आपका-अख्तर खान

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31 जनवरी 2022

एक पत्रकार , एक फोटोग्राफर , एक पर्यटन सौंदर्य का प्रचारक , एक शायर , एक कवि , बहुमुखी प्रतिभा के धनी , भाई जितेंद्र जैकी ,, के शेर ऐ सुखनवर तहरीर , तन्हाई का सुकून , हास्य ,व्यग्यं , वीर रस , शृंगार , से भरा मिश्रित साहित्य ,,,

 एक पत्रकार , एक फोटोग्राफर , एक पर्यटन सौंदर्य का प्रचारक , एक शायर , एक कवि , बहुमुखी प्रतिभा के धनी , भाई जितेंद्र जैकी ,, के शेर ऐ सुखनवर तहरीर , तन्हाई का सुकून , हास्य ,व्यग्यं , वीर रस , शृंगार , से भरा मिश्रित साहित्य ,,,
,, अख्तर खान अकेला ,,,,,
यकींनन जीवंत लोग , प्राकृतिक सौंदर्य को ,, अपने कैमरे में तस्वीर बनाकर क़ैद करने वाले जितेंद्र जैकी , बेस्ट प्रेस फोटोग्राफर है , लेकिन वही पत्रकार ,  जितेंद्र जैकी , अपने जज़्बातों को , ख्यालातों को ,अल्फ़ाज़ों के ज़रिये कागज़ पर उकेरते है , तो भाई जितेंद्र के वोह जज़्बात , ,पढ़ने वालों को , सुनने वालों को,, याद रखने वालों को , याद करने वालों को , तन्हाई के सुकून की वजह बनता है , हर शख्स को उन अल्फ़ाज़ों में कमोबेश अपनी ज़िंदगी लगती है,वोह इन अल्फ़ाज़ों को जीता है, इसलिए  जितेंद्र जैकी ,,तस्वीर कश भी है,, मुसव्विर भी है ,अल्फ़ाज़ों से हालातों , जज़्बातों की तस्वीर खेंच कर ,  जीवंत करने वाले भी है,, झालावाड़ ज़िले के मूल भाई जितेंद्र जैकी ,, क़रीब तीस सालों से , पत्रकारिता कै साथ प्रेस फोटोग्राफी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य कर रहे है , वहीं  पिंक सिटी राजधानी में भी बेस्ट फोटोग्राफर काम करते रहे है , जैकी की क़लम , इनके कैमरे की , तीसरी आँख, प्राकृतिक सौंदर्य को ,खूबसूरत बनाकर पेश करती है , तो भाग दौड़ की ज़िंदगी में , चुहलबाज़िया , शरारतें , बेईमानियां , मक्कारियां ,, भ्रष्टाचार , सियासी , सामाजिक कार्यक्रमों की जिदंगियां , उनकी कमज़ोरियाँ , खूबियां सभी तो यह इनके केंद्रे में क़ैद करके , उसे अखबार के लिए , आम जनता के लिए , जीवंत रिपोर्टिंग बनाते रहे है,  इनकी इस खूबी , पर इन्हे फोटोग्राफर संस्थाओं , समाजसेवी संस्थाओं , पत्रकार संगठन , जिला प्रशासन द्वारा कई बार पुरस्कृत कर इनका उत्साहवर्धन भी किया है , एक तरफ क़लम , तो दूसरी तरफ , जीवंत फोटोग्राफी , इनकी अलग पहचान  है ,,  प्राकृतिक सौंदर्य को अपने  कैमरे में क़ैद कर , यह उसकी खूबियां देखते है , खूबसूरती निहारते है , और फिर पर्यटन विभाग , राज्य सरकार , केंद्र सरकार को ऐसे स्थलों के बारे में , पत्र लिखते है , उन्हें सुझाव देते है के यह खूबूसरत प्राकृतिक सौंदर्य , देश के पर्यटन से अलग थलग क्यों है , इसीलिए भाई जितेंद्र जैकी ने , पर्यटन विकास समिति झालवाड़ का गठन कर इस संस्था के ज़रिये , आम लोगों को प्राकृतिक सौंदर्य के साथ , पर्यटन से जोड़ने का अभियान चलाया है , और कई खूबसूरत वादियां जो आम लोगों की पहुँच से दूर थी , उनका परिचय जितेंद्र जैकी ने , आकर्षक तरीके से , आम पर्यटकों तक पहुंचाया है , जो आज पर्यटकों के लिए खूबसूरत नज़ारा बनकर उभरे है , क़लम जब चलती है ,जब वादियां खूबसूरत होतीं है , तो यक़ीनन भागम भाग की ज़िंदगी में , विचार आते है , सवाल आते है , ज़ुल्फ़ें , बेवफाई , प्यार , होंठ , आँखे , देश के हालात , सियासी मामलात याद आते है , और फिर एक पत्रकार , एक क़लमकार ,एक फोटोग्राफर , उन  ख्यालातों को , ख़बसूरती के साथ , गागर में सागर भरने के अंदाज़ में शायरी के हुनर के साथ , रदीफ़ , क़ाफ़िया में बांधकर , खूबसूरत शायरी , खूबसूरत ग़ज़ल , नज़म बना लेता है , यही सब भाई जितेंद्र जैकी भी बखूबी रोज़ रोज़ , नियमित करते रहे है , भाई जितेंद्र जैकी ने अपने इस शोक को आम शायरों , उस्तादों के साथ बैठकर , तराशने के लिए ,, झालावाड़ में बज़्म ऐ सुखन  , संस्था का गठन किया ,, साहित्य और संगीत का मंच गठित कर , शायरों , कवियों को एक जुट कर , राष्ट्रहित लेखन से जोड़ने का प्रयास किया , भाई जित्तेन्द्र जैकी , यूँ तो जैकी पैलेस , मंगलपुरा झालावाड़ , में अपने मोहब्बत के घरोंदे में बैठकर बहुत कुछ लिखते है , लेकिन वोह झालवाड़ , के लिए ही नहीं , जयपुर , राजस्थान के हर क्षेत्र के लिए जीवंत फोटोग्राफी करते है , पत्रकारिता करते है , मुकम्मल शायरी करते है ,, वोह राजस्थान पत्रिका झालावाड़ में वरिष्ठ उप सम्पादक , फोटो जर्नलिस्ट तो है ही , लेकिन , समाजसेवी संस्थाओं से जुड़कर , ज़रूरतमंद , पीड़ितों की मदद करते है , तो शोषित , मज़लूमों को इंसाफ दिलाने के लिए , क़लम की तलवार से , ज़ालिमों , भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जंग भी लड़ते है ,  भाई जितेंद्र जैकी ने यूँ ही , चलते चलते , अल्फ़ाज़ों को कागज़ के कलेजे पर उकेर कर  एक साहित्य सृजित किया , और उस साहित्यिक प्रकाशन को , ,, तन्हाई का सुकून ,, शेर ऐ सुखवनर , तहरीर जितेंद्र जैकी के नाम से , प्रकाशित कर , आम लोगों तक पहुंचाया , यक़ीनन भाई जिंतेंद्र जैकी की सारगर्भित पुस्तक साहित्यकार रविंद्र तिवारी ,, इतिहास कर ललित शर्मा ने , आमुख और अभिमत के ज़रिये पुस्तक को सारगर्भित कर इसकी खूबियां शामिल कर दी है , ,पुस्तक में , चंद अशआर ,, ग़ज़ल , ख्वाब , कशिश , रूबरू , इत्तेफ़ाक़ , उनकी चाहत , नज़र  , ,तन्हाई की रात , अश्क , सुरूर एक , सुरूर दो , ज़िंदगी , याद , जज़्बाती शेर , लहजे सुकून , अकेला , अशआर एक , अशआर दो , ख्वाहिश , गीत ,, भजन , यथार्थ ,, सरहद की सदा , ललकार , व्यंग्य कविता ,सब कुछ तो इस छोटी सी 35 पृष्ट की पुस्तक में समो दिया है ,, जितेंद्र जैकी पुस्तक के समर्पण में  लिखते है समर्पित , ,, तन्हाई के उन , चंद लम्हों को , जब दिल के जज़्बात कागज़ के टुकड़ो पर , तहरीर बनते है , वोह लिखते है , में जो लिख रहा हूँ लफ़्ज़ों की तहरीर , तुम ऐसी वोह ख्याल ऐ ग़ज़ल हो ,,  वोह लिखते है , वोह तूफानी बरसात की तन्हाई भरी रात , में और तुम भीगते रहें साथ साथ ,,, अपने शहर से उनके प्रेम को वोह दर्शाते हुए लिखते है , हर चेहरे पे हो ख़ुशी , फ़िज़ां में तरक़्क़ी की खुशबु महके ,, मेरी कोशिश है ,, मेरे शहर की शोहरत , साड़ी दुनिया में महके ,, दुश्मनों के लिए ललकार बनकर वोह कहते है , उठों काट दो उस पैर को ,, जिसने आज अपनी जंघा थपथपाई है , कफ़न बाँध मैदान ऐ जंग में आ जाओ , रणभूमि में आज फिर लालिमा आई है , , उनकी कविताओं में शृंगार है , वीर रस है , हास्य है ,  मज़लूम की कहानी है , एक माशूक़ , एक महबूबा की जवानी है , ऐसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी , पत्रकार ,  प्रेस फोटोग्राफर , समाजसेवक , साहित्यकार , पर्यटन को बढ़ावा देने वाले यायावर।  भाई जितेंद्र जैकी को , सलाम , सेल्यूट , बधाई , मुबारकबाद ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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