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21 जनवरी 2023

कहाँ है ,, विश्व की सबसे बढ़ी पार्टी ,, भारत को आज़ाद कराने में अपनी क़ुर्बानियां देने वाली पार्टी , भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस का संविधान , कहाँ है , इसके सिरमौर ज़िम्मेदार ,, राष्ट्रिय कार्यकारिणी , प्रदेश कार्यकारिणी , जिला अध्यक्ष कहाँ है

 कहाँ है ,, विश्व की सबसे बढ़ी पार्टी ,, भारत को आज़ाद कराने में अपनी क़ुर्बानियां देने वाली पार्टी , भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस का संविधान , कहाँ है , इसके सिरमौर ज़िम्मेदार ,, राष्ट्रिय कार्यकारिणी , प्रदेश कार्यकारिणी , जिला अध्यक्ष कहाँ है , ढूंढ रहे हैं ,, तलाश रहे है  , एक तरफ कांग्रेस के लिए देश के लिए शहादत का इतिहास रचने वाले परिवार के राहुल गांधी ,, भारत जोड़ने की यात्रा पर है , और दूसरी तरफ यहां राजस्थान में कुछ लोग , तूतू , में में के नाम पर , कांग्रेस को तोड़ने , कांग्रेस की जीती हुई बाज़ी को हराने की साज़िशों में लग गए है , कांग्रेस यहां गौण हो गयी है , संगठन से बढे यहां व्यक्ति होते जा रहे है , ,, यक़ीनन भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के राष्ट्रिय  अध्यक्ष  मलिकार्जुन खड़गे , ,खमोश हैं , इतने माह गुज़रने पर भी , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रिय कार्यकारिणी का गठन नहीं होना , विभागों , प्रकोष्ठों के राष्ट्रिय अध्यक्ष से लेकर , प्रदेश अध्यक्ष जिला इकाइयों का पुनर्गठन नहीं होना , कांग्रेस की सेहत के लिए अच्छी बात  नहीं है , मलिकार्जुन खड़गे साहब विश्व के सबसे बढे ,, देश के लिए क़ुर्बानियों का इतिहास रखने वाले संगठन ,, भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के निर्वाचित अध्यक्ष है , उन्हें किसी के रिमोट से चलने की ज़रूरत नहीं , उन्हें अब  बकराईद पर बकरा बचेगा , तो  मोहर्रम पर नाचेगा ,, जैसे खास धर्म को ठेस पहुंचाने वाले बयान पर माफ़ी मांग कर , खुले रूप से कांग्रेस को , ईमानदाराना तरीके से , संवैधानिक ढाँचे को जीवित रखते हुए , मज़बूत करने के लिए निकल पढ़ना होगा , ,जैसे राष्टीर्य स्तर समन्वयक बनाये है , ऐसे ही हर राज्य में समन्वयक बनाना होंगे , कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने के लिए ,, मुखर होना होगा , उन्हें अनुशासित करना होगा ,, बेहूदा बयानबाज़ी करने वालों को , सड़क का रास्ता दिखाना होगा , और जो लोग माफ़ी मांगकर फिर से कांग्रेस में लोटे हैं , उनकी गतिविधियां भी जांचना होंगी , राजस्थान में मानेसर की बगावत , सरकार गिराने की साज़िशें , कांग्रेस को , भाजपा के साथ मिलकर टुकड़े टुकड़े करने का  इतिहास अभी कोई भुला नहीं है , तब जब भाजपा के वकील , कांग्रेस के खिलाफ कोंग्रेसियों के कंधे पर बंदूख रख कर चला रहे थे , सभी ने देखा है , राज्यपाल ने विशवास पट हांसिल करने के विधान सभा सत्र को बुलाने में जो , बहानेबाज़ी की थी , जिसके खिलाफ कोंग्रेसियों का आंदोलन हुआ था वोह भी देश ने देखा है , और देश ने देखा है , मानेसर बागियों की पूरी कोशिशों और भाजपा के  पूरे तामझाम , के साम दाम के प्रयासों के बाद भी ,, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने , मुखर होकर , भाजपा के जबड़े से , मानेसर बागियों की बगावत से , ,कांग्रेस को राजस्थान विधानसभा में स्पष्ट बहुमत लेकर , ज़िंदाबाद किया था , उस वक़्त शांति कुमार धारीवाल सहित , कई लोगों ने गद्दारों की कांग्रेस में कोई जगह नहीं , यह कहकर , 102 वफादारों के अलावा ,, कुर्सी के लालच में बगावत करने वालों को ,फिर से कांग्रेस में  नहीं लेने का सर्वसम्मत प्रस्ताव भी पारित किया था , लेकिन हाईकमान से माफीनामे के बाद ,, राजस्थान में फिर से ,,मानेसर टीम की एन्ट्री हुई ,  उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी मिली , शायद यह कांग्रेस की संगठनात्मक एकता को मंज़ूर नहीं थी , इसलिए कांग्रेस में रोज़ जुबांंदराज़ी , वाद विवाद , आरोप प्रत्यारोप इस तरह से हो रहे है , जैसे  कांग्रेस को , भाजपा के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना है , कांग्रेस को कांग्रेस के ही खिलाफ लढ़ना है , रोज़ मर्रा तू तू में में , अखबारी बयानबाज़ी , एक दैनिक अख़बार की प्रोजेक्ट खबरें , अफवाहें , झूंठ फरेब  ,,  बिना किसी कांग्रेस संगठन के प्रदेश अध्यक्ष की अनुमति , के बैठकों का आयोजन , सभाओं का आयोजन , एक समांनातर कांग्रेस की शुरुआत ,, हो रही है , और जो दिल्ली , मानेसर गेंग को , कांग्रेस बचाओं गेंग के प्रस्ताव के विपरीत , कांग्रेस को मज़बूत करने के इरादे से , राजस्थान कांग्रेस में लेकर आयी थी , वोह दिल्ली आज खामोश है , राजस्थान में चुनाव सर पर है , हाथ से हाथ जुड़ रहे है , भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी के साथ , कांग्रेस रिचार्ज है ,  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कल्याणकारी योजनाओं से राजस्थान में वोटर्स का रुख  कांग्रेस के समर्थन में है , लेकिन जो बात कांग्रेस संगठन के बंद कमरे में होना चाहिए , जो शिकवे शिकायत ,, अंदरखाने में होना चाहिए ,वोह सब खुलेआम , डंके की चोट पर हो रहा है , में पढ़ा लिखा हूँ , पढ़े लिखे तो सभी होते है , लेकिन  कोंग्रेस के संविधान को बार बार  पढ़ता हूँ , किसी भाईसाहब ,, किसी मंत्री , मुख्यंमंत्री ,, व्यक्ति की चमचागिरी से आज़ाद हूँ , खालिस कोंग्रेसी हूँ , मेरे जैसे देश में राजस्थान में कितने ही लाखों लोग है , जिनकी व्यक्ति से अलग हटकर , कांग्रेस संगठन के प्रति आस्था है , जो नंगी आँखों से , राजस्थान के हालात देख रहा है , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक तरफ तो , राजस्थान की समस्याओं से जूझ रहे है , दूसरी तरफ , भाजपा के हमलों का मुक़ाबला कर रहे हैं , लेकिन  कांग्रेस के ही एक बढे खेमे  की कांग्रेस के संविधान के खिलाफ चल रही बगावत , से भी उन्हें लड़ना पढ़ रहा है , देश जानता है , पिछले विधानसभा चुनावों के वक़्त , वसुंधरा के खिलाफ राजस्थान में अशोक गहलोत की योजनाओं को आगे रखकर चुनाव लढा गया था , कांग्रेस की स्थिति मज़बूत थी , सर्वेक्षण के मुताबिक़ कांग्रेस को , दो सो में से एक सो साथ सीटें  जीतना सुनिश्चित थीं , लेकिन मिसमैनेजमेनेट , ,  उपेक्षित निति के चलते सब कुछ किये कराये पर पानी फिर गया , और नेतृत्व को जब कांग्रेस के लिए एक सो साथ सीटें आसानी से जीतकर आने का अवसर था तब सिर्फ नन्नियांनवें  सीटों पर हम आकर अटक गए , क्या यह नेतृत्व की कामयाबी थी , हम बहुमत के आंकड़े से भी कम आंकड़े पर थे , वोह तो अशोक गहलोत की जादूगरी कहो ,  गांधीगिरी कहो , सरकार अल्पमत में होने के बाद भी , बहुमत के आंकड़े को पार कर गई , टिकिट जिस नेतृत्व के हाथ  में थे , उस नेतृत्व के पक्ष में   कांग्रेस के टिकिट पर जीत कर आने वाले विधायक क्यूँ नहीं थे , यह सब हाईकमान ने , वोटिंग के टाइम पर , कोन  राजस्थान के लिए  ,, राजस्थान के नेतृत्व के लिए बेहतर है , खूब परीक्षण करके देखा है , तब कहीं जाकर ,अशोक गहलोत को नेतृत्व दिया गया , ,और देश में सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन , सर्वश्रेष्ठ कल्याणकारी योजनाओं , विकास योजनाओं के नेतृत्व का ख़िताब अशोक गहलोत ने जीत कर बताया है , फिर दुबारा इन चुनाव में , हमे सभी को मिलकर कांग्रेस को ज़िंदाबाद करना है , तो फिर , जो  कांग्रेस के सड़े गले फल हो गए है , जो फल , थोड़े से सड़े गले होने पर अगर निकाल कर नहीं फेंके तो फिर यकींनन , ,सारी  कांग्रेस को ही यह सड़े गले गिनती के फल सड़ा कर खराब कर देंगे , इसलिए वक़्त रहते , भाजपा को फायदा पहुंचाने वाले ऐसे लोगों को इलाज करो , कांग्रेस को ज़िंदाबाद करने के लिए सड़े गले अंगों को तराश कर  कांग्रेस के जिस्म को खराब होने से बचा लो , संविधान का डंडा ,, अनुशासन का डंडा उठा लो , यार , ,कांग्रेस को बर्बाद होने से बचा लो यार ,, ओरिजनल कोंग्रेसियों की भावना समझ लो यार , ,,नहीं तो फिर पुरे पांच साल , दस पंद्रह सीटें लेकर , पछताते रहोगे, आगामी लोकसभा चुनाव में जीत का आंकड़ा जो तुम्हारा इन्तिज़ार कर रहा है , उसे भी खो  दोगे ,,सो प्लीज़  समझो ना यार ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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