आपका-अख्तर खान

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21 नवंबर 2020

अगर ऐसा हो तो...

 

अगर ऐसा हो तो......
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-कलम और पत्रकारिता फिर से आजाद हो।
- टीवी चैनलों पर बहस के नाम पर बकवास की बजाय मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो।
-पत्रकारिता किसी को उठाने और किसी को लोगों की नजरों से गिराने का हथियार नहीं बने।
-पत्रकारिता की विश्वसनीयता फिर ऐसी बने कि लोग -पत्रकारों को दलाल और मीडिया को बिकाऊ होने के आरोप से मुक्ति मिले।
-टीवी पर एंकर की जगह रिपोर्टरों को महत्व मिले।
-पत्रकार सत्ता का भोंपू नहीं बने और विपक्ष की बजाय सत्ता पक्ष से भी सवाल करें।
-समाचार पत्रों में विज्ञापन कम और पाठकों को खबरें ज्यादा पढ़ने को मिले।
-अखबारों में विज्ञापन मैनेजर के बजाय फिर सम्पादक का रूतबा बुलंद हो।
-दूसरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों को अपने शोषण से मुक्ति मिले।
-नेताओं व अफसरों की मिजाजपुर्सी करने के बजाय पत्रकार आम आदमी की समस्याओं के समाधान के वाहक बने।
-इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आप सभी को राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस की
बधाई

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