता वाला राज्य , राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से भारत का सबसे बढ़ा राज्य है , यहां नदियां है , सबसे बढ़ा रेगिस्तान है , तालाब है , पुराने राजमहल ,, हवेलिया है , आज़ादी के आंदोलन का इतिहास है , राजा रजवाड़ों की संस्कृति है , राजपुताना इतिहास है ,  यहां महाराणा प्रताप की बहादुरी , हकीम खान सूरी की वफ़ादारी , चित्तोड़ की रानी पद्मिनी का जोहर , बूंदी में वफ़ादारी का कुम्भा  राणा का अपना  इतिहास है राजस्थान का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है। ईसा पूर्व 3000 से 1000 के बीच यहाँ की संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता जैसी थी। 12वीं सदी तक राजस्थान के अधिकांश भाग पर गुर्जरों का राज्य रहा। गुजरात तथा राजस्थान का अधिकांश भाग 'गुर्जरत्रा' अर्थात 'गुर्जरों से रक्षित देश' के नाम से जाना जाता था।[3][4][5]गुर्जर प्रतिहारो ने 300 सालों तक पूरे उत्तरी-भारत को अरब आक्रान्ताओ से बचाया था।[6] बाद में जब राजपूतों ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना आधिपत्य जमा लिया तो यह क्षेत्र ब्रिटिश काल में 'राजपूताना' अर्थात 'राजपूतों का स्थान' कहलाने लगा। 12वीं शताब्दी के बाद मेवाड़ पर गुहिलोतों ने राज्य किया। मेवाड़ के अलावा जो अन्य रियासतें ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख रहीं, वे थीं- भरतपुर, जयपुर, बूँदी, मारवाड़, कोटा, और अलवर। अन्य सभी रियासतें इन्हीं रियासतों से बनीं। इन सभी रियासतों ने 1818 ई. में अधीनस्थ गठबंधन की ब्रिटिश संधि स्वीकार कर ली, जिसमें राजाओं के हितों की रक्षा की व्यवस्था थी, लेकिन इस संधि से आम जनता स्वाभाविक रूप से असंतुष्ट थी। वर्ष 1857 के विद्रोह के बाद लोग 'स्वतंत्रता आंदोलन' में भाग लेने के लिए महात्मा गाँधी के नेतृत्व में एकजुट हुए। सन् 1949 तक बीकानेर, जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर जैसी मुख्य रियासतें इसमें शामिल हो चुकी थीं और इसे 'बृहत्तर राजस्थान संयुक्त राज्य' का नाम दिया गया। सन् 1958 में अजमेर, आबू रोड तालुका और सुनेल टप्पा के भी शामिल हो जाने के बाद वर्तमान राजस्थान राज्य विधिवत अस्तित्व में आया। राजस्थान की कोटा नगरी ,, देश भर में शिक्षा नगरी के रूप में विख्यात है , यहां देश विदेश के बच्चे आई आई टी , और एम बी बी एस सेलेक्शन के लिए कोचिंग के लिए आते हैं , जबकि अन्य कोचिंग भी यहां टॉपर हैं ,, कोटा में चम्बल बहने से ,  यहां खुशहाली है , जबकि बीकानेर , बाड़मेर के रेगिस्तानी इलाक़े में भी इंद्रा नहर परियोजना के बाद , हरियाली आ गयी है , ,महल , उद्यान , म्यूज़ियम ,  हवेलियां तो यहां के मुख्य आकर्षण है , यही कारण है के राजस्थान में फ़िल्मी शूटिंग के साथ साथ , फिल्म स्टार , उद्योपतियों सहित सभी ज़िम्मेदार लोगों के विवाह समारोह आयोजित होते रहे रहे ,हैं , राजस्थान के अजमेर ज़िले में , क़ौमी एकता का संगम है , यहां एक तरफ तो सूफी संत खवाजा गरीब नवाज़ की  अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात दरगाह है , जहां देश भर के ही नहीं , विश्व स्तर पर भी लोग अमन चेन की दुआओं के लिए हाज़री बजाते हैं , जबकि पुष्कर अजमेर में ,ब्रहम्मा का विख्यात मंदिर है , जो देश भर में ही नहीं , विश्व स्तर पर आस्था का प्रमुख केंद्र है , राजस्थान में उदयपुर झीलों की नगरी , जोधपुर सूर्यनगरी , जयपुर राजधानी पिंक सिटी , कोटा शिक्षा नगरी , भरत पुर अभ्यारण्य नगरी , बीकानेर , बाड़मेर , जैसलमेर म्हारो राजस्थान की , राजपुताना संस्कृति की नगरी है , देश के सबसे बढे इस राज्य के अब पचास ज़िले हो गए है ,
ख़ुशी की बात यह है , के  विख्यात लेखक , राष्ट्रिय स्तर पर पुरस्कृत डॉक्टर  प्रभात कुमार सिंघल , राजस्थान के  कोटा बारां ज़िले के ही हैं , यहां कलात्मक , त्यौहार , संस्कृति , समाज , कृषि , पत्रकारिता ,, शिला लेख ,  सहित अनेक मुद्दों पर  डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल के , कई शोध ग्रंथ , कई , शोध लेख ज्ञानवर्धक हैं , ,यक़ीनन यह पुस्तक , पुरे भारत की अनेकताओं को , एक धागे में पिरोकर विश्वस्तरीय एक ऐसा  दस्तावेज है , जो हर नागरिक , चाहे वोह छात्र हो , पर्यटक हो , इतिहासकार हो , भूगोल विद हो , कलाकार हो , सभी के लिए बहुउपयोगी रहेगी ,  अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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