आपका-अख्तर खान

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04 अक्टूबर 2021

तुम रूठे रहे मुझ से

 


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सुन, ज़िन्दगी ,
तुम रूठे रहे मुझ से ,
मुझ पे झूंठे इल्ज़ामों के साथ,
में भी नाराज़ हूँ तुमसे
तुम्हारी बेवफाई के साथ,
ना जाने क्यों फिर भी
तुम्हें खोने से डरता हूँ हरदम,

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