आपका-अख्तर खान

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23 फ़रवरी 2022

ऐ नक़ाब की दुश्मन,

 

सुन, ज़िन्दगी,
ऐ नक़ाब की दुश्मन,
बहरी हुकूमत सुन,
मैं खुद उतार दूंगी यह पर्दे लिबास के,
कि तू खुद्दार तो बन,
यह पर्दे उतारने से पहले
मेरी आबरू का पहरेदार तो बन ,

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