खबर अच्छी है अल्पसंख्यकों को साधने के लिए दसवीं राजनीतिक नियुक्ति , , लेकिन सम्पादक जी , हों , या फिर रिपोर्टर जी , इस खबर का पोस्टमार्टम भी ज़रूरी है , ऐसी नियुक्तियों से अल्पसंख्यक साधे जा रहे हैं , या फिर दूर भगाकर नाराज़ किये जा रहे हैं , नियुक्तयां कोई बढ़ी बात नहीं , हो तो हो , नहीं तो क्या फ़र्क़ पढ़ता है , किसी का भी , हुक़्क़ा पानी बंद नहीं होता , नमाज़ , रोज़े , अज़ान से कोई नहीं रोकता , सभी काम अल्लाह के करम से बखूबी चलते है , थोड़ा संघर्ष होता है , फिर ठीक हो जाता है , और फिर यह तो वोह समाज है, जो अभी ज़िंदा लाश चाहे बना दिया गया हो , लेकिन अगर अंगड़ाई लेगा तो यक़ीनन ,, सत्ता पलट देगा , फिर से सत्ता का क़ब्ज़ेदार हो जाएगा , अभी तो यह समाज ,दरी बिछा रहा है , कुछ लोग इस समाज के क़दम बोसी कर रहे हैं ,, मौलवी , मुल्ला कुछ गैर सियासी होकर इल्म की तरफ है तो कुछ , मौलवी मुल्ला ,तलवे चाटकर , इस्लाम के खिलाफ उसूलों से समझौते कर , नेताओं के कदमबोसी में है इस्लाम की चाल , चरित्र को बिगाड़ रहे हैं , कुछ हैं , जो अपने अपने भाईसाहबों को खुदा से बढ़ा खुदा समझ बैठे हैं , लेकिन , कुछ अभी भी ज़िंदा है , एक आग नहीं ,, चिंगारी नहीं तो यह ठंडी राख भी नहीं है , राख में अभी भी , गर्माहट है , अगर अंगड़ाई ली , तो फिर यह राख की गर्माहट चिंगारी बनेगी , और कब दहकती आग बन जाए , कब सारे एक तरफा जीत के अरमानों को मटियामेट कर दे , की खबर नहीं इसलिए , ऐसी खबरों का पोस्टमार्टम करो , हालात जानों , आम लोगों में भी उठो बैठो , गरीबों ज़रूरतमंदों में उठो बैठो ,इबादतघरों में जाओ , हालात देखो , क़ब्रिस्तानों में जाओ हालात देखो , मदरसों को देखों , प्रशासनिक लापरवाही के शिकार सिसकते लोगों को देखो , यह इदारे जिन्हे बनाकर करोड़ों करोड़ रूपये मुफ्त में बर्बाद हो रहे हैं , इनका रिपोर्ट कार्ड देखो , इनके हालात देखो , अभी तक , राजस्थान अल्पसंख्यक विभाग का अध्यक्ष तो बनाया ही नहीं गया है , फिर कैसा संगठनात्मक ढांचा ,और जो प्रतिशत हिस्सेदारी है , वोह तो बस खामोशी इसलिए हैं के अभी फिलहाल भाईसाहबों की फरमाबरदारी है , , अब बात करते हैं पुरे दस इदारों की , दसवीं नियुक्ति तक की हिस्सेदारी की , अव्वल तो अभी तक इन सभी को मॉनिटरिंग करने के लिए , स्वर्गीय इंद्रा गांधी , स्वर्गीय , राजीव गाँधी की आत्मा , ,पंद्रह सूत्रीय कार्यक्रम अभी तक किसी भी ज़िले , पुरे राज्य में नहीं है , अब हो भी जाएँ तो क्या , चुनाव तो सर पर हैं , इसका लाभ यह कहकर दूसरे समाज से मिल जाए के हमने भाजपा की तरह इस पंद्रह सूत्रीय कार्यक्रम की हत्या कर दी मिल जायेगा तो यह शत प्रतिशत भूल होगी , अब अल्पसंख्यक आयोग की बात करें , क्या हुआ , इस आयोग का मंत्री दर्जा , संवैधानिक दर्जा कहाँ है , विधायक जी के पास यह पोस्ट है , तो फिर एक जन प्रतिनिधि जो इस पोस्ट के इन्तिज़ार में था उसका तो हक़ मारा गया ना , फिर चलो सब्र कर लेते है , लेकिन इस अल्पसंख्यक आयोग ने ,कोई अभियान के रूप में जन सुनवाई की हो , कोई , कार्यक्रम किये हों , कोई ,संज्ञान किसी एस पी , विधायक , कलेक्टर के खिलाफ लिया हो , कोई भी , सिफारिश , कोई भी रिपोर्ट राजस्थान सरकार को , अल्पसंख्यकों की दिक़्क़तों , परेशानियों के निराकरण के लिए एक सवेक्षण करके दी हो , तो बता दो प्लीज़ ,, नही ना , तो फिर ज़ीरो बटा ज़ीरो ही रहा ना, अब बात वक़्फ़ बोर्ड की लीजिये , एक विधायक हैं , जिन्होंने , जिन इबादघरों की मरम्मत कार्य रुके हुए है , उस मामले में भी कोई विधानसभा में सवाल नहीं उठाया ,,, वक़्फ़ क़ब्ज़ेदारी की आवाज़ नहीं उठाई , अल्पसंख्यक हॉस्टल संबंधित कोई आवाज़ विधानसभा में नहीं उठाई , ,उलटे , वक़्फ़ के कब्जेदारों को , जिला स्तर पर चोरदरवाज़े से , पदाधिकारी बना दिया गया ,, जो अदालतों में चेलेंज हुए है , विचाराधीन चल रहे हैं ,,अब वक़्फ़ विकास परिषद को ही लो , क्या वक़्फ़ विकास परिषद की कोई बैठक हुई , कोई योजना आई फिर एक विधायक को चेयरमेन बनाकर आम प्रतिनिधि का हक़ मारा गया है , ,चलो , मेवात बोर्ड की ही बात कर लो , क्या किसी मेवाती कल्याण की कोई योजना की घोषणा हुई , मेवात बोर्ड की कोई बैठक की खबर पढ़ी , नहीं ना ,तो फिर एक विधायक के ही पति को इस इदारे में नियुक्त कर, दूसरों का हक़ क्यों मारा ,, अब हज कमेटी का ही मामला देखो , हज का काम सर पर है , जिलेवार कमेटियों का गठन अभी तक पूरा नहीं हुआ,फिर एक विधायक को इस पद पर बिठाकर, आम जन प्रतिनधि का हक़ खत्म किया गया है , अब मदरसा बोर्ड को लो , पूरे राजस्थान में कायमखानी भाईजान , और कलाल भाईजनों का शासन है , दानिश अबरार ने कोई आवाज़ अभी तक उठाई नहीं , ज़ाहिदा बाजी चुप हैं, तो सालेह मोहम्मद साहब ,ने तो जयपुर के लिए खुद के विभाग के लिए भी गार्जियन शिप की कोई आवाज़ नहीं उठाई , कांग्रेस के विधायक , अल्पसंख्यक हॉस्टल के खिलाफ खुलकर , आवंटित ज़मीने रद्द करवा रहे हैं , मदरसा बोर्ड , में क्या स्थिति हुई है , सभी देख रहे है , अब सीमित समय में ,मदरसों में दवा तो नहीं बेचीं जा सकती ,दवा व्यापारी केसा भी हो , मदरसों की बिमारी का इलाज तो कर नहीं सकता,जो लोग , समाज के ज़िम्मेदारों के फोन नहीं उठाते हो ,व्यस्त होने पर दुबारा बात करने का जिनका मिजाज़ ना हो , वोह लोग , सरकार की योजनाओं को आम लोगों तक कैसे पहुंचा पाएंगे ,, ऐसे में यह फैसले की घडी है , प्रायश्चित का वक़्त यूँ तो बचा नहीं ,, लेकिन फिर ,भी हर ज़िले के दस दस बुद्धिजीवी ,, चमचे वाले नहीं , ओरिजनल बुद्धिजीवी जो , हक़ीक़त बयान करने की हिम्मत रखते हों , उन्हें बुलाएँ पटायें , समझाएं , और सरकारी योजनाएं , सरकार की बेहतर कार्यप्रणाली की निष्पक्ष योजना को उन के ज़रिए आम लोगों तक पहुंचाये , क्योंकि जो , रीढ़ विहीन लोग आपके साथ हैं , उनके पास ओहदे है, तो होंगे , उनके पास , गाडियें बंगले , नौकर चाकर हैं तो होंगे , इधर उधर का माया हुआ रुपया है तो होंगे, लेकिन समाज में उनकी हैसियत क्या है , सभी जानते हैं , फिर 2013 ना दोहराया जाए , इसके ,लिए थोड़ा मिजाज़ में बदलाव कर ,लो ,, कहने को कुछ ऐसा करना शुरू करो , जो दिल बहलाने को ग़ालिब ख्याल अच्छा हो जाये , वैसे भी हमारे अपने भीतरघाती क्या कम है , शीर्ष स्तर पर भीतर घात का प्लान तय्यार है ,, हर ज़िले में , रोज़ दो दो , दस दस लोगों को बुलाकर बगावत के इंजक्शन लगाए जा रहे हैं , खासकर चार टार्गेटिव विधानसभा सीटों को तो चाणक्य की तरह छोटी बांधकर , अपने ही स्टार लोगों ने हराने की शपथ सी ली है , इसलिए ऐसे स्टार नाराज़ों को मनाओ , , गलत फहमियां दूर करो , अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनने की जगह , अपने गिरेहबान में झाकिये क्योंकि यह अख़बार यह पत्रकार , यह सामजिक पत्रकार , और यह आसपास जी हुज़ूरी में शामिल लोग, निष्पक्ष राय के मामले में फिसड्डी हैं , अब अख़बारों की खबर पर लोग हँसते हैं , न्यूज़ चेनल्स की खबर का मज़ाक़ उड़ाते हैं , और सोशल मीडिया की खबरों पर कुछेक अपवादों को छोड़कर ,, साहसिक निष्पक्ष लेखन को तवज्जो देकर अपना मिजाज़ बनाते हैं ,, इसलिए अपने सोशल मीडिय ग्रुप में जो निष्पक्ष लोग है , उनसे भी राब्ता करो , उनसे भी टिप्स लोग , हालातों की सच्चाई के बारे में जानकारी लोग ,यह सी आई डी के लोग , अधिकारी लोग , इधर उधर विज्ञापन और दूसरी मदद के लिए भटकने वाले बेचारगी में चल रहे लोग , आपको , सिर्फ आप बेहतर है , आपसे सब लोग खुश हैं , दो चार लोग बदमाश हैं , वोह दो कोड़ी के लोग हैं , उनकी कोई सुनता नहीं , आपकी तो सिर्फ एक तरफा जीत है , यह झूंठ , यह फरेब ,, आपके सांमने परोसते रहेंगे और , आपको , अपनी कामयाबी से , लम्हा लम्हा दूर करते रहेंगे , फिर से अगर विकास , ,सोंदर्यकरण कल्याणकारी योजनाओं की ज़िम्मेदारियों को , निभाने के लिए सत्ता में आना है , तो थोड़ा पाना सलीक़ा बदलना होगा ,, अहंकार त्यागना होगा , ,,लोगों के दुःख दर्द में शामिल होना होगा , उनकी सुनना होगी , , नहीं तो , फिर आप मालिक है , कुर्सी के भी , रो सड़क के भी , जहाँ चाहो , आप जानों , आपका काम जाने , ,अख्तर खान अकेला कोटा
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 जनवरी 2023
खबर अच्छी है अल्पसंख्यकों को साधने के लिए दसवीं राजनीतिक नियुक्ति
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