देर रात एक बज़े दादाबाड़ी में सम्पन्न हुआ नैत्रदान
माता-पिता की सहमति से देर रात ,31 वर्ष के पुत्र का नेत्रदान
ज्योति
मंदिर के पास,दादाबाड़ी निवासी,नारायण दास लखवानी के छोटे बेटे बादल लखवानी
(31 वर्षीय) का आकस्मिक निधन हो गया। जिसकी सूचना शाइन इंडिया फाउंडेशन के
ज्योतिमित्र विजय भोजवानी को भी मिली । विजय की चाची जया भोजवानी का भी
पिछले माह संस्था के सहयोग से नैत्रदान करवाया था ।
अपनी
चाची के नैत्रदान देखने के बाद ,विजय जी नैत्रदान की प्रक्रिया और
उपयोगिता से भली-भांति परिचित थे । उन्होंने तुंरत शाइन इंडिया को,बादल के
नैत्रदान करवाने के लिये सूचित किया ।
युवा
अवस्था में हुई मृत्यु के कारण माता-पिता को निर्णय लेने में थोड़ा समय लग
रहा था,ज्यादा देर होता देखकर,शाइन इंडिया की टीम रात 12 बज़े ही,बादल के
निवास पर आ गयी,वहाँ सिंधी समाज के पदाधिकारी,व गणमान्य लोग किशोर
सेधवानी,ओम टेकवानी व त्रिलोक चंद बैठे हुए थे। वहीं पर पुनः संस्था
सदस्यों ने नैत्रदान के लिये अपनी बात रखी,जिसे बाद में स्वीकार कर लिया
गया। इसके बाद रात 12:30 संस्था सदस्यों व आई बैंक के तकनीशियन टिंकू ओझा
के सहयोग से नैत्रदान का कार्य सम्पन्न हुआ ।
बादल,गुमानपुरा
में किसी शॉप पर कार्यरत थे,काफ़ी समय से हाई शुगर के मरीज थे। परिजनों को
यह शंका थी कि नैत्रदान के बाद यदि रक्त आया,तो हम रात भर परेशान राह सकते
हैं, टीम के सदस्यों के समझाने के बाद उपस्थित लोग यह भी जान सके कि
नैत्रदान एक रक्तविहीन प्रक्रिया है । नैत्रदान कि प्रक्रिया में रक्त उसी
परिस्थितियों में आता है,जब मृत्यु का कारण उच्च रक्तचाप रहा हो,या मृतक की
ऐसी दवा चल रही हो जो,खून को पतला करती हों ।
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