आपका-अख्तर खान

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05 जनवरी 2021

देश के बच्चों ,, बूढ़ों ,,,महिलाओं , युवाओं , के लिए कितने ही आयोग , मंत्रालय बनाकर ,अरबों रूपये हम ,, हमारे टेक्स की रक़म से खर्च करते रहे ,, लेकिन इनके कल्याण के नाम पर आज़ादी से आज तक हमारी सरकारों ने , ढकोसले के सिवा कुछ नहीं किया है

 देश के बच्चों ,, बूढ़ों ,,,महिलाओं , युवाओं , के लिए कितने ही आयोग , मंत्रालय बनाकर ,अरबों रूपये हम ,, हमारे टेक्स की रक़म से खर्च करते रहे ,, लेकिन इनके कल्याण के नाम पर आज़ादी से आज तक हमारी सरकारों ने , ढकोसले के सिवा कुछ नहीं किया है , यही वजह है ,,के आज ,देश के हर शहर की रेडलाइट ,, चौराहे ,, चाट पकोड़ी की स्ट्रीट में ,, हर उम्र के बूढ़े ,बच्चे ,,महिलाये ,, आदतन , रोज़गार के रूप में ,भीख मांग कर पेट भरना अपनी शान समझने लगे , है रेड लाइटों पर ,, चाट पकोड़ी की दुकानों पर , कुछ लोग मजबूरी में , कुछ लोग ज़ोर ज़बरदस्ती के डर से , और कुछ अनर्थ होने के डर से ऐसे लोगों की हौसला अफ़ज़ाई कर रहे है ,, देश भर के हालात , देश भर के आंकड़े तो  देश के अख़बार नवीज , न्यूज़ एडिटर ,, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े लोग जाने , लेकिन इस  तरह की टीम , अगर देश भर में , हर गली ,हर क्षेत्र में ,, अपने रोज़गार की चाह को छोड़कर ,भिक्षावृत्ति भी एक रोज़गार के रूप में अपना ले और यह रोज़गार पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत में मिलती रहे , तो फिर वोह चाहे में हूँ , चाहे ,देश के समाजसेवक हों ,चाहे देश भर की समस्याओं पर जनहित याचिकाएं सो मोटो स्वीकार करने वाले न्यायविद हों , चाहे , सरकार में बैठे मंत्री हों , केंद्रीय ,, राज्य स्तरीय बाल कल्याण आयोग ,, युवा कल्याण बोर्ड ,महिला आयोग , बाल विकास मंत्रालय ,, समाज कल्याण मंत्रालय ,, महिला  कल्याण मंत्रालय   हों  ,,समाज  सुधारक हों ,, सभी के लिए ,, आत्मनिर्भर भारत , के अभियान में असफल होने की  पराकाष्ठा है ,,,,  हम कोटा की बात करते है ,, कोटा में जिला कलेक्टर है , देश की सबसे बढ़ी पंचायत ,, लोकसभा के अध्यक्ष ओम जी बिरला हैं ,, राज्य मंत्री है ,, समाजकल्याण विभाग है , बालकल्याण समितियां है ,, जुवेनाइल यूनिट है ,, पुलिस है ,, समाज सुधारक है ,भारत रत्न , हाड़ोती रत्न , समाजसेवक , युवा ह्रदयसम्राट , गरीबों के मसीहा हैं ,, हर वर्ग हर धर्म के लोग है , लेकिन कोटा की हर रेड लाइट ,, कोटा के हर चौराहे ,, शॉपिंग सेंटर ,छावनी ,तलवंडी ,,  अदालत चौराहे , , स्टेशन ,बस स्टेण्ड ,, रेलवे स्टेशन , विज्ञाननगर ,, दादाबाड़ी , उद्योग नगर , कुन्हाड़ी ,, बोरखेड़ा ,, कोई ऐसी जगह नहीं है , जहाँ ,, आदतन भीख को रोज़गार बनाने वाले , खुद को दरिद्र बताकर ,, रूपये मांगते है , कुछ लोग समझदार हो गए है ,, तो वोह गुब्बारे ,पेन , वगेरा लेकर ,, खुद को रोज़गार से जुड़ा होने पर भी दरिद्र साबित कर ,, प्रसादम के हक़दार बनते है ,,  कहीं भी पुल के  नीचे , वीराने में , खाली पढी जगह पर , यह लोग रात गुज़ारते है , योजनाबद्ध तरीके से , अपने अपने इलाक़े में निकल जाते है ,, विज्ञाननगर चौपाटी , शॉपिंग सेंटर ,छावनी , तलवंडी स्टेशन सहित सभी इलाक़ों में , यह लोग छुटपुट चीज़े बेचने के नाम पर मौजूद रहते है ,और इनके बच्चे , प्रशिक्षित व्यवस्थित तरीके  से ,,  मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर ,,  लोगों  से ज़िद  करके ,  उन्हें लुभाकर , उनके दिल के अंदर मदद के जज़्बे को जगाकर ,, उनसे रोज़  मर्रा रक़म हांसिल करते है , ज़रूरतमंद लोगों की मदद ,, कोई बुराई नहीं ,, गरीब की मदद ,दरिद्र की मदद कोई बुराई नहीं ,, लेकिन अगर , इसे पीढ़ी दर पीढ़ी रोज़गार बना लिया जाए , और हम समाज कल्याण के हर वर्ग के कल्याण की दुहाई देते रहे , फिर भी यह , भिक्षावृत्ति रोज़गार के रूप में चलती रहे तो हमारे सभी पर लानत है , हिन्दू , मुस्लिम ,सिख , क्रिश्चियन चाहे जो भी हो , चाहे जमात इस्लामी हो ,चाहे सुन्नी जमातें हों , चाहे आर एस एस हो ,चाहे हिन्दू संगठन हों ,, सभी के  लिए यह शर्म की बात है ,, और सरकारें , उसके मंत्री , विधायक ,, समाजसेवक तो हम सब की तरह नहीं ,हम सबसे भी बढे बेशर्म है ,, सरकारें इन लोगों को पुर्नवासित करने ,, व्यस्थित करने , रोज़गार , शिक्षा से जोड़ने के लिए ,, योजनाए बनाती है , वाह वाही लूटती है ,, मंत्रालय के नाम पर , आयोगों के नाम पर ,  कमेटियों के नाम पर , करोड़ों करोड़ नहीं ,अरबों अरब रूपये खर्च करती है ,, एयर कंडीशन मीटिंग हॉल में ,, एयरकंडीशन लाखों की कारों में सफर करने वाले यह लोग ,पांच सितारा संस्कृति में , इन लोगों के पुनर्वास ,, रोज़गार ,शिक्षा से इन्हे जोड़ने के लिए बैठकें करते है , अख़बारों में खबरे देते है ,, अख़बारों में खबरें छपती है , बालकल्याण दिवस ,, महिला दिवस , युवा दिवस ,वृद्ध कलयाण दिवस पर ,, इनके नाम टी वी , और अख़बारों में ,अरबों रूपये के विज्ञापन प्रकाशित , प्रसारित होते है ,, लेकिन यह खबरों में नहीं होते , इनके पुनर्वास मामले में ,सरकारों की असफलता की खबरें , टी वी चेनल्स ,, अख़बारों में हरगिज़ हरगिज़ नहीं होती ,,,  कमेटियां बनती है , ,बाल आयोग बनते है ,, जिला प्रशासन एलर्ट रहता है , ज्वेनाइल यूनिट सजग और सतर्क होने का दावा करती है ,, हेल्पलाईन नंबर ,, समाजसेवी संस्थाओं के विज्ञापन , शोरशराबे बहुत , बहुत दिखते है सुनते है ,स्काउट , गाइड भी पेश पेश नज़र आते है ,, लेकिन जो बच्चे , महनत मज़दूरी करके , रोज़गार के ज़रिये , ईमानदारी से , महनत से अपना पेट पालना चाहते है , उन्हें यह लोग पकड़ते है ,, उन्हें यह लोग बाल आश्रय ग्रह में रखते है ,,, क्योंकि यह बच्चे स्वाभिमानी है ,भीख नहीं मांग सकते , खुद का ,खुद के परिजनों का  मेहनत ,, मज़दूरी करके , पेट पालना चाहते है ,,, इन बच्चों को तुरतं पकड़ा जाता है ,नियोजक के खिलाफ मुक़दमा होता है , क्योंकि इनको  पकड़ने में इनके माँ , बाप भी सेल्यूट मारते है ,गिड़गिड़ाते है ,, नियोजक में तो घबराहट होती ही है , उनके खिलाफ मुक़दमे भी   दर्ज होते है ,, ज्वेनाइल क़ानून ,, आधा क्यों लागू क्या जाता है ,, आधा क्यों पढ़ा जाता है ,, जब इस क़ानून में भीख मांगने वाले उपेक्षित बच्चों को बाल आश्रय ग्रह में रखने ,, आदतन रोज़गार के रूप में भीख मांगने के लिए बच्चों को  नियोजित करने ,या दबाव बनाने पर , उनके अभिभावक , नियोजकों के खिलाफ , मुक़दमा दर्ज करने का प्रावधान है , फिर भी ,, ऐसे माता पिता जो अपने बच्चों से आदतन तरीके से भीख मंगवा रहे है , उनके खिलाफ कोटा में एक भी मुक़दमा प्रावधानों के तहत दर्ज हुआ हो  ,ऐसा उदाहरण मिला नहीं है , ऐसे लोगों को पकड़ो ,, आश्रय ग्रह में रखो , कौन्सिलिंग करके , उनसे भिक्षावृत्ति की जगह , स्वरोजगार योजनाओं ,, साक्षरता की तरफ उनका रूहझान बनाओ ,,, ऐसी व्यस्थाएं बनाओं , वृद्धो को वृद्धाश्रम में ,, महिलाओं को नारीशाला में ,बच्चो को बाल आश्रय ग्रह में ,,  मुफ्त खाने की व्यवस्था के साथ , उनसे काम करवाने , उन्हें सिलाई ,कढ़ाई ,बुनाई सहित अन्य स्वरोजगार योननाओं के प्रति प्रेरित कर ,साक्षरता के साथ ,, प्रबंधन दीजिये ,,  लोन दिलवाइये ,  ,, कोटा में एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट , अशोक जेन , के कार्यकाल में , हर गली , चौराहे ,  अदालत ,,बस  स्टेण्ड सभी स्थानों पर , छापामार कार्यवाहियां हुई ,,ऐसे आदतन भिक्षा व्यवसाय में लगे , बच्चों , औरतों ,, बुज़ुर्गों को , अलग अलग आश्रय स्थल में रखवाया गया , उन्हें मनचाहा खाना ,, मनचाहे कपड़ों की व्यवस्थाएं की गयीं ,, सड़कों चौराहों से आदतन भीख मांगने वाले गिरोह , गायब थे , या तो वोह आश्रय स्थलों में थे ,  या फिर कोटा छोड़ भागे थे , लेकिन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का  ट्रांसफर हुआ , फिर वही ढाक के तीन पात हालात जस के तस , दुखदायी  है ,, बाल आयोग से जुड़े लोग ,  सरकारों से जुड़े लोग ,, समाजकल्याण से जुड़े लोग , समाजसेवा क्षेत्र से जुड़े लोग ,,  काम काज कर रहे नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू करने वाले लोग ,, इस व्वयस्था में कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर लगे लोग ,, जन प्रतिनिधि , मंत्री , सांसद , विधायक ,, केंद्र , राज्यों के मुख्याओं ,, मुझे , आपको , सभी को ,, इस व्यवस्था को बदलने के प्रयास तेज़  करना  होंगे ,, हमे इन व्यवस्थाओं पर अरबों अरब रूपये खर्च करने के बाद भी ,,  स्थिति वही की वही बनी रहने के , कारणों को ,,  अपनी  नाकामयाबी को ,बिना आरोप , प्रत्यारोप , , बिना कांग्रेस , भाजपा ,, बिना अमीरी , गरीबी , हिन्दू , मुस्लिम  ,, आरोपों के बगैर इस व्यवस्था में हम कहाँ है ,अपने गिरेहबान में ज़रूर झांकना चाहिए ,, मुझे यह सब लिखने के लिए , मेरे कई मित्रों ने , छह महीने से लगातार प्रेरित किया है ,  कई ज़ोर ज़बरदस्ती वाले , विडिओ , फोटोग्राफ भी डाले  हैं ,, लेकिन ज्वेनाइल क़ानून की बंदिशों की वजह से  इन तस्वीरों , विडिओ , को में शेयर करने में असमर्थ हूँ ,,  आओ हम सब मिलकर ,, कोटा सहित  ,देश के हर ज़िले में ,  इस तरह के बच्चों ,, बूढ़ों ,, महिलाओं को , इस गंदगी से निकालकर , स्वाभिमानी , स्वावलंबन ,, स्वरोजगार व्यवस्थाओं की तरफ ले जाने के, लिए   मिलकर संघर्ष करे , सरकारों पर दबाव बनाये ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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