भला वह कौन है जिसने ज़मीन को (लोगों के) ठहरने की जगह बनाया और उसके
दरम्यिान जा बजा नहरें दौड़ायी और उसकी मज़बूती के वास्ते पहाड़ बनाए और
(मीठे खारी) दरियाओं के दरम्यिान हदे फ़ासिल बनाया तो क्या ख़ुदा के साथ कोई
और माबूद भी है (हरगिज़ नहीं) बल्कि उनमें के अकसर कुछ जानते ही नहीं (61)
भला वह कौन है कि जब मुज़तर उसे पुकारे तो दुआ क़ुबूल करता है और मुसीबत
को दूर करता है और तुम लोगों को ज़मीन में (अपना) नायब बनाता है तो क्या
ख़ुदा के साथ कोई और माबूद है (हरगिज़ नहीं) उस पर भी तुम लोग बहुत कम
नसीहत व इबरत हासिल करते हो (62)
भला वह कौन है जो तुम लोगों की ख़़ुशकी और तरी की तारिकि़यों में राह
दिखाता है और कौन उसकी बाराने रहमत के आगे आगे (बारिश की) ख़ुशखबरी लेकर
हवाओं को भेजता है-क्या ख़ुदा के साथ कोई और माबूद भी है (हरगिज़ नहीं) ये
लोग जिन चीज़ों को ख़ुदा का शरीक ठहराते हैं ख़ुदा उससे बालातर है (63)
भला वह कौन हैं जो खि़लक़त को नए सिरे से पैदा करता है फिर उसे दोबारा
(मरने के बाद) पैदा करेगा और कौन है जो तुम लोगों को आसमान व ज़मीन से
रिज़क़ देता है- तो क्या ख़ुदा के साथ कोई और माबूद भी है (हरगि़ज़ नहीं)
(ऐ रसूल) तुम (इन मुशरेकीन से) कहा दो कि अगर तुम सच्चे हो तो अपनी दलील
पेश करो (64)
(ऐ रसूल इन से) कह दो कि जितने लोग आसमान व ज़मीन में हैं उनमे से कोई भी
गै़ब की बात के सिवा नहीं जानता और वह भी तो नहीं समझते कि क़ब्र से
दोबारा कब जि़न्दा उठ खडे़ किए जाएँगें (65)
बल्कि (असल ये है कि) आखि़रत के बारे में उनके इल्म का ख़ात्मा हो गया है
बल्कि उसकी तरफ़ से शक में पड़ें हैं बल्कि (सच ये है कि) इससे ये लोग अँधे
बने हुए हैं (66)
और कुफ़्फ़ार कहने लगे कि क्या जब हम और हमारे बाप दादा (सड़ गल कर) मिट्टी हो जाएँगं तो क्या हम फिर निकाले जाएँगें (67)
उसका तो पहले भी हम से और हमारे बाप दादाओं से वायदा किया गया था (कहाँ
का उठना और कैसी क़यामत) ये तो हो न हो अगले लोगों के ढकोसले हैं (68)
(ऐ रसूल) लोगों से कह दो कि रुए ज़मीन पर ज़रा चल फिर कर देखो तो गुनाहगारों का अन्जाम क्या हुआ (69)
(ऐ रसूल) तुम उनके हाल पर कुछ अफ़सोस न करो और जो चालें ये लोग (तुम्हारे खि़लाफ़) चल रहे हैं उससे तंग दिल न हो (70
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
08 अगस्त 2022
बल्कि (असल ये है कि) आखि़रत के बारे में उनके इल्म का ख़ात्मा हो गया है बल्कि उसकी तरफ़ से शक में पड़ें हैं बल्कि (सच ये है कि) इससे ये लोग अँधे बने हुए हैं
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