कहते है कि अच्छे काम करने का मन सच्चे मन से बना लो तो ईश्वर खुद आपकी राहे आसान कर देते है।कुछ दिन पूर्व सिविल लाइन्स स्तिथ जमना बावड़ी को देखा तो मन मे सवाल उठे की इस तरह की कई बावडिया कोटा शहर में होगी जो आज अपनी पहचान खो चुकी है।जमना बावड़ी की बनावट को देख बहुत खुशी हुई,मन गौरान्वित हुआ उस वक्त की बनावट शैली को देखकर।मन मे इच्छा जागृत हुई कि क्यों ना इनकी सार संभाल फिर से करवाई जाकर,शहर वासियों को इनके वास्तविक रूप परिचय कराया जाये वो भी इनके वास्तविक इतिहास के साथ।जमना बावड़ी के इतिहास के बारे में पता करने के लिए मेने सोश्यल मीडिया पर पोस्ट की तो पता चला कि इस तरह कई पौराणिक धरोहरे हमारे शहर में जीर्ण शीर्ण अवस्था मे है।एक ओर अनोखी बावड़ी जेडीबी कॉलेज कैम्पस में होने की जानकारी मिली तो उत्सुकतावश उसे भी देखने गईं, पर उसके इतिहास के बारे में वहाँ कई सालों से देखरेख कर रहे व्यक्ति भी ज्यादा कुछ नही बता पाये।इतिहास को गौरान्वित करने वाली धरोहरों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी समाज के प्रत्येक व्यक्ति की होती है ऐसा मेरा मानना है।में इस तरह की सभी बावड़ियों ओर उनके इतिहास को लोगो के बीच फिर से उनके मूल स्वरूप में लाने की इच्छा रखती हूं और यह कार्य बिना जनसहयोग के नही हो सकता। इनसे जुड़ी ओर धार्मिक मान्यताओं वाली संस्कृति ओर इतिहास के बारे में अगर किसी को जानकारी हो तो कृपया वो मुझसे उन्हें सांझा कर सहयोग करे।
आपकी अपनी
डॉ एकता धारीवाल
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