जिस दिन , अधिकारी , अपने दफ्तरों में बिना पर्ची के ,, ज़रूरत मंदों से मिलकर , उनकी अर्ज़ियाँ ,,निस्तारित करने लगेंगे , और ऐसा नहीं करने वाले ,,घोंचेबाज़ अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होने लगेगी , तो सुन लो , लोकतंत्र आ गया समझो ,, ,लेकिन ,, अधिकारी अब कार्यकर्ताओं से कई गुना मंत्रियों , मुख्यमंत्रियों , प्रधानमंत्री ,और ,,,,,,,,,, के चहेते हो गए है , इसलिए नौकरी में भी मज़े ही मज़े और रिटायरमेंट होने के बाद भी मज़े ही मज़े ,, कार्यकर्ता तो बस बेचारे , यूँ ही सपनों की दुनिया में ,, उम्मीद की दुनिया में जी रहे हैं , केंद्र ने भी एक आध अपवाद छोड़कर राजस्थान के एक भी कार्यकर्ता की नियुक्ति नहीं की , अख्तर
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