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23 जनवरी 2022

ख्वाजा गरीब नवाज़ का कोई रंग नहीं , इंसानियत उनका पैगाम था , सभी रंगों में रंगकर , सभी धर्मवासियों के लिए वोह इंसाफ का परचम बुलंद करते रहे , , मौलाना फ़ज़्ले हक़ ,,

 ख्वाजा गरीब नवाज़ का कोई रंग नहीं , इंसानियत उनका पैगाम था , सभी रंगों में रंगकर , सभी धर्मवासियों के लिए  वोह इंसाफ का  परचम बुलंद करते रहे , , मौलाना फ़ज़्ले हक़ ,,

वली ऐ हिन्द , सुलतान ऐ हिन्द , ख्वाजा गरीब नवाज़ , देश भर में क़ौमी एकता , खिदमत ऐ ख़ल्क़ के ईमानदाराना पैगाम के साथ , भारत  में आये और , एक फ़क़ीरी अंदाज़ में उन्होंने इंसानियत की अलम्बरदारी कर , अमन , सुकून का परचम पुरे देश में लहराया , उसी वली ऐ हिन्द के 810 वे उर्स के पूर्व जश्ने गरीब नवाज़ के मौके पर खुदा हमारी दुआएं क़ुबूल करे , हमारे मुल्क , पूरी दुनिया को , इस कोरोना महामारी से महफूज़ कर,  अमन , सुकुन , इन्साफ, इंसानियत  क़ायम रखे , , शनिवार को यहां कोटा स्थित दारुल उलूम  मदरसा अता ऐ रसूल के सरपरस्त , राजस्थान मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमेन , अल्हाज  मौलाना फ़ज़्ले हक़ की  क़यादत में दुआ पेश की गयी ,, जश्ने गरीब नवाज़ के आयोजक साहिल मिर्ज़ा ,, अध्यक्ष  मोहम्मद अतीक द्वारा आयोजित सूफियाना दुआ ऐ हिफाज़त  कोरोना कार्यक्रम में बोलते हुए ,, मौलाना फ़ज़्ले हक़ ने कहा ,, ख्वाजा गरीब नवाज़ ,, भारत में , एक सूफियाना जज़्बे के साथ फ़क़ीरी अंदाज़ में आये , उन्होने अपने अख़लाक़ , के ज़रिये लोगों को अपना बनाया और , आज उनकी खुश अख़लाक़ी ,मुल्क के हर शख्स का हमदर्द बने रहने की सिफ़्त की  बदोलत ही अल्लाह ने उन्हें रूहानियत के साथ , वली ऐ हिन्द का दर्जा दिलवाया ,, मौलाना फ़ज़्ले हक़ ने कहा , के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ,किसी एक धर्म मज़हब के नहीं , इंसानियत उनका पैगाम , इंसाफ उनका काम ,, अमन सुकून का परचम  उनका हिंदुस्तान है , यही वजह  के आज , पीर , फ़क़ीर , अमीर , क्रिकेटर , एक्टर , मंत्री , मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री सहित हर शख्स का सर उनके लिए आदर से झुकता है ,और वोह सभी की मुराद भी पूरी करने के लिए दुआयें करते है ,  , मौलाना फ़ज़्ले हक़ ने ख्वाजा गरीब नवाज़ के सूफियाना इन्साफ के कुछ संस्मरणों के ज़रिये उनकी इंसाफ परस्ती पर रौशनी डालते हुए कहा , के खवाजा गरीब नवाज़ , से हज़ारों की गिनती में लोग मिलने आते थे , अलग अलग धर्म मज़हब के लोग थे ,,एक दिन एकांत में , किसी ने ख्वाजा गरीब नवाज़ से कहा के कुछ लोग है , जो गेरुए वस्त्रधारी है , वोह आपके पास आना चाहते है , लेकिन वोह दूसरे धर्म के दूसरे धर्म के रंगदार होने से , यहां आने में हिचक रहे है , दूसरे दिन, सूफी ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने , सेफ्रोन , गेरुआ रंग अपनाया और उन्होंने खुद ने उस रंग को लिबास कर लिया , यह देख रंग के ज़रिए , धर्म के ज़रिये सूफी ,संतों में फ़र्क़ करने वाले लोग भौचक्के थे ,और वोह सूफी ख्वाजा गरीब नवाज़ के यहां नतमस्तक थे , ख्वाजा गरीब नवाज़ के लिए रंग , धर्म कोई अहमियत नहीं रहा, इंसाफ , इंसानियत ,अमन ,सुकून का पैगाम ही , उनकी प्रार्थमिकता रही ,, ख्वाजा गरीब नवाज़ के यहां अल्तमश ,,मशक  के ज़रिये , पानी पिलाने की खिदमात देता था , एक दिन अल्तमश ने ख्वाजा गरीब नवाज़ से , उसे बादशाह बनाने की दुआ करने के लिए कहा , तो ख्वाजा गरीब नवाज़ ने , कह दिया ,, जा तुझे दिल्ली का ताज मिलेगा , कुछ दिनों ,बाद  अल्तमश दिल्ली का बादशाह था , उसने ख्वाजा साहब को साथ लेजाने की  ज़िद की लेकिन गरीब नवाज़ ने इंकार कर दिया ,, कुछ दिनों बाद लगातार टेक्स से तंग आकर कुछ ब्राह्मण , बनिये , व्यापारियों ने  ख्वाजा गरीब नवाज़ के पास आकर , अल्तमश से इस तरह का टेक्स कम करवाने , हटवाने की गुज़ारिश की , ख्वाजा गरीब नवाज़ उठे , और तपती धुप , तेज़ गर्मी में, भूखे प्यासे , उन ब्राह्मण , बनिये  महाजन  व्यापारीयों के साथ , दिल्ली के सफर को निकल पढ़े , हफ्तों के सफर में , पैरों में छाले थे  ,लेकिन वोह रुके नहीं , अल्तमश को जब पता चला तो वोह खुद उनकी ताज़ीम स्वागत को आया , अल्तमश ने कहा हुज़ूर , आप मुझे याद कर लेते , में खुद हाज़िर हो जाता , तब , ख्वाजा गरीब नवाज़ ने कहा , में इनके काम से आया हूँ , यह टेक्स खत्म करो, फिर अल्तमश ने कहा , यह तो आप खत लिख देते तब भी हो जाता , तब उन्होंने  कहां , यह काम इन लोगों का था इसीलिए मुझे इनके साथ आना पढ़ा , अब काम हो गया तसल्ली हो गयी ,, वोह सभी लोग जो अलग अलग धर्म के थे , ख्वाजा गरीब नवाज़ का , बिना किसी मज़हबी  भेदभाव के इंसाफ के इस मंज़र को देखकर , उनके सामने नतमस्तक थे ,  मौलाना फज़्ले हक़ ने कहा के एक जादूगर जयचंद जो सभी को परेशान करता था , उसके जादू के दम पर जब उनके सामने उड़ता हुआ आया और उन्हें चुनौती देने लगा , तो  उन्होंने मुस्कुरा कर नीचे अपने पैरों की जूतियों की तरफ देखा , और जूतियों ने खुद जादूगर की जादूगरी पीट पीट कर  निकाल दी , उसका अहंकार चूर चूर था , वोह ख्वाजा गरीब नवाज़ के क़दमों में था , उनकी सीख थी , ताक़त , रुपया दिखाने के लिए नहीं, एक दूसरे की मदद करने , और इंसाफ , अमन , सुकुन का पाठ सिखाने के लिए है ,   इस मौके पर ,, दो सेशन हुए पहले सेशन में सूफियाना कलाम पेश हुए , हम्द , नात , पेश हुए , सूफियाना तक़रीर हुई ,, दूसरे सेशन में , ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह अजमेर शरीफ कमेटी के चेयरमेन , हाजी अमीन पठान का इस्तेक़बाल किया गया ,,इस मौके पर , एडवोकेट अख्तर खान अकेला , तबरेज़ पठान , गफ्फार मिर्ज़ा , ज़फर भाई ठेकेदार ,    मुफ्ती कोनेन साहब , शरीफ साहब ,  शाहिद मुल्तानी , इनायत पठान , शहज़ाद मज़हर ,  हशरू पठान , हमीद गौड़ सहित , आलिम , मस्जिद कमेटियों के सदर , मदरसा कमेटियों के सदर भी मौजूद थे , दारुल उलूम , मदरसा अता ऐ रसूल में ख्वाजा गरीब नवाज़ के उर्स के पूर्व हर साल सूफियाना कार्यक्रम ,, मौलाना  फजले हक़ साहब की सरपरस्ती में , आयोजित होते रहे है, , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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