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19 फ़रवरी 2023

वाह आबिद साहब , वाह आप भी कमाल के निकले , मलेकुल मोत के फरिश्तों के साथ दोस्ती करके

वाह आबिद साहब , वाह आप भी कमाल के निकले ,  मलेकुल मोत के फरिश्तों के साथ दोस्ती करके , ,बिना हमे बताये उनके साथ जल्द बाज़ी में चल दिए ,, तुम तो कहते थे हर काम को तसल्ली से , समझ कर करना चाहिए , तुम कोई भी क़ानूनी फ़ाइल पढ़ते , तो तसल्ली से एक बार , दो बार , कई बार पढ़ते, फिर तुम उस मुक़दमे का पोस्टमार्टम कर जीत हांसिल ,करते ,, तुम  तय्यार होते तो तसल्ली से , आराम से , सोच समझकर तय्यार होते , और फिर माशाअल्लाह , कड़ियल नौजवान की तरह , लोगों की नज़र में आते , तुम किसी बात को समझाते , तो तसल्ली से, एक बार नहीं दो बार समझाते ,चलने में तसल्ली , , उठने में तसल्ली , बैठने में तसल्ली ,, हर काम जब तुम तसल्ली से करने की आदत रखते  थे , तो फिर तुमने ,  मलेकुल मोत से कैसे दोस्ती कर , उसके झांसे में  आकर  बिना किसी तसल्ली के तुरत फुरत में , बिना हमें बताये , बिना अपने घर वालों ,बच्चों को ,  दोस्तों को , रिश्तेदारों को ,बताये , तुम उनके साथ चल दिए , यह गलत बहतु गलत  किया है तुमने ,,  , तुम्हे आना होगा , तुम्हे लौटकर आना  ही  होगा,खुदा के यहां अगर कोई , करिश्मा है , तो खुदा को बताना होगा, , ज़िंदगी में नहीं तो बशर में तुम्हे अल्लाह के करम से ,, हम सब के साथ, फिर से  रहना होगा, साथ आना होगा,  हमे रोज़ मर्रा इसी तरह , गुदगुदाना  होगा, मशवरे देना होंगे , हमारे साथ , हंसी मज़ाक़ , खेल तमाशे करना होंगे , तुम्हे आना ही होगा , अभी तो तुम्हारी उम्र थी ही क्या , हट्टे कट्टे  रोज़ मर्रा पाँचों वक़्त की नमाज़ एक्सरसाइज़ के साथ , मॉर्निंग वाक् , खाने में सावधानी , परहेज़ ,, चबा  चबा कर खाना ,, पानी बैठ कर पीना घर का  साफ़ पानी ,पीना  घूंठ घूंठ , चबा चबा कर पानी पीना, , थोड़ी से छींक आने  पर भी डॉक्टर्स से सलाह लेकर,  तुरंत , ज़िम्मेदारी से , वक़्त पर दवा लेना ,,  लोगों के दुःख दर्द का साथी होना ,, लोगों के साथ  हमदर्दी , , रोतों हुओं को हंसाने का जज़्बा , , बंद मुट्ठी से ,  भूखों को , रोटी , लोगों को कपड़े देना , स्कूलों की फीस जमा कराना , बिमारी , दुःख तकलीफ में अपने सभी कामकाज छोड़कर , अस्पताल ले जाना , डॉक्टर को दिखाना , दवाएं दिलवाना , सस्ता , मुफ्त इलाज कैसे हों , इसके बारे में लोगों के लिए कोशिश करना , यह सब जज़्बा तुम्हारा कहाँ गया , जो लोग तुम पर निर्भर है , जो लोग तुम्हे देख कर जीते है , तुम्हे देखकर हँसते हैं , तुम्हे देखकर , चाय पीते है , नाश्ता करते हैं , खाना , खाते है , तुम्हारे बगैर किसी फंक्शन में जो हरगिज़ , जा नहीं  सकते, हम जैसे ऐसे लोगों के बारे में आपने सोचा भी नहीं , वोह आबिद  अख्तर लॉयर्स एसोसिएट  की तुम्हारी कुर्सी , जवाब मांगती है , कहाँ है , मेरे सर , वोह बालकल्याण समिति की कुर्सी , वोह अदालत परिसर की कुर्सी , वोह ह्यूमन रिलीफ सोसायटी के कुर्सी , वोह ज़र्रा ज़र्रा  , वोह  किताबें , वोह फाइलें , वोह  क्लाइंट  सभी तो मुझे रोक रोक ,कर  मुझ  बिलखते हुए , अकेला, एक दम अकेला हो गए शख्स से ,  मुझे झकझोर कर ,तुम्हारे बारे में पूंछते है , वोह चाय की होटल वाला , वोह अदालत में बैठने का ऑफिस , वोह राधिका पैलेस का होटल में आबिद अख़बार लॉयर्स एसोसिएट का ऑफिस , वोह बालकल्याण समिति का ऑफिस , लीगल ऑथोरिटी का ऑफिस , क्या जवाब दूँ उन्हें , वोह  आकाशवाणी की मस्जिद , वोह , नयापुरा की मस्जिद , वोह , मन्ना पाढा की मस्जिद , अब्बासियों की मस्जिद , मोखापाड़ा की मस्जिद , पाल वाली बरकत उद्यान की ,मस्जिद , टिपटा में क़ाज़ी साहब की मस्जिद , सकतपुरा नांता की मस्जिद  कहाँ , कहाँ किस किस को जवाब दूंगा में , तुम्हे आना ही होगा , इन सभी इबादतघरों में मेने तुमने सभी ने एक दूसरे की फ़लाह बहबूदगी , लम्बी उम्र की दुआएं जो की है , , आल इंडिया अब्बासी सभा के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष का काम अब कोन ,, आपसे बेहतर संभाल सकेगा ,, बात बात पर जो चुटकियां लेकर , तुम जो वाहिद भाई को  छेड़ते थे , सईद भाई वकील साहब से हंसी मज़ाक़ करते थे , विमल जी , अरुण जी , के साथ मिलकर जो तुम , सताये हुए बच्चों की हिफाज़त में अपना सब कुछ दांव पर लगाने पर उतारू रहते थे , ,वोह मुनव्वर भाई की जलेबियाँ , कचोरियाँ , सभी तो आपके बारे में सवाल करते हैं , वोह आपके रिश्तेदार , आपके दोस्त , क्लास फेलो , खुद ,छोटिया जी , जिनकी तुम सिर्फ तुम अकेले हिम्मत थे , उन्हें अब में क्या जवाब दूंगा ,, अब अदालत की हड़तालों में , अदालत के समारोह , में , वकीलों के ठहाकों , में , फोटोग्राफी करके , सोशल मीडिया पर कोन अपलोड करेगा , , मुद्दों को लेकर संघर्ष के लिए हर किसी से टकराने वाले ,तुम  ,, मेरा हौसला क्यों तोड़ कर चले गए , आओ , तुम आओ , तुम्हे आना ही होगा ,बशर में ही सही , लेकिन तुम्हें आना ही होगा, , अल्लाह से मगफिरत की दुआओं के साथ , तुम्हे फिर हम बशर में चाहते है , हमारे साथ हमारे इर्द गिर्द , तुम्हारे बीवी बच्चों के साथ , उनके इर्द गिर्द , दोस्तों के साथ  , हम फिर तुम्हे इसी तरह ताउम्र देखना चाहते है , दुआएं भी करते है , तुम तो जन्नत में हो कहो न खुदा से , वहां खुदा हमारी दुआएं क़ुबूल कर ,तुम्हे बशर में ही सही , भेजे तो सही ,, कहते थे ,, दो जिस्म एक जान है हम , कहते थे , आपसी ख्यालों में विरोधाभास होने पर भी , हमेशा एक दूसरे के लिए जियेंगे हम , एक दूसरे का साथ निभाएंगे हम , वायदा तुमने जिससे निभाया कभी तोड़ा ही , नहीं , इसलिए इस वायदे को भी निभाना होगा ,तुम्हे आना ही होगा तुम्हे बशर में ही सही लेकिन आना तो होगा तुम्हे ,, तुम्ही बताओ , जब दो जिस्म एक जान है हम , तो रूह निकल जाने के बाद ,फिर में भी तो एक लाश ही हूँ , अरे मुझ से नाराज़ हो  , हो जाओ , लेकिन , वोह मासूम बच्चियां , वोह फ़रमाबरदार बीवी , वोह राजा महोबिया , और बहुत सारे ऐसे दोस्त , चाहने वाले , उनकी तो सोचते , अब  घंटाघर के लोगों के दुःख दर्द  कौन सुनेगा , चंबल कॉलोनी किशोरपुरा क्षेत्र के लोगों ,  चोरो , स्मैकचियों से कौन  हिफाज़त करेगा , इसलिए  मेरे भाई ,, मेरे दोस्त , तुम्हे आना ही होगा, शानू भाई , हों ,चाहे खालिद भाई हो , चाहे , सलीम चाचा,  चाहे फ़त्तू भाई हों , हर शख़्स तुम्हारा मुंतज़िर है , तुम्हे आना ही होगा ,, ,आना ही होगा ,बशर में ,  सही आना ही होगा , आज ही , अभी से ,ही  आना ही होगा , ,तुम्हे आना ही होगा ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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