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22 जनवरी 2022

नवनियुक्त कोटा कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने , मुख़्यमंत्री अशोक गहलोत की गांधीवादी संवेदनशील प्रशासनिक निर्देशों की तत्काल पालना में

 नवनियुक्त कोटा कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने , मुख़्यमंत्री अशोक गहलोत की गांधीवादी संवेदनशील प्रशासनिक निर्देशों की तत्काल पालना में ,कोटा ग्रामीण सुल्तानपुर की नौकरशाही में अटकी पढ़ी विकलांग प्रमाणपत्र , पेंशन योजना की स्वीकृति के जो तत्काल प्रयास किये है वोह प्रशंसनीय है , लेकिन इसके पीछे नौकरशाह से जुड़े लापरवाह  लोगों के खिलाफ कार्यवाही भी होना ज़रूरी है ,, यक़ीनन कोटा कलेक्टर पद पर पदस्थापित होने के बाद , हरिमोहन मीणा बेहतर प्रशासनिक प्रबंधन का प्रदर्शन कर रहे है , लेकिन कोटा में वर्षों से जमे कलेक्ट्रेट के कुछ कर्मचारी , उनका खुद का निजी स्टाफ   हर अधिकारी को आम जनता के खिलाफ करने की व्यवस्थाओं में रहने से , बेहतर परर्फॉर्मेंस के प्रयास भी धूमिल से होने लगते है ,  कोटा कलेक्ट्रेट में सरकारी निर्देशों के विरूद्ध कुछ स्टाफ डेपुटेशन पर , तो कुछ स्टाफ वरिष्ठता क्रम तोड़ कर लगे है , तो कुछ दूसरे विभागों से आकर बैठे है , तो कुछ खुद को तुर्रम खान समझने लगे है , हरिमोहन मीणा कलेक्टर साहब को , अपने निजी स्टाफ में भी , उनकी स्क्रीनिंग कर , फेरबदल करना सुनिश्चित करना होगा , कलक्ट्रेट में मिलने आने वाले लोगों से , उनकी पर्ची नहीं लेना , भाषा असंयंत रखना , निजी स्टाफ द्वारा भ्रामक जानकारिया देना , उन तक कोई पत्र वगेरा पहुंचने पर भी , समय पर तत्काल नहीं पहुंचाना , वगेरा वगेरा कई ऐसी कमिया है , जो बेहतर प्रदर्शन के बावजूद भी , इन कमियों से परफेक्ट प्रशासनिक व्यवस्था पर  दाग लगा देता है, ,इसके पूर्व कलेक्टर ओम कसेरा के कार्यकाल में भी ,कोटा के यही स्टाफ कर्मी , अंनतपुरा कोटा की एक महिला की पेंशन योजना सुनवाई में बाधक थे , बार बार कोशिशों के बाद भी , साहब मीटिंग में है , अधिकारी बैठे हैं , कहकर , बिना मिलाये रवाना करते रहते थे,, यहां तक के उसके प्रार्थनापत्र तक , कसेरा कलेक्टर साहब तक नहीं  पहुँच पाए थे , जो मुख्यमंत्री पोर्टल पर , लगातार शिकायतों के बाद , खुद माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने , संज्ञान लिया और , कलेक्टर से संवाद कार्यक्रम में कलेक्टर ओम कसेरा साहब को खरी खोटी सुनाई , जबकि उन्हें इस पेंशन मामले की कोई जानकारी इनके स्टाफ ने होने ही नहीं दी थी , नतीजा , खुद कलेक्टर कसेरा ने तत्काल पेंशन वगेरा की बाधाएं दूर करवाकर स्वीकृत की और पेंशन दने उस महिला के घर पहुंचे , यह खबर राजस्थान की सुर्ख़ियों में रही , इसीलिए कलेक्टर के लिए अब अपने इर्द गिर्द स्टाफ में भी संवेदनशील , जवाबदार , लोगों को लगाना ज़रूरी है , जो मिलने आने जाने वाले जनप्रतिनिधियों से भी सम्मानजनक व्यवहार रखे और  हर पत्र् हर गतिविधि की जानकारी ,, कलक्टर तक सीधे पहुंचाए ,, कोटा का भी सुल्तानपुर ग्रामा आटोन , की विधवा विकलांग पेंशन योजना का संवेदनहितना का कठोर परिचय है , इस मामले में भी लापरवाह लोगों के खिलाफ कार्यवाही होना सुनिश्चित होना चाहिए , जो काम तहसीलदार का है , उस काम के लिए कोई एस डी एम के पास क्यों जाए , जो काम एस डी एम ऐ डी एम का है , उसके लिए कोई कलेक्टर , संभागीय आयुक्त के लिए क्यों जाए , जो काम , कलेक्टर के हिस्से का है उसके लिए कोई मुख्यमंत्री कार्यालय तक क्यों जाये ,यह सोंचने की बात है ,और इसी तर्ज़  पर ,, चिरपरिचित अंदाज़ में ,अपने अनुभवों के आधार पर , कोटा में कार्यभार ग्रहण करने के प्रूव है , कोटा कलेक्टर हरिमोहन जी मीणा ने , फीड बेक लिया, कोटा  पहुँचते ही कार्यवाही शुरू की , लेकिन पहले जोइनिंग के दिन ही, वहां  , कलेक्ट्रेट के बाहर , कुछ पत्रकार , जोइनिंग प्रक्रिया की रिपोर्टिंग ,, को लेकर स्टाफ से भिड़ते नज़र आये , स्टाफ उन्हें , उनकी पर्ची को, कलेक्टर साहब तक , पहुँचाने को तय्यार नहीं, जन सम्पर्क अधिकारी , अदंर  होने से कोई संवाद नहीं , कुछ प्रतिनिधियों के साथ भी, स्टाफ का सुलूक लापरवाही भरा , होने से कलेक्टर साहब को यह पसंद नहीं है , यह ऐसा पसंद नहीं करते , इनके अपने अलग सिद्धांत है , जैसे होने से, कई लोगों में  कलेक्टर साहब के प्रसासनिक रवय्ये को लेकर अनावश्यक गलत फहमी का माहौल बनाने वाला रहा  ,, खेर कलेक्टर हरिमोहन मीणा ज़ीरो से हीरो बनने वाले अधिकारी है , इन्होने हर पदस्थापन पर चैलेंजिंग काम किया है, स्टाफ को ठोक बजाकर बेहतर काम करवाया है , कुछ अतिरिक्त करके दिखाया है , और जो भी क़ानूनी , गैर क़ानूनी , वफादार , बेवफा स्टाफ है , वर्तमान में उसके चलते ही , उन्होंने , बेस्ट परफॉर्मेंस साबित की है, कलेक्ट्रेट परिसर में कोरोना गाइड लाइन की पालना , , लोगों से सीधा संवाद , हर समस्या की सुनवाई , तत्काल निर्देश देकर , समाधान के प्रयास किये है ,लेकिन सुल्तानपुर , ऑटोन गाँव का पुराना मामला था , जिसकी जानकारी अगर उन्हें वक़्त पर होती तो निश्चित तोर पर , मुख्यमंत्री कार्यालय से निर्देश होने के पहले ही , सभी बाधाएं दूर कर , पेंशन व्यवस्था हो जाती , ,यह एक घटना नहीं , सबक़ है, अब कलेक्टर ऐसे  पेंडिंग पढ़े मामलों की भी पड़ताल करवायेंगे , जिसमे अनावश्यक देरी से किसी को अगर परेशानी है , तो उसका तत्काल निस्तारण करवाने के प्रयास होंगे , , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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