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08 अगस्त 2022

यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को कोर्ट ने सुनाई एक साल की सज़ा ,

 
यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को कोर्ट ने सुनाई एक साल की सज़ा ,
पहले सपा ,, फिर बसपा , फिर कांग्रेस , अब भाजपा में जाते ही मंत्री और शुद्धिकरण , ,देश देखे , समझे इन झमेलों को ,,
राकेश सचान , अब भाजपा में नए नए गए हैं , वोह भाजपा सरकार में उत्तरप्रदेश के मंत्री भी हैं , उत्तर प्रदेश में , राइफल लेकर घूमने के मामले में उनके खिलाफ मुक़दमे में उन्हें सज़ा अदालत ने किया दी , वोह अदालत के फैसले की कॉपी  वगेरा ही लेकर चल दिए , पुलिस में अदालत की रीडर ने रिपोर्ट लिखने की तहरीर भेजी , तो अदालत की तहरीर पर मुक़दमा दर्ज नहीं हुआ , दबाव में दूसरे दिन , वोह अदालत में पेश हुए , सज़ा की अपील के लिए सज़ा स्थगन के ज़मानत मुचलके पेश  हुए,,, लेकिन इतिहास है , शुद्धिकरण का , अदालत की तहरीर पर , भी मुक़दमा दर्ज नहीं , मामला रफा दफा , अब अपील में , जाने के बाद हो सकता है , जैसे योगी जी के मुक़दमे सरकार ने वापस लिए ऐसे ही उनके भी मुक़दमे विड्रॉल हो जाएँ ,, राकेश सचान योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में मंत्री और बीजेपी में शामिल होने से पहले वह समाजवादी पार्टी से जुड़े थे. वह 1993 और 2002 में उत्तर प्रदेश की घाटमपुर विधान सभा से विधायक चुने गए और सचान 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे और कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा सीट को जीतने के बाद उन्हें योगी कैबिनेट में खादी, ग्रामोद्योग, रेशम उत्पादन, हथकरघा, और कपड़ा उद्योग मंत्री बनाया गया था.
कानपुर। लघु उद्योग मंत्री राकेश सचान को एमसीएमएम- तीन आलोक यादव की अदालत ने आर्म्स एक्ट के मामले में एक साल के साधारण कारावास और 15 सौ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। उनके अधिवक्ता ने कोर्ट में जमानत प्रार्थना पत्र दायर किया और उन्हें जमानत मिल गई। राकेश पर 13 अगस्त 1991 को नौबस्ता चौराहे अवैध तरीके से राइफल लेकर घूमने का आरोप लगा था। मामले में नौबस्ता थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। शनिवार को उन पर दोष सिद्ध हुआ था। उन पर अदालत से आर्डर की मूल कापी लेकर फरार होने के आरोप लगे थे। सोमवार को उन्होंने कोर्ट में सरेंडर किया और अदालत ने उन्हें सजा सुनाई।
13 अगस्त 1991 को नौबस्ता में नृपेंद्र सचान की हत्या हुई थी। मौके पर भीड़ लग गई थी। वहीं पर राकेश सचान को पुलिस ने पकड़ लिया था। उनके पास से एक रायफल मिली थी जो उनके रिश्तेदार की थी। राकेश पुलिस को लाइसेंस नहीं दिखा पाए थे। ऐसे में उनके विरुद्ध आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज किया गया था। एसओ बृज मोहन उदेनिया ने उनके विरुद्ध मुकदमा किया था। राकेश को जेल भी जाना पड़ा था। शनिवार को राकेश सचान अदालत में पेश हुए थे। उन पर आरोप लगे थे कि उन्हें जब बताया गया कि उन्हें इस बात की भनक लगी की उन पर आरोप सिद्ध हो गया है और सजा हो जाएगी तो वे अदालत से फरार हो गए थे।
उनके वकील ने कोर्ट रीडर कामिनी से आर्डर की मूल कापी ली और सचान उस कापी को भी अपने साथ लेकर चले गए थे। इस मामले में उनके विरुद्ध कामिनी ने कोतवाली में तहरीर दी थी लेकिन मुकदमा नहीं हुआ। सोमवार को राकेश सचान ने 12.30 बजे अदालत में सरेंडर किया। उनके अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि 1991 में मुकदमा दर्ज हुआ था। राकेश सचान की पृष्टिभूमि सामाजिक और राजनैतिक है। उन पर लगे आरोप गलत हैं। उन्हें दोष मुक्त किया जाए।
अदालत ने उनकी दलील नहीं मानी। न्यायालय ने उन्हें एक साल के कारावास और 15 सौ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना राशि जमा न करने पर एक माह के अतिरिक्त कारावास की सजा का आदेश दिया। राकेश के अधिवक्ता ने उनकी जमानत का प्रार्थना पत्र दिया जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए जमानत दे दी। मंत्री ने 20 हजार रुपये का निजी मुचलका जमा किया। इसके साथ ही 20-20 हजार रुपये की दो और जमानत लगाई गई।
बोले मंत्री राकेश सचान-
मेरा कोई अपराध नहीं है। मैं तो एक राजनीतिक कार्यक्रम से लौटा था। पता चला कि नृपेंद्र सचान की हत्या हुई है तो वहां चला गया था। असलहा लाइसेंसी था। गलत तरीके से मुझे फंसाया गया था। न्यायालय के फैसले का सम्मान करता हूं। एसीएमएम- तीन द्वारा सुनाए गए फैसले के विरुद्ध सेशन कोर्ट में अपील करूंगा

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