आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

02 दिसंबर 2020

नेत्रदानी परिवार का देहदान-नेत्रदान संकल्प* *बिमारी पर शोध हो,इसलिए सपत्निक देहदान संकल्प*

 नेत्रदानी परिवार का देहदान-नेत्रदान संकल्प*

*बिमारी पर शोध हो,इसलिए सपत्निक देहदान संकल्प*


संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन द्धारा सर्वप्रथम वर्ष 2011 में लिये गये प्रथम नेत्रदानी सुनील साहू के छोटे भाई सुशील साहू व उनकी पत्नि अंजू साहू ने अपनी विवाह की 23वीं वर्षगाँठ पर नेत्रदान-देहदान का संकल्प पत्र भरा ।

सुशील व इनके अन्य तीन भाई जन्म से मूक-बधिर है । वर्ष 2011 में सुनील साहू के निधन के उपरांत परिजनों ने उनका नेत्रदान करवाया, तभी से सभी ने यह भी विचार बनाया की जब भी कभी ऐसा शोक का अवसर आता है,तो नेत्रदान का पुनीत कार्य सम्पन्न करवाना ही है।  

चारों ही भाई जन्म के बाद से ही एक अजीब सी बीमारी से ग्रसित थे,पैदा होने के कुछ दिनों बाद से ही किसी को सुनने की,किसी को बोलने की शक्ति पूरी तरह से ख़त्म हो जाती थी,इसका ठीक तरह से इलाज हो सके,इस बारें में इनके माता-पिता ने भी काफ़ी प्रयास किया,पर कोई इलाज़ संभव नहीं हो सका । 

यह संयोग है कि,इन मूक बधिर भाइयों के किसी भी बच्चों में यह अज़ीब बीमारी नहीं आ सकी है । दोनों पति-पत्नि को शुरू से यह बात परेशान करती थी कि,ऐसा क्या कारण रहता है कि,जन्म लेने के बाद ,बच्चों में इस तरह की बीमारी आ जाती है,इसी सोच के कारण दोनों ने नेत्रदान-अंगदान का संकल्प लिया । 

सुशील जन्म से श्रवणबाधित है,पर उन्हे कभी अपनी इस दिव्यांगता पर दुखः नहीं हुआ । वह स्वयं के समाज के अलावा अन्य सामाजिक सामाजिक संस्थाओं में सदस्य है ।
साथ ही प्रतिवर्ष जन्मदिन पर नियमित रूप से रक्तदान करते आ रहे है । 

सुशील जी का क्राफ्ट एंब्रायडरी मैटेरियल ड्राइंग पेंटिंग का छोटा सा व्यवसाय है,औऱ अंजू जी का कपड़ों सिलाई का व्यवसाय है ।

सुशील व अंजू का मानना है कि,जब पेड़ पौधे अपने जीवन में सब कुछ अर्पित करते है,और खत्म होने के बाद भी अंत समय तक काम आते हैं,तो मानव जीवन मानवता और सभी के प्रति समर्पित होना चाहिये । 

अंजू ने शाइन इंडिया फाउंडेशन के प्रति धन्यवाद देते हुए कहा कि,वह पिछले काफ़ी सालों से देहदान का संकल्प लेना चाहती थी,पर जब से संस्था का "मिसकॉल से देहदान अभियान" प्रारंभ हुआ है,तब से सभी के लिये देहदान संकल्प लेना आसान हुआ है ।  

मैं चाहता हूँ कि,जब भी मेरा और मेरी पत्नि का अंत समय आता है,तो हमारा देहदान हो सकें,भावी चिकित्सक मेरे मृत शरीर पर रिसर्च कर सकें,जिससे आने वाले समय में यदि कोई शिशु जन्म लें, तो कम से कम उसमें यह बीमारी न आ सकें ।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...