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16 दिसंबर 2020

*तेरी*इस दुनिया मे *ये मंजर* क्योँ है

 

*तेरी*इस दुनिया मे *ये मंजर* क्योँ है...
कहीं *अपनापन*तो कहीं पीठ में *खंजर *क्यों हैं...
सुना है तू हर *जर्रे में रहता.*..
फिर जमीं पर कहीं *मस्जिद कहीं मंदिर* क्यों है....
जब रहने वाले दुनिया के *हर बंदे तेरे* हैं...
फिर कोई *दोस्त तो कोई दुश्मन* क्यों है....
तू ही लिखता है हर किसी का *मुकद्दर*....
फिर कोई *बदनसीब,* और कोई *मुकद्दर का सिकंदर *क्यों है...!!
सारी *कायनात *का *मालिक*-जब *केवल तू *ही है,तो-ये-,*मेरा-तेरा*-कि-*अफरातफरी* क्यों हैं?
तूने-तो-इंसान को सिखाया सबसे मोहब्बत करना,फिर,इंसान की इंसान से ये दुश्मनी क्यों हैं?* *प्रेक्षक:::पंडित,आर.के.कौशिकजी**

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