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05 जनवरी 2021

पेशे से कबाड़ी,पर शहर में ऐसे दानी कम है वेस्ट से बेस्ट बनाने वाले ने लिया देहदान संकल्प

 

पेशे से कबाड़ी,पर शहर में ऐसे दानी कम है
वेस्ट से बेस्ट बनाने वाले ने लिया देहदान संकल्प
वेस्ट नहीं है मृत देह, जो जलाई या दफनाई जाए
शहर में पिछले दिनों में देहदान के प्रति जागरूकता काफ़ी बढ़ी है,इसके पीछे मुख्य कारण है,संस्था सदस्यों का घर घर जाकर देहदान संकल्प लेने वालों के परिजनों को,सामूहिक रूप से जागरूक करना,मौके पर ही देहदान से जुड़ी सभी भ्रांतियों को भी दूर कर दिया जाता है । इसके कारण अन्य लोग भी देहदान संकल्प लेने को तैयार हो जाते है।
कोटा स्टेशन क्षेत्र के निवासी,नरेश गेरा की बजरंग नगर में मिस्टर कबाड़ी के नाम से दुकान है,जहाँ यह लोगों के काम नहीं आने वाली चीजों को ख़रीदकर,उसमें से कुछ अच्छा ढूँढ़कर आगे भेजने का काम करते हैं । स्वभाव से शांत सरल,मधुर वाणी वाले,मिलनसार व्यक्तित्व के धनी नरेश जी काफ़ी अच्छा गाते भी है । हमेशा ख़राब,बेकार, कबाड़ चीज़ों में से भी बहुत कुछ अच्छा ढूँढ़ लेना,हर किसी के बस की बात नहीं है ।
नरेश जी,ने शाइन इंडिया फाउंडेशन के कार्यों को समाचार पत्रों के माध्यम से पढ़ते रहे है । इनका मानना है कि,यूँ तो मनुष्य तब तक अपनी किसी भी छोटी से छोटी चीज़ को भी कबाड़ समझकर नहीं फेंकता,न जलाता, और न दफनाता जब तक कि वह चीज़ उसके काम आती रहती है। जैसे ही उस छोटी या बड़ी चीज़ से मोह खत्म,वैसे ही उसकक कबाड़ समझ कर अपने से दूर करने में या फेंकने में वह जरा सी भी देरी नहीं करता । क्यों शरीर को लोग मृत्यु के बाद वेस्ट मानकर, इसका उपयोग ख़त्म होते ही,इसको जलाने या दफनाने के लिये सोचते है ?
इनके मन में बार बार यही ख्याल रहता है ,की मेरा शरीर आज भी काम का है,और कल भी यह काम का रहे,इसलिए मैं इसको कबाड़ नहीं मानता,तो मेरी मृत्यु बाद मेरे शरीर से भावी चिकित्सक पढ़ सकेंगे, इससे अच्छी बात मेरे लिये कोई नहीं हो सकती है । साथ ही वह यह भी कहते है कि,आज के इंसान को हर चीज़ में न्यू अपडेट चाहिए, परंतु देहदान के लिये लोग अपनी सोच को अपडेट नहीं करेंगे ।
नरेश जी के इस निर्णय से उनकी पत्नि दीपा, दोनों बेटियाँ मुनमुन और सरगम को भी कोई आपत्ति नहीं है। संकल्प के उपरांत शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों ने उनको देहदान प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। संस्था सदस्यों ने बताया कि हमारे काम करने के बाद से देहदान करने वालों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है

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