आपका-अख्तर खान

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22 फ़रवरी 2023

भारत के प्रधानमंत्री हों , केंद्रीय मंत्री हों , मुख्यमंत्री हों , सांसद विधायक हों , महामहिम राष्ट्रपति महोदय हों , सभी को , वकील सहयोग कर, उनके आवेदन भरवाकर , उनकी कमिया दूर कर , उन्ह्र इन ऊँचे ओहदों पर बिठाता है

 भारत के प्रधानमंत्री हों , केंद्रीय मंत्री हों , मुख्यमंत्री हों , सांसद  विधायक हों ,  महामहिम राष्ट्रपति महोदय हों , सभी को , वकील सहयोग कर, उनके आवेदन भरवाकर , उनकी कमिया दूर कर , उन्ह्र इन ऊँचे ओहदों पर बिठाता है , फिर यह लोग , वकीलों से गद्दारी करते हैं , उनके कल्याण , उनकी सुरक्षा , उनकी व्यवस्थाओं को लेकर, वकीलों को कांग्रेस , भाजपा , समाज ,, सियासत में बाँट कर, उनकी खिल्ली उड़ाते हैं , उनकी मांगों को पेरो तले रोंदते हैं ,,
 वकील समाज कहने को एक है , अनुशासित है ,लेकिन ज़रा अपने दिल की धड़कनों से हम पूंछे , क्या हम बार कौंसिल ,नियम , एवोकेट एक्ट  , के खिलाफ हिस्सों में नहीं बटे हैं , क्या हमारी स्लीपर सेल , जो कभी अदालत आते ही नहीं , हमारी इलेक्शन मजबूरी की  वजह से नहीं बनी है , ज़रा  अपने दिल की धड़कनों से , हमारी ताल्लुका , क़स्बाई , जिला बार एसोसिएशन हैं , कई ज़िलों में , दो दो बार एसोसिएशन हैं , हायकोर्ट , सुप्रीमकोर्ट , अलग अलग बेंच की अलग अलग बार एसोसिएशन है , राज्यवार बार कॉंसिलें हैं , और सबसे बढ़ी , देश भर के वकील साथियों को अनुशासित, संचालित , उन्हें प्रोटेक्ट कर , इंसाफ दिलाने के लिए , बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया बनी है , इतना ताक़तवर तब्क़ा , होने होने के बावजूद भी , अगर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के लिए गिड़गिड़ाए , अगर  अधिवक्ता कल्याण कोष के लिए गिड़गिड़ाए , अगर अदालतों में सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए गिड़गिड़ाए , अदालत के भवन निर्माण के लिए , गिड़गिड़ाए , खाली अदालतों को भरने , और , वकील कोटे से , संविधान के अनुरूप , जज बनाने के  लिए क़ानून होने के बावजूद भी उस अनुपात में , जज नहीं बनवा पाए , तो बताइये गलती किसकी है , सरकार तो हमें बांटेगी , हमे टुकड़ों में बांटेगी , लालच देगी , लेकिन वकालत हमारा  धर्म , वकीलों के अधिकारों का संरक्षण हमारा  कर्तव्य है , लेकिन हम , कांग्रेस विधि प्रकोष्ट , भाजपा विधि प्रकोष्ट , आप विधि प्रकोष्ट , सपा , बसपा विधि प्रकोष्ट , इतना हो तो सब ठीक है , फिर धर्म आधारित विधि प्रकोष्ठ , इतना भी ठीक है , लेकिन फिर धर्म में भी , अलग अलग समाजों को बाँट कर , समाज आधारित प्रकोष्ठ बनाकर , हम अपनी सियासत में शामिल होकर, खुद के टुकड़े टुकड़े कर बैठे हैं , , बार कौंसिल नियमों के तहत , वकील अभिभाषक परिषद के सदस्य के साथ , बार कौंसिल सदस्य ही रहेगा , अगर किसी ऐरे गेरे प्रकोष्ठ होते है , तो वोह गैर क़ानूनी , एडवोकेट एक्ट के खिलाफ होते हैं , फिर हम इस टुकड़े टुकड़े गेंग की खरपतवार को , इस बिमारी को , हमारे वकील साथियों में क्यों पाल रहे हैं , ठीक है , सरकार का वकीलों को नियंत्रित करने के लिए , सॉलिसिटर , एडवोकेट जनरल , सरकारी वकील जैसे मामले उसके खुद के हाथ में हैं , तो होने दो , अपनी उन ज़िम्मेदारियों के साथ , वकीलों के हक़ संघर्ष के लिए , खुलकर संघर्ष करो , बस   आयना दिखाया नहीं के आपस  में एक दूसरे के खिलाफ आरोप प्र्यारोप शुरू , ,, अरे  तुम वकील होते हो , तभी तो जज बनते हो , और उन जजों के पास जाकर तुम अपना दर्द सुनाते भी हो , तो नतीजे सामने होते है , आदेश हो भी जाए , तो जिनके फॉर्म , हम भरते है , जिनके शपथ पत्र,  हम तस्दीक़ करते है , जिनकी योग्यता , निर्योग्यता के मामलों को हम जी जान से लड़कर उन्हें जिताते हैं , वही फिर हम पर गुर्राते हैं ,,, ऐसे में बार कौंसिल का कोई भी सदस्य हायकोर्ट जज नहीं बने , किसी भी राजकीय पद पर नियुक्त ना हो , इसकी आचार संहिता तो होना ही चाहिए , ताकि हमारी पैरवी निष्पक्ष हो सके , संघर्ष निश्पक्ष हो सके , हमें , आपने सभी ने देखा है  ,सियासी पार्टियां हमे कैसे मामू , जी हाँ मामू बनाती हैं , हम डबल ग्रेजुएट  जिनके आइडेंटिफिकेशन से , जिनके शपथ पत्र तस्दीक़ से , जिनके आवेदन भरने से , जिनकी पैरवी से , यह लोग मंत्री बनते है , विधायक बनते हैं , सांसद बनते है , प्रधानमंत्री बनते है , यह लोग जब विपक्ष में होते है , तो हमारे धरने ,, हमारे प्रदर्शनों पर आकर , हमारे रजिस्टरों  में लिखित में , ,आश्वस्त करते  हैं , के अगर हमारी सरकार आई तो हम , हायकोर्ट की बेंच यहां खुलवा देंगे , लिखित में कहते हैं , अगर हमारी सरकार आई तो हम , एक रूपये प्रति वर्ग फिट पर , आवासीय प्लाट वकीलों को , दिलवा देंगे , खूब वायदे करते हैं ,भाषण देते है ,  हमारे पार्टी के विधि प्रकोष्ठों के सम्मेलन बुलाते है , वायदे करते है , के हमारी सरकार आएगी , तो , हम एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू कर ,देंगे वकीलों के लिए पेंशन  योजना लागू कर देंगे , हम वकीलों को सुरक्षा देंगे , सुविधाएं देंगे,   लाइब्रेरी देंगे,  लॉन देंगे , , जूनियर्स को स्टाइफंड देंगे ,, वगेरा वगेरा  लेकिन क्या ऐसा होता है , नहीं ना,  ज़रा सोचो , हम देश के संविधान के संरक्षक है , डबल ग्रेजुएट है , फिर भी यह लोग हमे टिश्यू पेपर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं  , कोटा उदाहरण तो आपने देखा है ,, ना  यहां हाईकोर्ट बेंच के आन्दोलन में , प्लॉटों की कीमतें कम करवाने के आंदोलन में , खुद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ,, पूर्व विधायक भवानी सिंह जी राजावत , प्रह्लाद जी गुजंल , बगेरा वगेरा आकर एक रूपये में ,. मुफ्त में प्लाट दिलवाने का लिखित वायदा करके गए थे , हायकोर्ट बेंच सरकार आते ही खुलवाने का झांसा देकर गए थे , लेकिन फिर हुआ क्या , अभी तक ठेंगे के सिवा कुछ नहीं , हम , ऐसे लोगों से जाकर सवाल भी नहीं पूंछते , यह हमारी गलती है , हमारी वकील से अलग हटकर पार्टी की निष्ठां हमे वकीलों के हितों से अलग कर रही हैं , कांग्रेस विधि विभाग के , सुशील जी शर्मा ने , सभी वकीलों को  जयपुर बिरला ऑडिटोरियम में इकट्ठा किया ,, खूब भाषण बाज़ी हुई , उस वक़्त के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे , सचिन जी पायलेट , अशोकजी  गहलोत ने , वकीलों से  खूब वायदे किये , ,एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट सरकार आते ही लागू करने का वायदा किया , , यहां तक के चुनावी घोषणा पत्र भी बना दिया , ,लेकिन सरकार बनी , और फिर हमारे मुद्दे गौण हो गए , विधि प्रकोष्ठ के सुशील शर्मा जी , बार कौंसिल के अध्यक्ष भी बने , लेकिन उन्होंने इस मामले में , कोई आन्दोलन ,, कोई घेराव , की कोई कार्यवाही नहीं की , सरकार को आयना भी नहीं दिखाया  ,, खेर सुशील शर्मा तो पार्टी के पदाधिकारी थे , उनके बाद तो , कई चेयरमेन बन गए  जोधपुर , जयपुर हायकोर्ट और सेशन कोर्ट के कई अध्यक्ष बन गए , बार कौंसिलर कई बार , मुख्यमंत्री जी से मिल लिए , फिर आखिर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट , सहित वकीलों की कल्याणकारी योजनाओं के मामले में ,  इन सभी की जुबां  हलक़ में क्यों अटक गई , अब राज्य का  कहना है , यह मामला पुरे देश के वकीलों की सुरक्षा का है , किसी एक राज्य से संबंधित नहीं , इसलिए केंद्र सरकार को , राष्ट्रिय स्तर पर , एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लाना चाहिए , तो फिर डॉक्टर्स के लिए , राजस्थान का पृथक से प्रोटेक्शन एक्ट क्यों लाये , यह दोहरा चरित्र क्यों , और इन सब को , चार सालों से हम अस्सी हज़ार वकील साथी , हमारी डेढ़ सो से ज़्यादा बार एसोसिएशन , बढ़ी बार एसोसिएशन  जोधपुर , जयपुर , अजमेर कोटा , इस वायदा  खिलाफी मामले में चुप्पी क्यों साध कर बैठे रहे , ,बार कौंसिल आपस में ही सदस्यों को निष्कासित करवाने में रही ,, खेर अनुशासन का मामला है , होना चाहिए , लेकिन कर्तव्यों को भी तो निर्वहन कर, अपने सदस्य साथियों को , विश्वास में लेकर , श्वेत पत्र जारी करना चाहिए , कांग्रेस ने , बेवफाई की , वायदा खिलाफी की तो क्या भाजपा के प्रतिपक्ष नेता, भाजपा के विधायकों को इस मामले में , मांग उठाने ,  हल्ला करने , प्राइवेट एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट का बिल पेश करने से किसी ने रोका था , लेकिन सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं , तू मेरी मत कह , में तेरी नहीं कहूं वाली कहावत चरितार्थ है , हम भी ज़िम्मेदार है , हमे चाय , पान , कपड़े की दूकान , स्कूल , कॉलेज चलाने वालों सहित , दूसरे रोज़गारों में लगे , निष्क्रिय सदस्यों को , सिर्फ अपने इलेक्शन वोटों के खातिर , सदस्य बना लेते हैं , और भीड़ बढ़ाकर,  पेचीदगियां पैदा करते हैं , कोटा  में ऐसे लोगों को सदस्य से हटाने की पहल की थी , लेकिन फिर चुनावी ज़िम्मेदारों के चलते , इसे विड्रो करना पढ़ा , झलावाड सहित कुछ ज़िलों में तो अभी भी  , ऐसे लोगों के लिए सदस्य और सह सदस्य का प्रावधान टाइप है , जो , अदालत में आ सकते हैं , गतविधियों में शामिल हो सकते है , लेकिन चुनाव प्रभावित करने के लिए , थोक में , स्लीपर वोटर्स के रूप में , वोटर्स नहीं हो सकते , खेर , अभी एक वकील की नृशंस  हत्या के बाद , वकील एक जुट है  ,संघर्ष कर रहे है , , इस मामले में , प्रदेश स्तरीय संघर्ष समिति का तुरंत गठन हो , और गैर राजनैतिक तरीके से , हर हाल में इसी सत्र में वकीलों के संरक्षण के लिए , एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो , इसके प्रयास अंतिम रूप से होना ज़रूरी हो गया है , क्योंकि अभी नहीं तो फिर कभी नहीं , अगर अभी भी हम , भाईसाहब ,भाईजान , या लॉलीपॉप पॉलिसी के शिकार हो गए , तो फिर अभी नहीं तो कभी नहीं , की कहावत के तहत यह बिल ना जाने कब आये , आये भी या फिर ना आये , ,अब यह हमारी एकता पर निर्भर है ,   अख्तर  खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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