सब ने (याक़ूब से) कहा अब्बा जान आखि़र उसकी क्या वजह है कि आप यूसुफ के बारे में हमारा ऐतबार नहीं करते (11)
हालांकि हम लोग तो उसके ख़ैर ख़्वाह (भला चाहने वाले) हैं आप उसको कुल
हमारे साथ भेज दीजिए कि ज़रा (जंगल) से फल वगै़रह् खाए और खेले कूदे (12)
और हम लोग तो उसके निगेहबान हैं ही याक़ूब ने कहा तुम्हारा उसको ले जाना
मुझे सख़्त सदमा पहुँचाना है और मै तो इससे डरता हूँ कि तुम सब के सब उससे
बेख़बर हो जाओ और (मुबादा) उसे भेडि़या फाड़ खाए (13)
वह लोग कहने लगे जब हमारी बड़ी जमाअत है (इस पर भी) अगर उसको भेडि़या खा
जाए तो हम लोग यक़ीनन बड़े घाटा उठाने वाले (निकलते) ठहरेगें (14)
ग़रज़ यूसुफ को जब ये लोग ले गए और इस पर इत्तेफ़ाक़ कर लिया कि उसको
अन्धे कुएँ में डाल दें और (आखि़र ये लोग गुज़रे तो) हमने युसुफ़ के पास
‘वही’भेजी कि तुम घबराओ नहीं हम अनक़रीब तुम्हें मरतबे (उँचे मकाम) पर
पहुँचाएगे (तब तुम) उनके उस फेल (बद) से तम्बीह (आग़ाह) करोगे (15)
जब उन्हें कुछ ध्यान भी न होगा और ये लोग रात को अपने बाप के पास (बनवट) से रोते पीटते हुए आए (16)
और कहने लगे ऐ अब्बा हम लोग तो जाकर दौड़ने लगे और यूसुफ को अपने असबाब
के पास छोड़ दिया इतने में भेडि़या आकर उसे खा गया हम लोग अगर सच्चे भी हो
मगर आपको तो हमारी बात का यक़ीन आने का नहीं (17)
और ये लोग यूसुफ के कुरते पर झूठ मूठ (भेड़) का खून भी (लगा के) लाए थे,
याक़ूब ने कहा (भेडि़या ने ही खाया (बल्कि) तुम्हारे दिल ने तुम्हारे बचाओ
के लिए एक बात गढ़ी वरना कुर्ता फटा हुआ ज़रुर होता फिर सब्र व शुक्र है
और जो कुछ तुम बयान करते हो उस पर ख़़ुदा ही से मदद माँगी जाती है (18)
और (ख़़ुदा की शान देखो) एक काफ़ला (वहाँ) आकर उतरा उन लोगों ने अपने
सक़्के (पानी भरने वाले) को (पानी भरने) भेजा ग़रज़ उसने अपना डोल डाला ही
था (कि यूसुफ उसमें बैठे और उसने ख़ीचा तो निकल आए) वह पुकारा आहा ये तो
लड़का है और काफला वालो ने यूसुफ को क़ीमती सरमाया समझकर छिपा रखा हालांकि
जो कुछ ये लोग करते थे ख़ुदा उससे ख़ूब वाकिफ था (19)
(जब यूसुफ के भाइयों को ख़बर लगी तो आ पहुँचे और उनको अपना ग़ुलाम बताया
और उन लोगों ने यूसुफ को गिनती के खोटे चन्द दरहम (बहुत थोड़े दाम पर बेच
डाला) और वह लोग तो यूसुफ से बेज़ार हो ही रहे थे (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
30 जनवरी 2022
सब ने (याक़ूब से) कहा अब्बा जान आखि़र उसकी क्या वजह है कि आप यूसुफ के बारे में हमारा ऐतबार नहीं करते
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