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04 अगस्त 2021

कोटा ग्रामीण पुलिस अधीक्षक , शरद चौधरी द्वारा छात्र जीवन में , ब्यूरोक्रेट्स व्यवस्था पर , आज से लगभग 35 साल पहले ,, जो तार्किक लेख लिखा था , गुजरात हाईकोर्ट ने , उसी व्यवस्था के तहत , गोधरा विधायक के मुखालिफ बोलने पर , प्रवीण कुमार के जिला बदर के आदेश को लेकर , ब्यूरोक्रेट्स , और विधायक यानि सत्ता पक्ष के खिलाफ गंभीर टिप्पणी की है

 कोटा ग्रामीण   पुलिस अधीक्षक , शरद  चौधरी द्वारा छात्र जीवन में , ब्यूरोक्रेट्स व्यवस्था पर , आज से लगभग 35 साल पहले ,, जो तार्किक लेख लिखा था , गुजरात हाईकोर्ट ने , उसी व्यवस्था के तहत , गोधरा विधायक के मुखालिफ बोलने पर , प्रवीण कुमार के जिला बदर के  आदेश को लेकर , ब्यूरोक्रेट्स , और विधायक यानि सत्ता पक्ष के खिलाफ गंभीर टिप्पणी की है ,, गुजरात के गोधरा विधायक के खिलाफ , उसी विधानसभा क्षेत्र के प्रवीण भाई लोगों के काम  काज   नहीं करने सहित कई असफलताओं को लेकर , विधायक जी से सवाल करते रहे , इसी दौरान उनके खिलाफ ऐसे मामलों में , तीन चार मुक़दमे दर्ज हुए और ,फिर विधायक   जी के दबाव  में , प्रवीण भाई को वहां के एस डी एम ने सात ज़िलों  से तड़ीपार करने के आदेश दिए थे , प्रवीण इस  मामले में  विधायक के कृत्यों  की असहमति के कारण उनके खिलाफ कार्यवाही हुई है ,  सबूतों के साथ अहमदाबाद हाईकोर्ट गए थे , जहाँ  गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस परेश उपाध्याय ने , इस मामले को गंभीरता से  लिया , और एस  डी एम सहित विधायक जी को भी फटकार लगाते हुए सवाल किया आपके क्षेत्र में कोई  भी आपसे सवाल पूंछेगा तो क्या उन्हें तड़ीपार कर देंगे ,, हाईकोर्ट जज ने , कहा के आपको रजवाड़े नहीं चलाने है , लोकतंत्र है , आप लोगों को बोलने से नहीं रोक सकते , आखिर ऐसा उत्पीड़न करते ही क्यों है , ,यह आदेश लोकतंत्र में असहमति के खिलाफ , सत्ता और अफसरशाही  की सांठ गाँठ का खुला उदाहरण है , पुरे देश में हर ज़िले , हर कस्बे , हर राज्य  में ऐसे अनगिनत क़िस्से छुपे है  , कुछ उजागर होते है , कुछ  प्रताड़नाएं छुपी रहती है , मुझे इस घटना के साथ , कोटा में नियुक्त   ग्रामीण पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी का छात्र कार्यकाल में , ब्यूरोक्रेट्स , खासकर , शीर्ष अधिकारीयों के क्रिया कलापों  उनमे  सुझावों  के साथ ,  लिखे गए उनके आलेख  पर वरिष्ठ आई  ऐ एस , आई   पी एस अधिकारीयों की प्रतिक्रिया ताज़ा हो गयी ,,  शरद  चौधरी ,  करीबन 35 वर्ष पूर्व लगभग ,  अलीगढ मुस्लिम  यूनिवर्सिटी के बाद , जे एन यू दिल्ली  के प्रतिभावान छात्र थे , उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान ही ,  लगातार ,  वरिष्ठ अधिकारीयों  ,  प्रशासनिक अधिकारीयों के बारे में , रिसर्च पत्र , लिखा  ,  जो जे एन यू  जनरल में भी  प्रकाशित हुआ , उनका लेख , देश  के हालातों में  ब्यूरोक्रेट्स  ,  की भूमिका  , उनके कर्तव्य और भौतिक रूप से उनके आचरण ,  संबधित था , जो उनके कर्तव्यों   से अलग उजागर होता था ,  शरद चौधरी का  आलेख ,  आलोचनात्मक भी था , सुझावात्मक भी था ,,  शरद चौधरी के इस आलेख को पढ़कर , कई भारतीय पुलिस ,  प्रशासनिक अधिकारीयों की भृकुटि तन गयी , नाराज़गी हुई , शरद चौधरी खुद छात्र थे , वोह भी थोड़े सहमे से रहे , लेकिन उनकी अंतरात्मा की आवाज़ थी के वोह सच है , वोह सही है , उन्होंने जो लिखा है , निष्पक्ष भाव से लिखा है , इसलिए वोह डिगे नहीं ,,, शरद चौधरी के ब्यूरोक्रेट्स के इस बहुपक्षीय आलेख को , हज़ारों आए ऐ एस , आई पी एस ने पढ़ा , समझा , कुछ ने बुरा कहा , कुछ ने स्वीकार किया , लेकिन एक दिन अचानक , शरद चौधरी का किसी से नंबर लेकर एक ,वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी , आई ऐ एस ने ,उन्हें फोन किया , शरद चौधरी उनसे बात करने के पहले थोड़े सहमे , उन्होंने शरद चौधरी से उनके लिखे आलेख के बारे में दरयाफ्त किया , शरद चौधरी ने बेबाक होकर स्वीकार किया , उनकी नज़र में यही कुछ सच है ,  इसमें बदलाव होना चाहिए ,  बस  ,  उक्त   वरिष्ठ आई आई ऐ एस ,,  को  शरद चौधरी के विचार स्वीकार्य लगे , और उन्होंने शरद चौधरी से , उनके आलेख की थीम पर ,  एक विस्तृत किताब लिखने की , स्वीकृति चाही , जो  शरद चौधरी ने सहज ,  स्वीकृति दे दी ,,  भारतीय पुलिस , प्रशासनिक अधिकारीयों के कर्तव्य और उनके वर्तमान ,प्रभावित होकर किये जाने वाले कृत्यों के कई मनोवैज्ञानिक जीवंत उदाहरण के साथ , उक्त पुस्तक को रिसर्च व्यवस्था के तहत लिखी गयी ,  जो आज  भी शरद चौधरी के पास सुरक्षित है , कहते  है ,  इस तरह की पुस्तक के साथ , अन्य पुस्तकों के अध्ययन के साथ है , प्रशांत किशोर अग्रवाल , जो वर्तमान निति निर्धारक , चुनावी सर्वेक्षक , चुनाव  में  जीतने के टिप्स दने के लिए प्रसिद्ध है , उन्होंने बहुत कुछ सीखा ,है  , प्रशासनिक अधिकारीयों को उनके कृत्य के साथ , विशेषज्ञ सलाहकार , ,  की तरह भी कार्य करने के सुझाव रहे है , जो गुजरात में ,मुख्यमंत्री रहते हुए , नरेंद्र मोदी ने , व्यवहारिक रूप से , लागु किये थे , कामयाबी हांसिल की थी , अभी खुद  नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यकाल में ,अलग अलग विषयों के विशेषज्ञों को अपने साथ जोड़कर , उनकी राय , उनके मशवरे के साथ , राष्ट्र हित में काम करने का फार्मूला शुरू किया है , वोह बात अलग है , के उनके विशेषज्ञ सलाहकारों ,में से तीन सलाहकार , अलग अलग समय में , उनके साथ काम करने में कम्फर्ट नहीं रहे , और विशेषज्ञ सलाहकार का पद छोड़ कर , चले गये ,,,  वर्तमान हालातों में भी ,  प्रशासनिक अधिकारी , पुलिस अधिकारी , सरकार के प्रति , सरकार के विधायक , सांसदों के प्रति ,वफादार बनकर , जनता के प्रति उनकी ज़िम्मेदारियाँ भूल जाते है ,पक्षपात करते है , मनमानी करते है , अपने मंत्री , अपने विधायक , अपने सांसद  को , खुश रखते है , और आम  जनता के प्रति उनके कर्तव्यों के निर्वहन से कोसों दूर रहते है , अधिकारीयों में  मंत्रियों , सरकार के प्रति वफादारी का मानसिक रोग सिर्फ इसलिए हुआ है के वोह , मलाई  दार पदों पर रहकर , मज़े करे , और फिर जब सेवानिवृत हो तो भी उन्हें विशेषाधिकारी के रूप में , या फिर किसी भी राजनितिक स्तर के राजकीय पद , विधायक , सांसद के टिकिट से नवाज़ा जाता रहे , इस  ब्यूरोक्रेट्स की  इस मानसिकता के चलते , जनता के प्रति  जवाबदारी ,  ज़िम्मेदारी , का जो कर्तव्य ,  उनके ड्यूटी नियमों   में लिखा है उसे वोह भूल  गए हो ,और एक सो  कोल्ड  , अपने मंत्री , अपने विधायक , सांसद  ,  मुख्यमंत्री  को कैसे खुश रखे , बस  इसीलिए जनता को न्याय   की जगह ,अन्याय मिल  रहा है  ,  भ्रष्टाचार फेल रहा है  ,  नौकरशाही हावी है  ,,   ,और पब्लिक सर्वेंट ,  का अर्थ अब ,   विधायक सर्वेंट , सांसद सर्वेंट , मंत्री सर्वेंट , मुख्यमंत्री सर्वेंट तक सीमित होकर रह गया है , ऐसे सर्वेंटों को  इस बिगड़ी सोच  ,,  बिगड़े माहौल में , बहुत   कुछ मिल भी रहा है , इसलिए यह बिगाड़ दिन प्रति दिन , सियासत में , ब्यूरोक्रेसी में बढ़ती जा रही है  ,  ,गुजरात हाईकोर्ट ने , कमोबेश   , एस डी एम विधायक जी की इसी सांठ गाँठ , वफादारी के साथ , निष्पक्ष कार्यवही की जगह , प्रभावित होकर , मनमानी , भाई की तड़ीपार ,,की एक तरफा आदेश का विश्लेषण कर , मजबूरी में ,,आपको  रजवाड़े  नहीं  चलाने है ,  लोकतंत्र हैए , आप लोगों   को बोलने से नहीं  रोक सकते , आखिर ऐसा  उत्पीड़न  करे ही क्यों है  ,,  लिखने   को मजबूर होना पढ़ा   है  ,  लेकिन  हाड़ोती  की धरती पर , राजस्थान में आई   पी एस पद पर , बैठे हुए , शख्स शरद  चौधरी के जे एन यू  के छात्र कार्यकाल में  , लिखे गए आलेख के तथ्य जो  तब भी सच थे , और आज  भी सच  साबित हो रहे है   ,  इस  दिलेरी , बहादुरी के साथ ,  निष्पक्ष रूप से , आज से 35 साल पहले इन  हालातों पर ,  क़लम  उठाने ,  लिखने का  साहस करने पर , आई पी  एस शरद चौधरी को , बधाई , मुबारकबाद , ,,,  अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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