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14 जनवरी 2021

नोटेरी क़ानून की इंदौर हाईकोर्ट की गलत व्याख्या के बाद , शादी , तलाक़ , वगेरा दस्तावेज पर नोटेरी रोक पर वकील संस्थाएं चुप क्यों ,

 

नोटेरी क़ानून की इंदौर हाईकोर्ट की गलत व्याख्या के बाद , शादी , तलाक़ , वगेरा दस्तावेज पर नोटेरी रोक पर वकील संस्थाएं चुप क्यों ,
,, अख़्तर खान अकेला ,
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट इन्दोर बेंच ,, की ज़मानत सुनवाई एक आदेश में , नोटेरी को विवाह , तलाक़ संबंधित दस्तावेज , नोटेरी नहीं करने के लिए प्रतिबंधित करने के आदेश के खिलाफ अब तक , किसी भी बार एसोसिएशन , बार कौंसिल ,, और बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया ,नोटेरी ऐसोसिएशन द्वारा विधिक व्यवस्था के तहत इस आदेश को अपास्त कराने के लिए कोई पहल नहीं करने पर , देश के हर हिस्से में नियुक्त नोटेरी उक्त संबंधित दस्तावेजों को ,, तस्दीक़ करने के मामले में असमंजस में है , यध्दपि कोटा में इस मामले में , विधिक चर्चा के लिए , कोटा नोटेरी एसोसिएशन की 15 जनवरी को ,, अध्यक्ष रमेश कुशवाह , महासचिव सलीम मोहम्मद खान ने आपात बैठक बुलाकर पहल करने की कोशिश की है ,,, मध्य्प्रदेश इंदौर हायकोर्ट बेंच के माननीय जज विवेक रुसिआ के समक्ष एक ज़मानत याचिका की सुनवाई के दौरान उक्त आदेश 31 दिसबंर 2020 को किये गए है ,, पुलिस थाना जावरा सिटी में ,,16 सितंबर 2020 को दर्ज प्रथम सुचना रिपोर्ट 195 /2018 में मुकेश आत्मज लक्ष्मण उर्फ़ लक्ष्मीनारायण के विरुद्ध 420 ,467 ,468 /34 आई पी सी का आरोप था , जिसकी गिरफ्तारी के बाद , ज़मानत की सुनवाई के दौरान ,, एक महिला की शादी के दस्तावेज तैयार करवाने और उसे विवाह के बाद गायब हो जाने के आरोप थे , जिसमे नागेश्वर , ओमप्रकाश को भी शामिल बताया गया , उक्त मामले में तीनों साथियों के बीच डेढ़ लाख रूपये बाँटने का आरोप था , पुलिस ने नोटेरी सत्यापित दस्तावेज भी बरामद किये , जिसमे विवाह संबंधित दस्तावेज थे ,, न्यायालय ने उक्त प्रकरण में ,,सुनवाई के बाद अभियुक्त मुकेश को ज़मानत पर आज़ाद करने के आदेश देते हुए , विशिष्ठ टिप्पणी करते हुए आदेशित करते हुए कहां के इस मामले में , नोटेरी जिसने उक्त विवाह संबंधित दस्तावेज निष्पादन कार्य ,किया है वोह भी इस मामले में बराबरी के ज़िम्मेदार है , आदेश में कहा गया है कि नोटेरी का कार्य नोटेरी एक्ट में परिभाषित किया गया है , जिसमे नोटेरी को विवाह संबंधित कार्य के निष्पादन का अधिकार नहीं है , आदेश में कहा गया की , नोटेरी ऐसे मामले में प्रॉपर गाइडेंस करे और शादी संबंधित इक़रार को तस्दीक़ करने से इंकार करता है , तो वोह अपराध नहीं है ,, कोर्ट ने कहा , इस न्यायालय में बारम्बार फ़र्ज़ी विवाह नोटेरी द्वारा करवाने की शिकायतें आ रही है ,, ऐसे में राज्य के विधि विभाग को इस मामले में देखना चाहिए ,, कि नोटेरी और शपथ आयुक्त किस तरह से , विवाह , तलाक़ व् अन्य दस्तावेज निष्पादित कर रहे है , जिनकी क़ानून ने इजाज़त नहीं दी है ,,, कोर्ट ने आदेश में कहा की नोटेरी विवाह कराने और तलाक़ की डीड निष्पादित करने के लिए अधिकृत नहीं है ,, ऐसे में एक सख्त दिशा निर्देश जारी करने की ज़रूरत है ,जिसमे नोटेरी ,, ओथ कमिश्नर को ऐसी कार्यवाहियों से रोकने के निर्देश हों ,, और ऐसे मामलों के उलंग्घन पर , उनके लाइसेसं निरस्त करने का प्रावधान हो ,, कोर्ट ने इस मामले में आदेश की एक प्रति मध्य्प्रदेश के प्रमुख सचिव विधि विभाग को भी भेजने के ेनिर्देश देकर , आवश्यक कार्यवाही के लिए लिखा है ,, इस मामले में अभियुक्त मुकेश की तो ज़मानत याचिका स्वीकार हो गयी ,, लेकिन नोटेरी एक्ट मामले में बिना नोटेरी विशेषज्ञ ,,, या नोटेरी विधिक प्रतिनिधि ,, के पक्ष को सुनवाई का अवसर दिए बगैर जारी इस आदेश के खिलाफ इतनी समयावधि गुज़रने पर भी मध्य प्रदेश बार कौंसिल ,, संबंधित मध्य्प्रदेश की बार एसोसिएशन , हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ,,,,,,,, नोटेरी एसोसिएशन ने कोई आवाज़ नहीं उठाई है , इस आदेश में नोटेरी क़ानून के विधिक पक्ष को रखकर ,, इस टिप्पणी को अपास्त कराने के लिए भी कोई पहल नहीं की है ,, उलटे ,, एक दूसरे को , सोशल मीडिया ग्रुप्स में डराने ,का प्रयास किया जा रहा है , ताज्जुब की बात है , ज़मानत की याचिका में ,, नोटेरी क़ानून को डिसकस किया गया ,, नोटेरी क़ानून के मामले में ,नोटेरी क़ानून विशेषज्ञ या प्रभावित लोगों को सुनवाई का अधिकार दिए बिना , सभी नोटेरी ,, शपथ आयुक्तों को प्रभावित करने वाला यह आदेश जारी कर ,,, मध्य्प्रदेश सरकार को निर्देशित करते हुए ,,,आदेश भेजा गया ,, लेकिन मध्य प्रदेश के वकील संगठन इस मामले में ,, कान में रुई डाल कर बैठे है ,, इन लोगों ने ,, वकीलों ,, नोटेरी ,शपथ आयुक्त के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाले इस आदेश के खिलाफ कोई क़ानूनी जंग लड़ने की शुरुआत भी नहीं की है ,, सवाल यह है , के यह आदेश यूँ तो मध्य्प्रदेश इंदौर हायकोर्ट का है ,, लेकिन आज नहीं तो कल ,, देश के हर राज्य ,, को यह आदेश प्रभावित करेगा , राज्यों के विधि विभाग ,, केंद्र का विधि विभाग ,, इस आदेश की आड़ में , वकीलों ,नोटेरी लाइसेंसी , शपथ आयुक्तों के खिलाफ शिकंजा कसेगा ,,, जबकि इस आदेश की विधिक व्यवस्था ,, सुनवाई का अधिकार दिए बिना , नोटेरी ,शपथ आयुक्त मामले में ,,अतिरिक्त आदेश देने के खिलाफ , नोटेरी क़ानून का इंटरप्रटेशन गलत होने से ,, इसे अपास्त कराने के लिए डबल बेंच में , बार एसोसिएशन , बार कौंसिल , नोटेरी एसोसिएशन को , कार्यवाही करना चाहिए ,,, आदेश में साफ़ लिखा है के नोटेरी , शपथ आयुक्त को , विवाह ,, तलाक़ व् अन्य दस्तावेज निष्पादन के क़ानूनी अधिकार नहीं है , जबकि नोटेरी क़ानून 1952 की धारा 8 में नोटेरी के कार्य स्पष्ट किये गये है जिसमे , उपधारा 1 क में। किसी लिखित के निष्पादन को सत्यापित पुष्ट प्रमाणित या अनुप्रमाणित करना स्पष्ट है ,, अन्य दस्तावेजों के सत्यापन , अधिप्रमाणन, अनुवाद , वगेरा के लिए भी अधिकार दिए गए है ,, इसे में स्पष्ट है कि कोई भी लिखित दस्तावेज , जो दो पक्षकारों के बीच हो ,, या फिर शपथ पत्र हो ,, कोई भी नोटेरी ,, वास्तविक व्यक्ति है या नहीं ,, उसकी पहचान की तस्दीक़ करवाकर उसका सम्पूर्ण विवरण , नाम , पते ,, दस्तावेज का विवरण ,, नोटेरी रजिस्टर में दर्ज कर , दोनों पक्षों की स्वतंत्र सहमति की तस्दीक़ कर ,, उसे प्रमाणित करना होता है ,, सील मोहर लगाकर दस्तावेज निष्पादित करना होता है , यही निष्पादन शपथ पत्र में होता है ,, ऐसे में इस अधिकार की व्याख्या गलत कर इस तरह का आदेश गलत हो जाता है , कहा गया है के विवाह , तलाक़ , इत्यादि दस्तावेज कार्यनिष्पादन ,, नोटेरी क़ानून के खिलाफ है , तो फिर तो इक़रार नामा ,, मुख्तार नाम , वसीयत नामा , शपथ पत्र , सहित सभी दस्तावेज , तलाक़ ,,खुला ,,विवाह विच्छेद ,, पारिवारिक सेटलमेंट , किसी भी दस्तावेज का अधिकार नोटेरी को नहीं रहा , और नोटेरी एक मात्र झुनझुना बन गया है ,,, नोटेरी का कार्य दो पक्षों के बीच किसी रज़ामंदी , विधिक रज़ामंदी , इक़रार , शपथ मामले की तस्दीक़ करना ,, यह देखना की दस्तावेज निष्पादित करने वाले व्यक्ति वही है ,, बालिग़ है ,, विधि सम्मत है ,, किसी दबाव में नहीं है ,, और ऐसा दस्तावेज हर साक्ष्य में मान्य है ,, मुस्लिम क़ानून में , शादी तो संविदा है ,इक़रार है ,ऐसे में दो बालिग़ लोग , अगर दस्तावेज तैयार कराकर ,, नोटेरी तस्दीक़ करवाते है , तो वोह इस अधिनियम के विपरीत कैसे हो सकता है ,,इन दिनों शादी के हर पंजीयन में , शपथ पत्र भी तैयार होते है ,, वोह नोटेरी अधिनियम के विपरीत कैसे हो सकते है , नोटेरी से जुड़े मध्य प्रदेश के वकील साथियों को , देश भर के वकीलों को इस तरह के आदेशों की विधिक मान्यता को डबल बेंच में अपास्त करवाने के लिए याचिका पेश करना ज़रूरी हो गया है ,, यूँ हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे तो इतिहास कभी माफ़ नहीं करेगा ,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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