280 किलोमीटर के सफ़र से रौशन होगी किसी की अंधेरी दुनिया
2. कोटा से अकलेरा जाकर,सेवानिवृत्त शिक्षक का लिया नैत्रदान
3. अंत समय में नैत्रदान का ज्ञान दे गये, अकलेरा के गुरुजी
वृंदावन
कॉलोनी इकलेरा निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक श्री बाबूलाल यादव जी के आकस्मिक
निधन के उपरांत उनके बड़े सुपुत्र सुरेंद्र यादव ने पिताजी के नेत्रदान
करवाने की बात परिवार के सभी सदस्यों के बीच में रखी समाज में इस तरह का
कार्य पहले कभी नहीं हुआ था, इसलिए जैसे ही बाबूलाल जी के नेत्रदान करवाने
की बात सामने आयी, परिवार की महिलाओं में थोड़ा सा विरोध उत्पन्न हुआ ।
सुरेंद्र
छोटे भाई नवल और मेल नर्स अजय ने परिवार के सभी सदस्य को नेत्रदान की
उपयोगिता और प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी,सभी को बताया गया
कि,नेत्रदान की प्रक्रिया में किसी तरह का रक्त नहीं आता है और ना चेहरे पर
कोई विकृति आती है,सिर्फ 10 मिनट में यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है । यह
जानकारी मिलने के उपरांत समाज और परिवार के सभी लोगों के बीच में नेत्रदान
के लिए सहमति बन गई ।
पड़ौस
में रहने वाले सुरेंद्र जी के करीबी मित्र सत्यनारायण ने नेत्रदान के
कार्य के लिए, तुरंत ही शाइन इंडिया फाउंडेशन की इकलेरा शाखा के सदस्यों से
संपर्क किया,जिसके उपरांत 140 किलोमीटर दूर कोटा से नैत्रदान लेने के लिये
टीम के सदस्य ज्योति-रथ से रवाना हुए। शव यात्रा से ठीक पहले परिवार के
सभी सदस्यों के बीच नैत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुयी।
नेत्रदान
की प्रक्रिया के उपरांत उपस्थित सभी लोगों को आश्चर्य हुआ कि सिर्फ 10
मिनट में पूरी हो जाने वाली इस प्रक्रिया से कॉर्निया की अंधता के व्यक्ति
का जीवन पूर्णतया रोशन किया जा सकता है। ईबीएसआर बीबीजी चैप्टर के
कोऑर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि इकलेरा क्षेत्र में अभी तक 10
पुण्य आत्माओं के नेत्रदान हो चुके हैं ।
नेत्रदान के इस पुनीत कार्य में ज्योति-मित्र राम कुमार विजय,लोकेश जैन,सत्यनारायण मेवाड़ा और मंगलेश जैन का सहयोग रहा ।
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