और हम ही ने दिन को (कसब) मआश (का वक़्त) बनाया (11)
और तुम्हारे ऊपर सात मज़बूत (आसमान) बनाए (12)
और हम ही ने (सूरज) को रौशन चिराग़ बनाया (13)
और हम ही ने बादलों से मूसलाधार पानी बरसाया (14)
ताकि उसके ज़रिए से दाने और सबज़ी (15)
और घने घने बाग़ पैदा करें (16)
बेशक फैसले का दिन मुक़र्रर है (17)
जिस दिन सूर फूँका जाएगा और तुम लोग गिरोह गिरोह हाजि़र होगे (18)
और आसमान खोल दिए जाएँगे (19)
तो (उसमें) दरवाज़े हो जाएँगे और पहाड़ (अपनी जगह से) चलाए जाएँगे तो रेत होकर रह जाएँगे (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 मार्च 2023
और हम ही ने दिन को (कसब) मआश (का वक़्त) बनाया
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)