आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

06 जून 2022

कोटा कांग्रेस प्रशिक्षण कार्यक्रमों ,में हमेशा शान्ति धारीवाल के नेतृत्व में मुखर रही , है , कांग्रेस को अपने मूल संवैधानिक स्वभाव में लाने के लिए , ,नरेश विजयवर्गीय , अपनी क़ुर्बानियों के साथ , प्रयासरत हैं ,

 

कोटा कांग्रेस प्रशिक्षण कार्यक्रमों ,में हमेशा शान्ति धारीवाल के नेतृत्व में मुखर रही , है , कांग्रेस को अपने मूल संवैधानिक स्वभाव में लाने के लिए , ,नरेश विजयवर्गीय , अपनी क़ुर्बानियों के साथ , प्रयासरत हैं , ,
हाड़ोती संभाग ,, कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलनों , कांग्रेस प्रशिक्षण शिविरों में अव्वल रहा है , यहां कोटा में ,अनुशासन का इतिहास है , कोटा में हाल ही में हुए कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर में , अनुशासन नियमों के खिलाफ , चाहे , प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटसरा के निर्धारित समय से दो घंटे लेट आने के कारण , ध्वज वंदना , और प्रशिक्षण शिविर , दो घंटे से भी अधिक देरी से शुरू हुआ हो, लेकिन इसी कोटा की धरती पर कोटा कांग्रेस कार्यालय में ,आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर में ,जब प्रदेश अध्यक्ष के नाते , वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत देरी से पहुंचे ,, तो यहां कार्यक्रम निर्धारित समय पर शुरू हुआ , और देरी से पहुंचने पर, राष्ट्रगान के वक़्त , अशोक गहलोत को , कांग्रेस कार्यालय के बाहर दरवाज़े पर खड़े रहना पढ़ा ,, , जी हाँ दोस्तों , भारतीय जनसंघ ,, आर एस एस का गढ़ होने के बावजूद भी , यहां , स्वतंत्रता सेनानियों , राष्ट्रवादियों के नेतृत्व में कांग्रेस सामजिक सरोकार से जुड़कर , एक जुट,, निर्गुट और मज़बतूत रही है, कोटा कांग्रेस की पूर्व गतिविधियां , आज की उछृंकल , जेबी अंधभक्त कार्यकर्ताओं के रूप में जो बदलाव आया है ,ऐसे हालातों में , लोगों को, कोटा कांग्रेस का इतिहास ,, अनुशासन कार्यवाहियों के बारे में , जानना ज़रूरी हो गया है ,, आज़ादी के बाद , प्रधानमंत्री के नाते , पंडित जवाहर लाल नेहरू , इंद्रा गांधी सहित कई वरिष्ठ कोंग्रेसी नेता,, कोटा में लगातार ,, राष्ट्रिय विकास योजनाओं के साथ आते रहे , लेकिन संगठन मामलों में यहां कांग्रेस कार्यालय में ही , पार्टी के के चुनाव , पार्टी का प्रबंधन , प्रत्याक्षियों का चयन , प्रत्याक्षियों को हिस्सा राशि, ,बूथ कार्यकर्ताओं सहित ,ब्लॉक ,नगर अध्यक्षों का प्रबंधन होता रहा है ,, कांग्रेस अपने लिखित संविधान के दायरे में चलती रही , संविधान के तहतं झंडा , चुनाव , हिस्सा राशि , कार्यालयों में सभी की उपस्थिति , सदस्य्ता अभियान , सदस्य्ता सूचि का प्रकाशन , छानबीन समिति के बाद सदस्यों की अंतिम सूचि , उनकी बर्खास्तगी ,सभी कुछ व्यवस्थित थी, और इसी बुनियादी कांग्रेस के संवैधानिक ढांचे की मज़बूती की वजह से कांग्रेस और कांग्रेस की नींव , भारत के हर हिस्से में मज़बूती से , दीवार बनकर खडी थी , तब और अब में ,युग परिवर्तन हो गया , है , संगठन सत्ता की जेब में है , चुनाव सर्वसम्मति के नाम पर , मनमानी कार्यवाही है , गैर कोंग्रेसी लोगों को टिकिट , सरकारी ओहदे मिलने से ,, कांग्रेस कर्मठ कार्यकर्ता , बगावती तेवरों पर हैं ,, ,कोटा कांग्रेस को , स्वर्गीय रिखब चंद धारीवाल , स्वर्गीय जुझार सिंह , भुवनेश चतुर्वेदी , शांति कुमार धारीवाल ,, मौलाना असारुल ह्क़ , नरेश विजय वर्गीय , स्वर्गीय नाथूलाल जैन , सहित कई हस्तियों ने , अपने अनुशासन , दिन रात की मेहनत से , मज़बूत किया हैं ,, लेकिन आज , यही कांग्रेस , अलग अलग गट ,, हिस्सों में , व्यक्तियों में , अलग अलग निजी कार्यालयों में , गुटबाज़ी में , भाजपा परस्ती में , संघ विचारधारा समर्थन में , अनुशासनहिता में , यह कांग्रेस , मज़बूत होने के बावजूद भी , आशंकाओं के घेरे में रहने लगी है , ,कोटा कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन , के वक़्त , कोटा में , पंडित नवल किशोर शर्मा ने , कार्यकर्ताओं को , कामयाबी का एक गुर क्या सिखाया , वोह कोटा सहित , देश भर में भारी पढ़ गया , उन्होंने यूँ ही , कह दिया था , के , संविधान को टंगड़ी मारो , और आगे निकल जाओ , उनका यह कथन , उस वक़्त के कुछ कांग्रेस नेता जो शॉर्टकट लेकर , नौकरशाहों को पद और टिकिट लेकर , थोपे जा रहे थे , उनके खिलाफ था , लेकिन अब यह जुमला नहीं बचा , है , कांग्रेस का विधान , जिसमे , कोई भी व्यक्ति सदस्य बनने के बाद , पहले प्रशिक्षण लेगा , फिर तीन साल बाद ही ,, कोई भी चुनाव् लड़ने का हक़दार होगा , वोह सुपरसीड हो गया है , आज अधिकारी सेवानिवृत होते है , आज दूसरी पार्टियों में से हमारी कांग्रेस में आते हैं , और , संविधान को टंगड़ी मारो , आगे निकल जाओ , के नारे के साथ , कार्यकर्ताओं पर हाकम बन जाते है ,, टिकिट लेते हैं , ऊँचे ओहदे हांसिल कर लेते हैं , , जो कांग्रेस की वर्तमान दयनीय स्थिति की मूल वजह बनी हुई है ,, कोटा में आज़ादी के बाद , पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित कई वरिष्ठ कोंग्रेसी , यहां राजकीय यात्राओं पर आते रहे , लेकिन कोटा हमेशा कांग्रेस कार्यर्कताओं में अनुशासन का पाठ पढ़ाने , गरीबों के लिए संघर्ष करने , सदस्य्ता अभियान के बाद नियमित अंतिम तिथि के दिन , हिस्सा राशि लेकर , सदस्य्ता बंद कर , वैधानिक चुनाव करवाने में अव्वल रहा है , यहां कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम , फ्लेगशिप योजनाओं के प्रचार प्रसार की अव्वलीन कार्यवाही हुई है , कोटा में सबसे पुराना कार्यालय रामपुरा पीपली के पास हुआ करता था , जहाँ कई सालों तक चुनावी रणनीतियां बना करती थीं , हज़ारी लाल जी , रामबहादुर जी , रामेश्वर जी , देहात के रामनारायण चौधरी जी , कांग्रेस कार्यालय के स्तम्भ हुआ करते थे ,, पूर्व मंत्री स्वर्गीय ओंकार लाल चौहान , कार्यकर्ता में नियमित रहकर व्यवस्थाएं देखा करते थे , उस वक़्त कांग्रेस कार्यालय में , कांग्रेस की खुद की जीप थी , जो , चुनाव प्रचार , संगठन की गतिविधियों में , नियमित काम आया करती थी, ,कांग्रेस कार्यालय में , नियमित सभी वरिष्ठ नेताओं , मंत्रियों ,, विधायकों , प्रत्याक्षियों , प्रतिनिधियों की उपस्थिति आवश्यक थी , कांग्रेस कार्यालय का ज़रूरी खर्च , अतिथि ख़र्च के लिए ,, ,उस वक़्त , स्वर्गीय क्रीट भाई ,,स्वर्गीय शाह साहब ब्रिज टाकीज़ वाले , नियमित , आर्थिक मदद दिया करते थे , जो कांग्रेस कार्यालय के सभी आवश्यक खर्च पूरा करने के लिए काफी थे ,, वोह वक़्त कांग्रेस के लिए अनुशासित था ,, ,कांग्रेस चुनावी अभियान के वक़्त , सदस्य्ता बना करते थे, चुनाव अधिकारी वर्तमान स्थितियों की तरह झुनझुना बनकर नहीं आते थे , वोह अधिकार से आते थे , कांग्रेस के संविधान के रक्षक बनकर आते थे ,, कार्यकर्ताओं की आवाज़ बनकर आते थे, सदस्य्ता अभियान की अंतिम तिथि के वक़्त , रात को 12 बजे विधिवत रूप से सदस्य्ता बंद करके ,, सदस्यों की गिनती कर, सदस्य्ता शुल्क लेकर, उसमे से , कोटा कांग्रेस का हिस्सा ,, यूथ कांग्रेस सेवा दल , का हिस्सा ,ब्लॉक का हिस्सा , अलग करते थे , ऐ आई सी सी , प्रदेश कांग्रेस का हिस्सा , अपने साथ ले जाते थे ,बाक़ी कोटा कांग्रेस की गतिविधि के लिए हिस्सा राशि देकर , चले जाते थे ,, सदस्यों की कांग्रेस के प्रति समर्पण , अनुशासन , फ़र्ज़ी सदस्य्ता की जांच होती थी, और छानबीन समिति , कई बार इक्यावन की संख्या के सदस्यों की सदस्य्ता खत्म भी कर चुकी है , सदस्यों की अंतिम पुष्टि के बाद , निर्वाचन अधिकारी आते थे , अध्यक्ष और पदाधिकारियों को मालाएं नहीं पहनाते थे , बाहर सदस्यों की सूचि लगाई जाती थी , फिर वही सदस्य जो ब्लॉक से संबंधित होते थे ,बैठक में हिस्सेदार होने के लिए अधिकृत हुआ करते थे , अन्य लोग ,वरिष्ठ लोग ,पदाधिकारी , मंत्री , संतरी , अध्यक्ष , ब्लॉक अध्यक्ष , की वहां कोई आवभगत , ,कोई एन्ट्री नहीं थी, फिर आम सहमति या चुनाव होते थे , कुलियों में गुड़ नहीं फुटा करता था , जेब में से निकालकर , निर्वाचन नहीं होता था ,, बरसों तक रामपुरा में , कांग्रेस कार्यालय रहने के बाद जब वोह कार्यालय छोटा पढ़ने लगा , और स्वर्गीय नाथू लाल जैन,नगर विकास न्यास के अध्यक्ष बने , तो फिर , गुमानपुरा क्षेत्र में स्थित वर्तमान कार्यालय के लिए, ज़मीन पंद्रह हज़ार रूपये में आवंटित हुई ,जिसकी राशि , रिखब चंद धारीवाल साहब ने दी , जुझार सिंह ने दुकाने वगेरा बनवाई , कुछ निर्माण करवाए ,, आर्थिक मदद में रिखब चंद धारीवाल और जुझार सिंह साहब का योगदान रहा, ,, कार्यालय पहले बाहर बनी दूकान में चला करता था , फिर दुकानों और हॉल का निर्माण जब शुरू हुआ , तो गुमानपुरा चौकी के पास स्थित, नंदकिशोर जी थानेदार के मकान में कई महीनों तक कांग्रेस कार्यालय स्थापित रहकर , गतिविधियां संचालित हुईं , इस दौरान ,, नगर अध्यक्ष का कार्यालय पृथक से, मोलाना असारुल ह्क़ ने ,, नगर अध्यक्ष होने के कारण , मोहन टाकीज़ के पास जहाँ भाजपा कार्यालय हैं , यहां अपना कार्यालय खोला था,, कांग्रेस कार्यालय में पीछे गैरेज के किराए, दुकानों के किराये से ट्रस्ट बना , कांग्रेस कोष का खाता बैंक में खोला गया ,, ट्रस्टी बनाये गये ,, कांग्रेस शहर,, कोंग्रस देहात के बैंक खाते अलग , ,कांग्रेस ट्रस्ट का खाता अलग से खोला गया,, कांग्रेस कार्यालय का हॉल पहले छोटा, फिर बढ़ा हॉल बनाया गया ,, कुलदीप श्रीवास्तव , पंकज मेहता के अध्यक्षीय कार्यकाल में ,, कांग्रेस कार्यालय के मैदान में पानी भर जाने की समस्या थी, इसलिए वहां ,कई ट्रक , रेती , मिटटी डलवाकर, समतलीकरण करवाया गया, ,पंकज मेहता के कार्यकाल में, , नियमित उपस्थित रहने वालों के चाय नाश्ते का जो भी खर्च आता था , वोह कितना भी हो ,, खुद पंकज मेहता अपनी जेब से निर्वहन करते थे , जबकि जब भी भुवनेश चुतर्वेदी कांग्रेस कार्यालय में आते तो, सभी का अल्पाहार और चाय की व्यवस्था , उनकी तरफ से तय हुआ करती थी , रविंद्र त्यागी की अध्यक्षता और भरत सिंह जी के ट्रस्ट अध्यक्ष कार्यकाल में, मास्टर मोहन लाल शर्मा जी ने, बाहर स्टील रेलिंग लगवाई , जबकि , कांग्रेस कार्यालय में, सी सी टी वी कैमरे , मरम्मत के साथ , अध्यक्ष कक्ष , अटैच लेट्रिन बाथरूम , छत पर टीन शेड के साथ अलग से बैठने की व्यवस्था का ओपन हॉल ,, का निर्माण हुआ , दुकानों , और गैरेज वगेरा के किरायों में वृद्धि बाज़ार भाव से नहीं होने की समस्या आज भी जस से तस है ,, कार्यालय में पहले जब रामपुरा का कार्यालय था तो वोह दो बाबू , एक अन्य कर्मचारी पेडवर्कर हुआ करता था , वर्तमान में यहाँ सिर्फ एक कर्मचारी , संतोष सुमन है , ,कांग्रेस कार्यालय की जीप बेचकर , कार्यालय का विस्तार हुआ , विधायक , सांसद के चुनावों के वक़्त , कार्यालयों में ही उनकी चुनावी खर्च हिस्सा राशि , जीपें , झंडे बैनर सभी आते थे , जो कांग्रेस का अध्यक्ष ही प्रत्याक्षियों को वितरित करते थे , ,सरकार में , कांग्रेस संगठन के ज़रिये ही , ,ट्रांसफर , समस्याओं के समाधान के पत्र जाते थे , उनपर तत्काल कार्यवाही आवश्यक होती थी, जो भी मंत्री नेता , विधायक , सासंद आये , कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं , कांग्रेस कार्यालयों में , उसकी सुचना देना अनिवार्य होती होती थी ,, अध्यक्ष अनूप चंद जेन के अध्यक्षीय कार्यकाल में , अगर किसी भी नेता , मंत्री ने कांग्रेस नेताओं , कार्यालय को सुचना नहीं दी , तो वोह कभी भी , उन नेताओं से कट्सी मुलाक़ात करने भी नहीं जाते थे , यह उनका नियम था,,, रीखब चंद धारीवाल, नरेश जी विजयवर्गीय ,, शान्ति कुमार धारीवाल ,सहित वरिष्ठ जन एक पेनल बनाकर, कोटा शहर , देहात ,और ब्लोकों में नियमित कार्यर्कता प्रशिक्षण शिविर चलाते थे , शांति कुमार धारीवाल बेबाकी के साथ , ,कांग्रेस कार्यर्कताओं को अलग अलग शिविरों में , बीस सूत्रीय कार्यक्रम के बारे में समझाते , अनुशासन का पाठ पढ़ाते , ,नरेश विजय वर्गीय , कांग्रेस का इतिहास , बूथ कार्यर्कताओं की ज़िम्मेदारी ,, संगठन के संविधान और कार्यर्ताओं की ज़िम्मेदारी समझाते ,, प्रशिक्षण कार्यक्रमों को निर्धारित समयावधि में , तत्काल शुरू करते ,अगर कोई भी वी आई पी देरी से आये तो उसे बाहर खड़ा रखते , कार्यक्रम, में बाद में शामिल करते , यह अनुशासन आज की तारीख में , आज के माहौल में , नई पीढ़ी के कार्यर्कताओं के लिए मज़ाक़ सा बना है, उनके लिए एक सपना है , वोह इस सत्यता को जाने , समझे , कांग्रेस को फिर से ज़िंदा करने के लिए , ,कांग्रेस के संविधान, ,, कारकर्ताओं का सम्मान , कार्यकर्ताओं से नेताओं का संवाद ,, लोकतान्त्रिक प्रणाली , चरखे का निशान तिरंगा , श्रम दान, नशे से दूरी , खादी का उपयोग ,, कांग्रेस में अंशदान , विदेशी सामानों का बहिष्कार , दहेज़ नहीं लेने की शपथ , पर्यावरण संरक्षण , क़ौमी एकता की विचारधारा ,, दलितों के उत्थान के लिए कार्य वगेरा वगेरा यह सब , कांग्रेस संविधान के तहत , आवश्यक क़दम हैं , लेकिन आज कांग्रेस का संविधान किसने पढ़ा है , कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अनुशासन में कैसे बांधे , कांग्रेस के सदस्यों की सूचि कहाँ हैं , कार्यकर्ताओं को यह भी पता नहीं के ब्लॉक कितने है , बूथ कितने है ,,बूथ के अधिकृत निर्वाचित लोग कोन हैं , एक बार तो यहां ऐसे व्यक्ति को पदाधिकारी बनाया गया , जो , गुमानपुरा में दस जगह कॉंग्रेस कार्यालय कहाँ है , पूंछता पूंछता कांग्रेस कार्यालय में मीटिंग में पहुंचा था , खेर ,, कांग्रेस संगठित है , मज़बूत है , दलित , गरीब ,ज़रूरतमंदों की हमदर्द है , कुछेक अपवादों को छोड़ दें , तो नेता भी कांग्रेस कार्यर्कता के निजी दुःख दर्द में शामिल होकर , मददगार बनते है , कोटा में जब बारां जिला भी ,,कोटा में ही शामिल था ,तब शांति कुमार धारीवाल के जिला प्रमुख कार्यकाल में, उनके सांसद कार्यकाल में, उनके द्वारा , अलग अलग जगह पर , कई प्रशिक्षण कार्यक्रम चले जिसमे खुद शांति कुमार धारीवाल , नरेश विजयवर्गीय सहित वरिष्ठ लोगों ने कार्यकर्ताओं को , कांग्रेस कैसे मज़बूत करें , कांग्रेस से आम जनता को कैसे जोड़ें , सिखाये गये, शांति कुमार धारीवाल , रामकिशन वर्मा के अध्यक्ष कार्यकाल में, शांति कुमार धारीवाल के नेतृत्व में , कोटा शहर में , बढे बढे , ऐतिहासिक जंगी प्रदर्शन हुए , कार्यकर्ताओं के लिए , उनके अधिकारों के लिए , ,जनता के हक़ के लिए , किसानों , मज़दूरों के लिए शांति कुमार धारीवाल , पंकज मेहता के अलग अलग कार्यकाल में, हमेशा आवाज़ उठाई जाती रही , प्रदेश कांग्रेस , अखिल भारतीय कांग्रेस की टास्क तो पूरी होती ही थी , लेकिन कांग्रेस ज़िंदाबाद करने के लिए कोटा में हर साल ऐतिहासिक जंगी प्रदर्शन , मिडिया में सुर्ख़ियों की खबर बनता था , कोटा में रामतलाई मैदान , दशहरा मैदान , मल्टीपरस स्कूल ग्राउंड ,, उम्मेद क्लब ग्राउंड , श्रीपुरा बस स्टेण्ड सहित , दर्जनों जगह पर , कांग्रेस की बढ़ी सभाओं के साथ , कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये गये , जिसमे संवाद था , कार्यर्कताओं के सवालों के जवाब , समस्याओं का समाधान था , ऐसे नहीं के बूथ तो बने नहीं , बूथ कार्यर्कता बना नहीं , और बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन के नाम पर शहर भर की गाँव की , मज़दूरो की भीड़ बुलाकर ,, बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन की फोर्मलिटी कर डाली , वोह भी एक तरफा ,मंच सजा , मंच पर शीर्ष नेतृत्व बैठा , कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं ,भाषण बाज़ी हुई , तालियां बजीं , जेबी कार्यकर्तों ने जेब में से निकल कर ,अपने अपने भायसाहबों के लिए ज़िंदाबाद के नारे लगाये , और बस अपने अपने घर चल दिए , इनमे कोई बूथ कार्यकर्ताओं की हाज़री नहीं , बूथ कार्यर्कताओं की लिस्ट नहीं ,, लेकिन पहले पंडित नवल किशोर शर्मा ,, रिखब चंद धारीवाल , जुझार सिंह , भुवनेश चतुर्वेदी , ओंकार लाल चौहान ,, कामराज नाडार , कालू लाल श्रीमाली , नरेश विजय वर्गीय , शांति कुमार धारीवाल , कैलाश नारायण , डी पी राय ,, श्याम किशोर ,, यू एस ढेवर , खुद मोहनलाल सुखाड़िया , ,अशोक जी गहलोत , कांग्रेस को , संविधान में लिखी कांग्रेस की तरह ही चलाते थे , आज कांग्रेस कार्यालय सिर्फ जन्म कार्यक्रम , पुण्य तिथि कार्यक्रम, ,संगठन चुनाव , शोकसभा के ओपचारिक कार्यक्रमों तक सीमित हो गया है , जबकि कांग्रेस के अध्यक्ष नियमित रूप से तीन घंटे कम से कम ब्लॉक ,जिला , प्रदेश , ऐ आई सी सी कार्यालय पर बैठ कर कार्यकर्ताओं का दुःख दर्द सुने , इसके अलावा , कांग्रेस के विधायक , पूर्व विधायक , मंत्री , पूर्व मंत्री , सांसद , पूर्व सांसद , महापौर , जिला प्रमुख सहित सभी महत्वपूर्ण पदों की रसमलाई खाकर , पेंशन लेने वाले , ऐसे लोगों को पाबंद कर , हर ज़िले में , दो दो दिन की ड्यूटी लगाकर , नियमित कांग्रेस कार्यालयों में बैठने के निर्देश होना चाहिए, उन्हें खुद को स्वेच्छिक रूप से , अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस कार्यालय में आकर सुनवाई करना चाहिए, कार्यकर्ताओं के परिवार के सुख दुःख में, मोत मरण में ,उनकी हिम्मत बढ़ाने के लिए शामिल रहना चाहिए , कार्यकर्ता अपने परिजन के ट्रांसफर के लिए नेता के पास क्यों जाए ,नेता को कार्यकर्ता को खुद बुलाकर , एप्लीकशन लाकर , उसके घर, आदेश पहुँचना चाहिए , यह सपना हो सकता है, लेकिन अब , कांग्रेस को ज़मीन से बहुत ऊंची उठकर, लगातार सर के बल , धड़ाम से गिरकर , लहूलुहान होने पर ,, कांग्रेस को इलाज की ज़रूरत है , फिर से ज़मीनी हक़ीक़त जानकर , कांग्रेस कार्यकर्तों को जेब में रखने की जगह दिलों में रखने की ज़रूरत हैं , उन्हें कांग्रेस के विधि , विधान के अनुरूप प्रशिक्षण देने की ज़रूरत है , एक दिन का रिटायर अधिकारी उन पर जो थोपे जा रहे हैं , उन्हें रोकने की ज़रूरत है, एक दिन का सदस्य , जो टिकिट देकर , उन पर थोपा जाता है , उसे रोकने की ज़रूरत है , प्रदेश अध्यक्ष , राष्ट्रिय अध्यक्ष जिला अध्यक्ष जो भी , संभागवार , बैठकों में , कार्यकर्ताओं के साथ , नेताओं की भाषण बाज़ी से अलग हठ राजीव गांधी फार्मूले पर , लौटते हुए , , उनके दुःख दर्द , सुझाव सुनने और अमल करने की ज़रूरत है , कार्यर्कताओं को सताने वाले , उनके साथ पक्षपात करने वाले , शीर्ष नेताओं को , घर बिठाने की ज़रूरत है , एम एल ऐ का टिकिट फिर हार गए , तो लोकसभा का टिकिट , फिर हार गए , संगठन में वरिष्ठ पदाधिकारी , फिर सरकार आ गयी तो आयोग बोर्ड का चेयरमेन , कहीं का प्रभारी , यह तमाशे बंद करना होंगे , एक व्यक्ति एक पद , फार्मूले पर अमल करना होगा ,, लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा , क्या कांग्रेस अपने संविधान के दायरे में फिर से लौटकर आएगी , क्या कांग्रेस ,, निजी स्वार्थों से बाहर निकल कर, कॉंग्रेस कार्यालयों में , कार्यकर्तों के मोहल्लों में , आम जनता में पहुंच पाएगी , क्या राष्ट्रिय अध्यक्ष एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू करेंगे , क्या कांग्रेस के पदाधिकारियों के चुनाव में ,खाली प्रफोर्मो पर हस्ताक्षर करवाकर , जेब से नाम निकालकर , उसमे लिखकर, कार्यकारिणी ,, ब्लॉक , पी सी सी सी सहित दूसरे पदों की नियुक्तियों की परिपाटी को रोका जायेगा , कांग्रेस के अग्रिम संगठनों को , उनके समाज ,, से संबंधित मामलों में , हर छह माह में , समाज के सुख ,दुःख समस्याओं के बारे में रिपोर्ट लेकर, रिफ्रेशर कार्यक्रम क्या कांग्रेस चलाकर, अपनी गलितयों को सुधार कर , फिर से हारी हुई ,बाज़ी जीत में बदल सकेगी , देखते है , एक ब्रेक के बाद , कांग्रेस ज़िंदाबाद के नारे के साथ ,, यह लूटी , पीटी , सत्ताधारियों के गुरुर से लहूलुहान, ,कांग्रेस , फिर से अपनी आक्रामक शैली पर , क्या आ सकेगी , इसके लिए , क्या शब्द को हाँ में बदलने के लिए ,, हमे सब को एक जुट होकर भाई साहबों की जेब से बाहर निकल कर, सिर्फ कांग्रेस , कांग्रेस के विधान की पालना में , ज़मीनी हक़ीक़त के साथ ,फिर से मैदान में जुटना होगा , एक जंग , कांग्रेस ने देश को , अंग्रेज़ों से आज़ाद कराने के लिए लड़ी, और दूसरी जंग अब इस कांग्रेस , को फूल छाप कोंग्रेसियों , मौक़ापरस्त कोंग्रेसियों , एक ही व्यक्ति , दर्जनों पदों के लालची नेताओं , कांग्रेस को जेब में रखकर घूमने वाले नेताओं , देश को बेचने वाली भाजपा से आज़ाद कराने के लिए लड़ना होगी , ,इंद्रा गाँधी ने ,, अनुशासन मामले में बढे बढे नुकसान भुगत कर भी , ऐसे लोगों को सबक़ सिखाया है , खुद राजीव गांधी ने , ऐसे लोगों को सबक़ सिखाया है , ,सोनिया गाँधी जी ने , दो बार , देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी को ठोकर मारी है , ,राहुल गांधी ने , सत्ता में रहकर भी , मंत्री पद , प्रधानमंत्री पद का कोई मोह नहीं रखा , ,लेकिन अब हमें लौटना होगा ,, फिर से कांग्रेस के अस्तित्व को ज़िंदा करना होगा , काले अंग्रेज़ों माफीवीरों , पेंशन भोगी विचारकों से इस देश को , इस देश की जनता को , बचाना होगा , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...