आपका-अख्तर खान

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04 अगस्त 2021

वहाँ कोई लग़ो बात सुनेंगे ही नहीं

 वहाँ कोई लग़ो बात सुनेंगे ही नहीं (11)
उसमें चश्मे जारी होंगे (12)
उसमें ऊँचे ऊँचे तख़्त बिछे होंगे (13)
और (उनके किनारे) गिलास रखे होंगे (14)
और गाँव तकिए क़तार की क़तार लगे होंगे (15)
और नफ़ीस मसनदे बिछी हुयी (16)
तो क्या ये लोग ऊँट की तरह ग़ौर नहीं करते कि कैसा अजीब पैदा किया गया है (17)
और आसमान की तरफ कि क्या बुलन्द बनाया गया है (18)
और पहाड़ों की तरफ़ कि किस तरह खड़े किए गए हैं (19)
और ज़मीन की तरफ कि किस तरह बिछायी गयी है (20)
तो तुम नसीहत करते रहो तुम तो बस नसीहत करने वाले हो (21)
तुम कुछ उन पर दरोग़ा तो हो नहीं (22)
हाँ जिसने मुँह फेर लिया (23)
और न माना तो ख़ुदा उसको बहुत बड़े अज़ाब की सज़ा देगा (24)
बेशक उनको हमारी तरफ़ लौट कर आना है (25)
फिर उनका हिसाब हमारे जि़म्मे है (26)

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